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अमेरिका के हर राज्य का संविधान और फ्लैग अलग-अलग, क्यों भारत में नहीं अपनाया जा सकता ये मॉडल?

गृह मंत्री अमित शाह के एक बयान पर कांग्रेस लीडर शशि थरूर ने अमेरिका का हवाला देते हुए कहा कि वहां 50 स्टेट हैं, और सबका अलग संविधान है. इसके बाद से सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है. इस बीच ये जानना जरूरी है कि दुनिया का सबसे ताकतवर देश होने के बाद भी क्यों अमेरिका के हर राज्य का अपना झंडा और संविधान है.

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अमेरिका में फेडरल लॉ है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)
अमेरिका में फेडरल लॉ है. सांकेतिक फोटो (Pixabay)

मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह और टीएमसी सांसद सौगत रॉय के बीच बहस हो गई. इसकी शुरुआत रॉय की उस कमेंट से हुई, जिसमें उन्होंने श्यामा प्रसाद मुखर्जी के एक संविधान, एक निशान और एक प्रधान की आलोचना करते हुए उसे एक पॉलिटिकल स्टंट बता दिया. रॉय की बात पर एतराज जताते हुए गृह मंत्री ने कहा कि किसी देश में दो संविधान, दो झंडे कैसे हो सकते हैं. ये पॉलिटिकल बयान नहीं, बल्कि इरादा था. सत्ता में आने पर बीजेपी ने पहले से चली आ रही गलती को सुधारा. शाह का इशारा कश्मीर के अलग झंडे और कायदे-कानूनों पर था. 

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थरूर ने दिया अमेरिका का हवाला

शाह का बयान वायरल होते ही कांग्रेस लीडर थरूर ने दूसरे देशों का हवाला देना शुरू कर दिया. खासतौर पर अमेरिका की बात करते हुए उन्होंने कहा कि वहां हर राज्य का अपना झंडा और संविधान है. अमेरिका में वाकई ऐसा है, लेकिन वहां का मॉडल अलग है. दोनों के संविधान में बुनियादी फर्क ही काफी ज्यादा है. 

क्या है दोनों में बेसिक फर्क

यूएस का संविधान फेडरल है, जबकि भारत में ये क्वाजाए- फेडरल है. यानी अमेरिकी संविधान अपना रूप नहीं बदल सकता, जबकि भारत में अलग हालात गड़बड़ हों तो राज्यों के अधिकार छीने, या कम किए जा सकते हैं, जबकि सेंटर सुप्रीम पावर बन जाएगा. हमारे संविधान ने सरकार को यूनिटरी और फेडरल दोनों के ही पावर दिए हैं. इसमें ताकत का विभाजन भी होता है ताकि लोकतंत्र बना रहे, साथ ही केंद्र के पास ताकत शक्तियां रख दी जाती हैं ताकि अगर राज्यों में कोई गलती हो तो सुधारा जा सके. 

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america constitution and flag amid shashi tharoor statement over one nation one constitution photo Getty Images

संविधान बनते समय ही अलग थे हालात

साल 1787 में जब अमेरिकी संविधान का मसौदा तैयार हुआ, तब वहां के सारे राज्यों के पास पहले से ही अपने नियम थे. तो इसमें ज्यादा हेरफेर नहीं करते हुए इतना किया गया कि बेसिक रूल्स सबके एक रहें. बाकी बदलाव स्वीकार कर लिए गए. ये संविधान करीब साढ़े 4 हजार शब्दों का है.

सेंस ऑफ यूनिटी और बिलॉन्गिंग से प्रेरित

भारत का संविधान 1 लाख 45 हजार शब्दों के साथ दुनिया का सबसे लंबा संविधान है. लेकिन जब ये बना, तब स्थितियां भी अलग थीं. भारत को ब्रिटेन से आजादी मिली थी. ढेर सारी रियासतें और प्रांत थे. तब देश के लिए सबसे जरूरी ये था कि सबको एक संविधान और एक झंडे के नीचे लाया जाए ताकि सेंस ऑफ यूनिटी बने. गुलामी की भावना से छुटकारे के लिए ये जरूरी था. तभी संविधान बनाया गया. ये ब्रिटेन के अलावा कई यूरोपियन देशों और अमेरिका से भी प्रेरित था. हालांकि समय-काल-हालात के मुताबिक बदलाव के भी इसमें रास्ते छोड़े गए. 

झंडे के साथ भी यही मामला

भारत ने सबको एक मंच पर लाने के लिए एक झंडा तय किया. साल 2019 तक जम्मू-कश्मीर के पास अपना झंडा था, जो अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के साथ खत्म हो गया. पहले दक्षिण के इक्का-दुक्का राज्यों ने भी अपने झंडे की बात की थी, लेकिन सेंटर ने मंजूरी नहीं दी. दूसरी तरफ अमेरिका के 50 राज्यों के अलग झंडों की बात करें तो संविधान से पहले ही उनके पास अलग झंडे थे. उनके यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका होने को केवल फेडरल सरकार की ताकत के विस्तार की तरह लिया जाता है. 

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america constitution and flag amid shashi tharoor statement over one nation one constitution

और क्या अंतर है दोनों में

- भारतीय राज्य संविधान में संशोधन की रिक्वेस्ट नहीं कर सकते, जबकि अमेरिका में उन्हें ये हक है. 

- अमेरिकी संविधान में नेशनल इमरजेंसी का कंसेप्ट नहीं है, जबकि हमारे यहां आपातकाल है. 

- भारतीय पीएम का चुनाव  संसद सदस्य करते हैं, वहीं यूएस में सीधे जनता राष्ट्रपति चुनती है. 

- दोनों में कई समानताएं भी हैं, जैसे वे लिखित फॉर्मेट में हैं, और लोगों के मूलभूत अधिकार की बात करते हैं. 

ऑस्ट्रेलिया में नहीं है हर स्टेट का अलग PM

थरूर ने पलटवार करते हुए ऑस्ट्रेलिया का हवाला भी दिया था कि वहां हर राज्य का अपना प्रधानमंत्री होता है. ये बयान अपने-आप में चौंकाने वाला है. ऑस्ट्रेलिया में हर स्टेट का एक प्रीमियर होता है. ये उसी तरह है, जैसे हमारे यहां मुख्यमंत्रियों का होना. वहां 6 राज्यों के अलग-अलग प्रीमियर हैं जो स्टेट लेवल पर फैसले लेते हैं, लेकिन नेशनल लेवल पर अधिकार प्रधानमंत्री के पास है, जो एक ही होता है. फिलहाल एंटनी अल्बनीज वहां के प्रधानमंत्री हैं.

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