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अल्फा मेल से कहीं ज्यादा ज्यादा ताकतवर होती हैं अल्फा फीमेल, जानें- क्या कहता है साइंस

एनिमल फिल्म के रिलीज के बाद से अल्फा मेल टर्म चर्चा में है. ये हिंसक पुरुष किरदार है, जो अपने दुश्मनों को बेरहमी से खत्म कर देता है. दर्शक इसे ग्लोरिफाई भी कर रहे हैं. ये तक कहा जा रहा है कि लड़कियां अल्फा मेल को ज्यादा पसंद करती हैं. वैसे अल्फा मेल ही नहीं, अल्फा फीमेल भी होती हैं.

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अल्फा फीमेल भी समूह में अलग लगती हैं. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
अल्फा फीमेल भी समूह में अलग लगती हैं. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

फिल्म एनिमल जमकर चल रही है. खूनखराबे से भरी इस मूवी में एक शब्द कई बार कहा गया- अल्फा मेल. एक्टर रणबीर कपूर खुद को अल्फा मेल बताते हैं. ये वो शख्स है, जिसका हर हालात पर कंट्रोल होता है और जो बेहद डॉमिनेटिंग होता है. पुरुषों की कई और श्रेणियां भी हैं, जो उसके कूल या किसी हद तक कमजोर संस्करण को कहा जाता है. लेकिन दुनिया अल्फा मेल्स से ही नहीं भरी है, बल्कि इस श्रेणी की औरतें भी हैं. 

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कैसी होती हैं अल्फा फीमेल

ये तेज-तर्रार, प्रतिभावान तो होती ही हैं, साथ ही कॉन्फिडेंट भी होती हैं. अक्सर ऐसी महिलाएं अकेली घूमना-फिरना पसंद करती हैं, और ज्यादातर समय दिमाग पर पूरी तरह से काबू रहता है. लेकिन सबसे खास बात ये है कि इनमें इमोशनल इंटेलिजेंस भी अच्छा रहता है. वे अलग-अलग ग्रुप्स में शामिल होकर भी उनमें अलग पहचान बना लेती हैं. 

चिंपाजियों पर हुई स्टडी

अल्फा फीमेल के लिए सीधे-सीधे महिलाओं पर स्टडी नहीं हुई, बल्कि चिंपाजी पर वैज्ञानिकों ने खूब प्रयोग किया. जर्नल ऑफ लीडरशिप एंड ऑर्गेनाइजेशनल स्टडीज में 17 अलग-अलग पैमानों पर इन्हें देखा गया. इसमें अपनी कद्र जानना, आई क्यू, ई क्यू, लीडरशिप और यौन इच्छाओं को भी देखा गया. इस दौरान कुछ बातें साफ रहीं. देखा गया कि अल्फा की श्रेणी में आने वाली मादा चिंपाजी बाकियों से अलग होती है. वो ज्यादातर मामलों में सबसे आगे रहती है. लेकिन दया और प्यार के मामले में भी वे पीछे नहीं रहतीं. 

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alpha female signs animal movie alpha male ranbir kapoor photo Screenshot of movie

ज्यादा संवेदनशील भी 

एक और स्टडी में निकलकर आया कि अल्फा मेल से अलग अल्फा फीमेल प्यार भी जमकर करती हैं और उतनी ही संवेदनशील भी होती हैं. डच प्राइमेटोलॉजिस्ट फ्रेंस दी वॉल ने कई सारे अध्ययनों में ये बात साबित कर दी. ये अपने समूह या अपने आसपास को लेकर सबसे ज्यादा संवेदनशील होती हैं. ऐसे में अगर किसी सदस्य पर जरा भी मुसीबत आए तो अल्फा फीमेल उसे सुधारने का जिम्मा लेते देर नहीं करतीं. हालांकि इसी वजह से उनका स्ट्रेस लेवल भी बाकियों से ज्यादा रहता है.

एक्सपर्ट इसे 'कॉस्ट ऑफ पावर' कहते हैं. इसी में यह भी देखा गया कि औसत प्रतिभा वाले लोग सबसे ज्यादा आराम और कम तनाव वाली जिंदगी जीते हैं. 

क्या हॉर्मोन्स बनाते हैं अल्फा या नॉन-अल्फा

उत्तरी अमेरिका में इसपर एक स्टडी हुई, जो पहली बार महिलाओं पर थी. हॉर्मोन्स एंड द ह्यूमन अल्फा फीमेल नाम की स्टडी का सैंपल साइज छोटा था. लेकिन इसके नतीजे हैरान करने वाले थे. इसमें पाया गया कि अल्फा फीमेल्स में वही हॉर्मोन्स ज्यादा होते हैं, जो पुरुषों में पाए जाते हैं.

alpha female signs animal movie alpha male ranbir kapoor photoUnsplash

किस हॉर्मोन का, क्या असर 

इसके लिए पांच हॉर्मोन्स को देखा गया- टेस्टोस्टेरॉन, कॉर्टिसोल, ऑक्सीटोसिन, प्रोजेस्टेरॉन और एस्ट्राडियोल.

