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गुस्सा तो घटा लेकिन अब भी चीन से सबसे ज्यादा नाराज है अमेरिकी आबादी, जानिए, क्या कहता है सर्वे

दशकों से रूस-अमेरिका में तनाव के किस्से कहे जाते रहे, लेकिन अब उसमें बड़ा बदलाव हुआ है. वक्त के साथ अमेरिकियों की रूस से नफरत कम हुई, लेकिन सरककर कहीं और चली गई. एक सर्वे में 40% अमेरिकियों ने माना कि वे चीन को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं. पिछले साल की पोल में ये संख्या 50% थी. इस लिहाज से गुस्सा थोड़ा कम तो हुआ, लेकिन बना हुआ है.

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गैलप पोल के अनुसार, अमेरिकी जनता में चीन के लिए गुस्सा है. (Photo- Unsplash)
गैलप पोल के अनुसार, अमेरिकी जनता में चीन के लिए गुस्सा है. (Photo- Unsplash)

अमेरिकी एनालिस्ट कंपनी गैलप दुनियाभर में कई विषयों पर सर्वे करती है. इसने हाल में ये देखने की कोशिश की कि आम अमेरिकी के मन में किस देश के लिए कैसी सोच है. सोमवार को इस पोल के नतीजे सामने आए, जो चौंकाने वाले हैं. करीब 40% अमेरिकी जनता ने चीन के लिए सबसे ज्यादा गुस्सा दिखाया, जबकि रूस इस पायदान पर दूसरे नंबर पर लुढ़क गया. तीसरे नंबर पर ईरान था, जिसे 9 प्रतिशत लोग सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं. लेकिन अब तक दुनिया के दो खेमों में अमेरिका की टक्कर पर रूस ही रहा. फिर अब ऐसा क्या बदला है, जो लोग चीन को अपना सबसे बड़ा खतरा मान रहे हैं. 

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क्या हैं कारण

इसकी बड़ी वजह है, व्यापार में चीन का बढ़ता दबदबा. द अमेरिकन बिजनेस स्कूल में इसपर एक स्टडी की. इसके मुताबिक, अस्सी के दशक में चीन का आयात-निर्यात केवल 1 प्रतिशत था, जो साल 2017 में बढ़कर 11 प्रतिशत से ऊपर चला गया.

अब ये देश रॉ मटेरियल, पैसेंजर व्हीकल जैसे प्रोडक्ट्स का सबसे बड़ा इंपोर्टर है, जबकि फिक्स्ड कैपिटल गुड्स जैसे प्रॉपर्टी, उपकरण और पेड़-पौधों का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. यूरोपियन यूनियन इसमें टॉप पर है, जबकि अमेरिका तीसरे नंबर पर. 

डॉलर की जगह अपनी करेंसी को बढ़ावा

इंटरनेशनल करेंसी की बात करें तो भले ही डॉलर सबसे ज्यादा भरोसेमंद और सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाली मुद्रा है, लेकिन कुछ समय से चीन भी अपनी मुद्रा युआन को चलन में ला रहा है. जिन देशों से उसके बढ़िया व्यापारिक रिश्ते हैं, उनसे इस तरह की डील हो रही है. ये एक तरह से मुद्रा को रिप्लेस करने की पहल है, जो अमेरिका को परेशान कर सकती है. बता दें कि ब्राजील, अर्जेंटिना से लेकर रूस भी चीन से उसकी मुद्रा में बिजनेस के लिए करार कर चुका. ये एक तरह के डी-डॉलराइजेशन की कोशिश है.

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america china relationship gallup poll where is russia in the list photo Getty Images

दोनों एक-दूसरे के लिए हुए थे आक्रामक

चीन और अमेरिका के रिश्ते काफी समय तक ठीक-ठाक दिखते रहे, लेकिन चिंगारी अंदर-अंदर सुलग रही थी. डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति काल में आग भड़क उठी. ट्रंप ने चीन की बढ़ती ताकत को कम करने के लिए कई कोशिशें कीं. उसने कई चीनी उत्पादों पर टैरिफ लगा दिया. पलटवार करते हुए चीन ने भी अमेरिकी प्रोडक्ट्स के साथ यही किया. इसका नतीजा ये हुआ कि चीन जो कि अमेरिका का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर था, वो तीसरे स्थान पर पहुंच गया. ये सब साल 2019 के पहले छह महीनों के भीतर हुआ. बाद में इसमें 

बची-खुची कसर कोविड ने पूरी कर दी

कोरोना वायरस कहां से आया, इसपर आज भी कई कंस्पिरेसी थ्योरीज हैं. इनमें से सबसे ज्यादा प्रचलित ये बात है कि चीन के लैब या वुहान मार्केट से वायरस दुनियाभर में फैला, और लोगों समेत पूरी इकनॉमी भरभरा गई. ट्रंप ने कई बार कोरोना को चाइनीज वायरस कहा था, जो साजिश की तरह फैलाया गया ताकि देश कमजोर हो जाएं. हालांकि इन आरोपों की पुष्टि आज तक नहीं हो सकी. 

