scorecardresearch
 

मार्च 2026 तक खत्म हो जाएगा नक्सलवाद? अमित शाह की डेडलाइन के पीछे ये है बेस

गृह मंत्री अमित शाह का कहना है कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूरी तरह से सफाया कर दिया जाएगा. उनका कहना है कि नक्सली घटनाओं और इसमें होने वाली मौतों में रिकॉर्ड गिरावट आई है. ऐसे में जानते हैं कि अमित शाह की इस डेडलाइन का बेस क्या है? क्या सच में नक्सलवाद में कमी आई है?

Advertisement
X
नक्सली घटनाओं में कमी आई है. (प्रतीकात्मक तस्वीरः Meta AI)
नक्सली घटनाओं में कमी आई है. (प्रतीकात्मक तस्वीरः Meta AI)

गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में नक्सलवाद को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि मार्च 2025 तक देश से नक्सलवाद का सफाया हो जाएगा. उन्होंने कहा कि नक्सलवाद पर आखिरी हमला करने के लिए एक मजबूत रणनीति की जरूरत है.

Advertisement

अमित शाह ने नक्सलियों से हथियार डालकर सरेंडर करने को भी कहा है. साथ ही ये भी बताया कि छत्तीसगढ़ में एक-दो महीने में नई सरेंडर पॉलिसी की घोषणा की जाएगी.

इस वक्त छत्तीसगढ़ ही ऐसा राज्य है जो नक्सलवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित है. छत्तीसगढ़ के 15 जिले- बीजापुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, धमतरी, गरियाबंद, कांकेर, कोंडागांव, महासमुंद, नारायणपुर, राजनांदगांव, मोहल्ला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, खैरगढ़-छुईखदान-गंडई, सुकमा, कबीरधाम और मुंगेली नक्सल प्रभावित हैं.

दरअसल, नक्सलवाद से निपटने पर चर्चा के लिए 24 अगस्त को छत्तीसगढ़ में एक अहम बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में सभी राज्यों के डीजी और चीफ सेक्रेटरी को भी बुलाया गया था. इसी मीटिंग में अमित शाह ने कहा था कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद का सफाया कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा था कि अब वक्त आ गया कि वामपंथी उग्रवाद पर मजबूत रणनीति के साथ अंतिम प्रहार किया जाए.

Advertisement

इस बैठक में अमित शाह ने कहा था कि वामपंथी उग्रवाद लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. पिछले चार दशक में इस कारण 17 हजार से ज्यादा लोगों की जान गई है.

भारत 2026 तक हो पाएगा नक्सल-फ्री?

अमित शाह का कहना है कि मार्च 2026 तक देश को नक्सल फ्री कर दिया जाएगा. मगर क्या ऐसा हो सकता है? इसे कुछ आंकड़ों से समझते हैं.

इसी साल 7 अगस्त को गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने नक्सलवाद या वामपंथी उग्रवाद से जुड़े आंकड़े संसद में रखे थे. इसमें उन्होंने बताया था कि 2010 की तुलना में 2024 में नक्सली घटनाओं में 73% की कमी आई है. इसी तरह से इन नक्सली घटनाओं में होने वाली मौतें भी 86% तक कम हुई हैं. 2010 में नक्सली घटनाओं में 1,005 मौतें हुई थीं, जबकि 2023 में 138 लोग मारे गए थे. इनमें सुरक्षाबलों के शहीद जवानों की संख्या भी शामिल है.

उन्होंने बताया था कि 2013 तक देशभर के 10 राज्यों के 126 जिले नक्सल प्रभावित थे. अप्रैल 2024 तक 9 राज्यों के 38 जिलों तक ही नक्सलवाद सिमट गया है.

कितना कम हुआ है नक्सलवाद?

तीन साल पहले तक बिहार के 10 जिले नक्सलियों का गढ़ हुआ करते थे. लेकिन अब बिहार से नक्सलियों का पूरी तरह सफाया हो गया है.

