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40% लोगों के पास इंटरनेट नहीं, स्पीड में हम PAK से भी पीछे... ऐसे कैसे बनेगा 5G India?

भारत में 5G सर्विस लॉन्च हो चुकी है. लेकिन भारत में अब भी 100 में से 40 लोगों के पास इंटरनेट नहीं है. गांवों में तो 100 में से सिर्फ 37 लोगों तक ही इंटरनेट की पहुंच है. आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 65% महिलाओं और 50% पुरुषों ने कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया ही नहीं है.

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इंटरनेट स्पीड के मामले में भारत की रैंकिंग 117वें नंबर पर है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
इंटरनेट स्पीड के मामले में भारत की रैंकिंग 117वें नंबर पर है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

भारत में 5G सर्विस लॉन्च हो चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 अक्टूबर को देश में 5G सर्विस लॉन्च की थी. हालांकि, अभी सर्विस इस्तेमाल करने में थोड़ा इंतजार और करना होगा. फिलहाल, 5G सर्विस दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई, वाराणसी, सिलिगुरी और हैदराबाद में शुरू की गई है. एयरटेल मार्च 2024 तक तो जियो दिसंबर 2023 तक 5G को पूरे देश में शुरू कर देगी.

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5G सर्विस की लॉन्चिंग के साथ ही भारत उन देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है, जहां 5G नेटवर्क है. 4G की तुलना में 5G में 10 गुना ज्यादा स्पीड मिलेगी. 4G में वैसे तो 100 Mbps की स्पीड मिलनी चाहिए, लेकिन इतनी मिलती नहीं है. वहीं, 5G आने पर 1 Gbps की स्पीड मिलने की बात कही जा रही है. यानी, 5G आने पर कोई भी मूवी चंद सेकंड में डाउनलोड हो जाएगी. 

हालांकि, इंटरनेट स्पीड के मामले में भारत की हालत दुनिया के कई देशों की तुलना में काफी खराब है. इंटरनेट स्पीड की जानकारी देने वाली Ookla के स्पीडटेस्ट ग्लोबल इंडेक्स में 140 देशों में भारत की रैंक 117वें नंबर पर है. ये रैंक अगस्त महीने की है. 

Ookla के मुताबिक, अगस्त में भारत में एवरेज स्पीड 13.52 Mbps रही. ये पाकिस्तान से भी कम है. पाकिस्तान में इसी महीने 14.22 Mbps की स्पीड रही थी और वो 116वें नंबर पर रहा था. सबसे ज्यादा इंटरनेट स्पीड नॉर्वे में है. यहां 122.77 Mbps की स्पीड मिलती है. अमेरिका में 61.95Mbps और चीन में 92.53 Mbps की स्पीड है.

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10 में 4 के पास इंटरनेट ही नहीं

5G की लॉन्चिंग के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर भारत में सस्ते इंटरनेट का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि एक समय 1GB डेटा की कीमत 300 रुपये थी, जबकि आज 10 रुपये है. औसतन भारत में हर व्यक्ति हर महीने 14GB डेटा की खपत करता है. अगर वही कीमत होती तो उसका हर महीने का खर्च 4200 रुपये से ज्यादा होता.

भारत में इंटरनेट डेटा की कीमत तेजी से कम हुई है. 2014 में भारत में एक जीबी डेटा की कीमत 269 रुपये के आसपास थी, जबकि इस समय एक जीबी डेटा की औसत कीमत 11 रुपये से भी कम है. 2019 में तो एक जीबी डेटा की औसत कीमत 8 रुपये से भी कम हो गई थी. बाद में कंपनियों ने टैरिफ बढ़ा दिया, जिस वजह से ये कीमत बढ़ गई.

सस्ता डेटा, फिर भी इंटरनेट तक पहुंच नहीं

लेकिन, इतना सस्ता डेटा होने के बावजूद भारत में बहुत से लोगों के पास इंटरनेट की पहुंच नहीं है. अब भी 10 में से 4 लोग ऐसे हैं, जिनके पास इंटरनेट नहीं है. 

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) की रिपोर्ट के मुताबिक, हर 100 लोगों में से 60 तक ही इंटरनेट की पहुंच है. यानी, 40 लोग अब भी ऐसे हैं जिनके पास इंटरनेट नहीं है. गांवों में हालत और खराब है. गांवों में हर 100 में से 37 तो शहर में 103 लोगों के पास इंटरनेट है.

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वहीं, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 (NFHS 5) के आंकड़े बताते हैं कि भारत में 49% घरों में ही इंटरनेट कनेक्शन है. भारत में अभी भी 65 फीसदी से ज्यादा महिलाओं और लगभग 50 फीसदी पुरुषों ने कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया ही नहीं है. NFHS के आंकड़ों के मुताबिक, देश में 33% महिलाएं और 51% पुरुष ही ऐसे हैं, जिन्होंने कभी न कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया है.

शहरों तक तो इंटरनेट पहुंच भी जा रहा है, लेकिन गांवों तक इंटरनेट नहीं पहुंच रहा है. NFHS के ही आंकड़े बताते हैं कि गांवों में 75% महिलाओं और 57% पुरुषों ने कभी इंटरनेट इस्तेमाल नहीं किया. वहीं, शहरों में 48% महिलाओं और 34% पुरुषों ने इंटरनेट का इस्तेमाल कभी नहीं किया. 

ये सर्वे ये भी बताता है कि शादी करने वालों की तुलना में शादी नहीं करने वाले महिला और पुरुष इंटरनेट का इस्तेमाल करने में आगे है. शादी करने वाली 29% महिलाएं और 48% पुरुष इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, जबकि इनकी तुलना में शादी नहीं करने वालीं 50% से ज्यादा महिलाएं और 57% पुरुष इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं.

भारत में क्या है इंटरनेट को लेकर आंकड़े?

ट्राई के मुताबिक, मार्च 2022 तक देश में 82.48 करोड़ इंटरनेट सब्सक्राइबर्स थे. इनमें भी 79.64 करोड़ मोबाइल इंटरनेट सब्सक्राइबर्स थे. ये संख्या इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि कई लोगों अपने पास एक से ज्यादा कनेक्शन रखते हैं.

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हालांकि, ट्राई के ही आंकड़ों की मानें तो पिछली चार तिमाही से इंटरनेट सब्सक्राइबर्स की संख्या कम हो रही है. इनमें भी मोबाइल इंटरनेट सब्सक्राइबर्स की. जून 2021 में मोबाइल इंटरनेट सब्सक्राइबर्स की संख्या 80.94 करोड़ थी, जो दिसंबर 2021 तक घटकर 80.15 करोड़ और मार्च 2022 तक और कम होकर 79.64 करोड़ हो गई.

एक ओर इंटरनेट सब्सक्राइबर्स की संख्या घट रही है तो दूसरी ओर टेलीकॉम कंपनियों की हर यूजर से होने वाली कमाई बढ़ रही है. इसे एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (ARPU) कहते हैं. ट्राई के मुताबिक, मार्च 2021 में कंपनियों को एक यूजर से 104 रुपये की कमाई हो रही थी, जो मार्च 2022 में बढ़कर 127 रुपये हो गई.

 

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