सबसे पहले बात करते हैं एस्ट्राडियोल हॉर्मोन की. इसका काम प्रजनन प्रणाली को मजबूत बनाना है. पीरियड्स के दौरान इसका बढ़ा हुआ स्तर एग को मैच्योर बनाता है. अल्फा में ये हॉर्मोन नॉन-अल्फा से कम होता है. ऑक्सीटोसिन को लव और इमोशन केमिकल भी कहा जाता है. ये भी फीमेल हॉर्मोन है, जो रिप्रोडक्शन और प्रसव के बाद लेक्टेशन में अहम भूमिका निभाता है. स्टडी में पाया गया कि अल्फा कैटेगरी में इसकी भी कमी होती है. 

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प्रोजेस्ट्रॉन और टेस्टोस्टेरॉन सेक्स हॉर्मोन कहलाते हैं, जो क्रमशः महिलाओं और पुरुषों दोनों में होते हैं. हालांकि टेस्टोस्टेरॉन कुछ मात्रा में महिलाओं में भी होता है. जिन महिलाओं में इसका स्तर ज्यादा हो, वे अल्फा फीमेल श्रेणी में आ सकती हैं. लेकिन हमेशा ये जरूरी नहीं. यह भी हो सकता है कि केमिकल इम्बैलेंस की वजह से ऐसा हो. कॉर्टिसोल स्ट्रेस हॉर्मोन भी कहलाता है. अक्सर तनाव के समय ये ज्यादा बनता है. अल्फा फीमेन्स में इसका स्तर कम होता है क्योंकि वे ज्यादातर चीजों पर कंट्रोल कर पाती हैं. 

alpha female signs animal movie alpha male ranbir kapoor photo Unsplash

चिंपाजियों पर हुई स्टडी में कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ा हुआ दिखा था, जबकि ह्यूमन स्टडी में अलग नतीजा मिला. वैसे कॉर्टिसोल का कम-ज्यादा होना अपने में किसी बीमारी का संकेत भी हो सकता है. यानी जरूरी नहीं कि ये अल्फा या नॉन-अल्फा को बताए. 

क्या कंपीटिशन से बचती हैं महिलाएं

आमतौर पर माना जाता रहा कि महिलाएं, पुरुषों की तुलना में कंपीटिशन से दूर ही रहती हैं. लेकिन नए शोध ने इसे भी गलत साबित कर दिया. यूनिवर्सिटी ऑफ अरिजोना ने नवंबर 2021 में एक स्टडी की, जिसके नतीजे बताते हैं कि महिलाएं अगर कंपीटिशन में उतरें तो वे पुरुषों से ज्यादा आक्रामक होती हैं और हर हाल में जीतने की कोशिश भी करती हैं. इसके नतीजे, प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में छपे. 

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कई और श्रेणियां भी हैं, जो पुरुष और महिलाओं दोनों के लिए होता है इस्तेमाल

- बीटा श्रेणी के लोग अक्सर किसी विवाद से बचने के लिए चुप रहते हैं. ये दोस्ताना तो होते हैं, लेकिन किसी ग्रुप में फिट होने के लिए खूब मेहनत करते हैं. 

- गामा कैटेगरी के लोगों की जिंदगी अपने आसपास ही घूमती रहती है. लेकिन ये आजादखयाल और ऑर्गेनाइज्ड माने जाते हैं. 

- ओमेगा पर्सनैलिटी के लोग कम बोलने वाले, लेकिन बेहद प्रतिभावान और संवेदनशील होते हैं. इंट्रोवर्ट होने के अलावा ये काफी मामलों में अल्फा से मिलते-जुलते हैं. 

- डेल्टा श्रेणी के लोग वे होते हैं, जो पहले अल्फा रह चुके होते हैं. वे लोगों से घुलना-मिलना पसंद नहीं करते लेकिन मौका पड़ने पर दूसरों से अलग साबित हो ही जाते हैं. 

- सिग्मा के तहत आने वाले लोग बहुत इमोशनल होते हैं और किसी से भी जल्दी जुड़ जाते हैं. वैसे साइंस ने इन सारी श्रेणियों में, कम से कम इंसानों पर कोई शोध नहीं किया है, इसलिए पक्की तौर पर पर्सनैलिटी टाइप पर कुछ कहा नहीं जा सकता. 

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