Advertisement

इसी तरह आंध्र प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी नक्सली दो-चार जिलों तक सिमट कर रह गए हैं. 2021 तक झारखंड के 16 जिले नक्सल प्रभावित थे, लेकिन अब यहां के 5 जिले ही ऐसे हैं. आंध्र प्रदेश का आलुरी सीतारामराजू, केरल का वायनाड और कन्नूर, मध्य प्रदेश का बालाघाट, मंडला और डिंडोरी, महाराष्ट्र का गढ़चिरौली और गोंदिया, तेलंगाना का भद्राद्री-कोतागुदेम और मुलुगु और पश्चिम बंगाल का झारग्राम जिला ही नक्सल प्रभावित है.

केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 2010 तक 96 जिलों के 465 पुलिस थानों तक नक्सलवाद फैला हुआ था. 2023 के आखिर तक ये 42 जिलों के 171 पुलिस थानों तक सिमट गया. वहीं, जून 2024 तक देश के 30 जिलों के 89 पुलिस थाने ही ऐसे हैं, जहां नक्सलवाद फैला हुआ है.

मार्च 2026 तक कैसे होगा नक्सल फ्री?

कुछ साल पहले तक झारखंड के दर्जनभर से ज्यादा जिले नक्सलियों का गढ़ हुआ करते थे, लेकिन अब वो 5 जिलों तक सिमट गए हैं. झारखंड के गिरिडिह, गुमला, लतेहार, लोहारदगा और पश्चिमी सिंघभूम तक नक्सली बचे हैं.

झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता ने हाल ही में रिव्यू मीटिंग में बताया था कि अगर कोई नक्सली सरेंडर करता है या फिर कोई उन्हें पकड़वाता है तो 1 करोड़ रुपये तक का इनाम दिया जाता है. उन्होंने बताया था कि नक्सलियों से निपटने के लिए दो मोर्चों पर काम किया जाता है. पिछले साल पुलिस ने 'ऑपरेशन ऑक्टोपस' शुरू किया था. इसके तहत नक्सलियों के सबसे बड़े गढ़ में से एक बूढ़ा पहाड़ से इनका सफाया कर दिया गया है. यहां बूढ़ा पहाड़ विकास परियोजना भी शुरू की गई है.

Advertisement

24 अगस्त को हुई बैठक के बाद अमित शाह ने बताया था कि 2019 से अब तक नक्सल प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ के 277 कैंप लगाए गए हैं. इनके अलावा ईडी और एनआईए जैसी एजेंसियां माओवादियों की फंडिंग खत्म करने के लिए ऑपरेशन चला रही हैं.

अभी छत्तीसगढ़ सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित राज्य है. लेकिन यहां भी तेजी से ऑपरेशन चलाया जा रहा है. हाल ही में बीजापुर में 25 नक्सलियों ने सरेंडर किया था. इनमें से पांच तो ऐसे थे जिनपर लाखों का इनाम था. इससे पहले धमतरी में नक्सल दंपति ने भी सरेंडर कर दिया था. इस दंपति पर 10 लाख का इनाम था.

अमित शाह ने बताया था कि छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय के सत्ता में आने के बाद से 179 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया है, जबकि 559 को गिरफ्तार किया गया है. वहीं, 540 नक्सली सरेंडर कर चुके हैं. अमित शाह ने नक्सलियों से हथियार छोड़ सरेंडर करने की अपील की है. साथ ही ये भी बताया है कि जल्द ही सरकार नई सरेंडर पॉलिसी लेकर आएगी.

स्पेशल डीजीपी आरके विज बताते हैं कि दंडकारण्य में माओवादी कमजोर हो रहे हैं. लगातार सरेंडर और नई भर्ती नहीं होने के कारण माओवादियों को अपने इलाके बचा पाना मुश्किल हो रहा है. दंडकारण्य के जंगल नक्सलियों का बड़ा ठिकाना हुआ करते हैं.

Advertisement

महाराष्ट्र के पूर्व आईपीएस अफसर पीके जैन का कहना है कि अगर सरकार इच्छाशक्ति रखे तो नक्सलियों को काबू में किया जा सकता है. महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सली अब सीमित हो गए हैं. गोंदिया में भी एंटी-नक्सल ऑपरेशन ने इन्हें नियंत्रित कर दिया है.

Live TV

Advertisement
Advertisement