पार्टी की सोच भी लोगों पर असर कर रही

लोग किस विचारधारा के पक्ष में हैं, इसका असर भी इस पर हो रहा है कि वे चीन या रूस में से किसे बड़ा खतरा मानेंगे. रिपब्लिकन पार्टी के सपोर्टर चीन को रुकावट मानते हैं. जैसे ट्रंप अपने कार्यकाल के दौरान चीन के खिलाफ लामबंद रहे थे. वहीं डेमोक्रेटिक पार्टी को पसंद करने वाले अब भी पुराने ढर्रे पर हैं, और रूस को ही खतरा मानते हैं. 

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america china relationship gallup poll where is russia in the list photo Unsplash

क्या असर हो सकता है नए तानेबाने का

हाल में रूस के राष्ट्रपति चुनावों में पुतिन की जीत पर उसे बधाई देने वालों में चीन भी शामिल है. वो लगातार रूस से अपनी नजदीकी जता रहा है. इसमें एक योगदान दोनों की कम्युनिस्ट विचारधारा का भी है. साथ ही एक बात ये भी है, कि रूस के साथ-साथ चीन को भी अमेरिका अपना कंपीटिटर दिख रहा है. ऐसे में दुश्मन का दुश्मन दोस्त वाला हिसाब चल रहा है. 

लोग यह भी मानते हैं कि अगर चीन सुपरपावर बन गया तो दुनिया में युद्ध का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा. साल 2023 के अप्रैल में प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वे में लगभग 85 प्रतिशत अमेरिकियों ने डर जताया कि चीन के पास ताकत आ जाए तो अव्वल तो वो किसी देश के हित में नहीं सोचेगा. दूसरा, वो देशों में आपसी लड़ाई-भिड़ाई भी चाहेगा, ताकि उसकी ताकत बनी रहे. हालांकि निकट भविष्य में ऐसा संभव नहीं लगता. इसकी वजह भी गैलप का पिछले साल का सर्वे है. 

america china relationship gallup poll where is russia in the list photo Pixabay

पिछली बार ज्यादा था गुस्से का प्रतिशत

गैलप ने पिछले साल भी ये सर्वे कराया, जिसमें लगभग 50 प्रतिशत लोगों ने चीन के लिए सबसे ज्यादा गुस्सा दिखाया था. इस लिहाज से देखा जाए तो सालभर के भीतर आक्रोश कम हुआ है. इसके कई कारण हो सकते हैं. अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में माना गया कि अमेरिका और चीन का रिश्ता ब्लैक एंड वाइट से ज्यादा ग्रे है. जैसे अमेरिका अगर चीन से खुली नाराजगी जताए तो वो मुश्किल में घिर जाएगा. ठीक यही बात चीन के साथ है. 

इसे ऐसे समझते हैं. चीन और उसके सहयोगियों के ब्रिक्स संगठन की जीडीपी, जी7 यानी अमेरिका और उसके साथियों से ज्यादा है. यानी दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद अमेरिका भले ही दुनिया की निर्णायक ताकत रही हो, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा. यहां एक पक्ष ये भी है कि चीन के हिस्से भी सारी की सारी शक्ति नहीं चली आई. वो भी दूसरे देशों पर निर्भर है. ताकतों का समीकरण ऐसा बना हुआ है कि अमेरिका, चीन हों या रूस और भारत, कोई भी किसी बड़ी इकनॉमी से सीधी टक्कर नहीं ले सकता.

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कुल मिलाकर आर्थिक निर्भरता ही दोनों देशों के बीच खटास कम कर सकी, लेकिन यही खटास की वजह भी बनी हुई है. 

ये देश हैं अमेरिकियों की पसंद

जाते हुए ये भी जानते जाएं कि अमेरिकियों को सबसे ज्यादा पसंद कौन सा देश है. गैलप पोल के अनुसार, ज्यादातर लोगों ने कनाडा और जापान को सबसे फेवरेट बताया. इसके बाद ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और ताइवान का नाम आया. 

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