जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर वोटिंग की तारीख आगे बढ़ गई है. पहले इस सीट पर तीसरे चरण यानी 7 मई को वोटिंग होनी थी. लेकिन अब चुनाव आयोग ने इसे आगे बढ़ाकर छठे चरण यानी 25 मई कर दिया है.
चुनाव आयोग ने बताया कि जम्मू-कश्मीर की कई राजनीतिक पार्टियों ने अनंतनाग-राजौरी सीट पर वोटिंग की तारीख आगे बढ़ाने की मांग की थी. इनमें जम्मू-कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष रविंदर रैना, जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता इमरान अंसारी भी शामिल थे.
चुनाव आयोग ने तारीख आगे बढ़ाने के लिए खराब मौसम के कारण लॉजिस्टिकल इशू का हवाला भी दिया है. इससे पहले आयोग ने प्रशासन से दक्षिणी कश्मीर और जम्मू रीजन के पुंछ और राजौरी के कुछ इलाकों के मौसम और सड़क की स्थिति को लेकर रिपोर्ट मांगी थी.
इस सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता मियां अल्ताफ समेत कुल 21 उम्मीदवार मैदान में हैं.
शुरू हुआ बवाल!
तारीख आगे बढ़ाने पर बवाल भी शुरू हो गया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि चुनाव आयोग ने तारीख आगे बढ़ाई, उन्हें बधाई. उन्होंने इस सीट से पार्टी की जीत की संभावनाओं पर कहा, हमें लोगों पर और अल्लाह पर पूरा भरोसा है.
पीडीपी चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी इसकी आलोचना करते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन पर 'गलत' रिपोर्ट भेजने का आरोप लगाया है.
महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'चुनाव आयोग ने वोटिंग की तारीख आगे बढ़ा दी, जिससे मेरे लिए प्रचार करना मुश्किल हो गया है. पार्टी के गरीब कार्यकर्ता अपनी जेब से खर्च कर रहे हैं और हमारे लिए प्रचार कर रहे हैं. अब उन्हें 25 दिन और काम करना होगा.'
इतना ही नहीं, चुनाव तारीख आगे बढ़ाने के फैसले के खिलाफ पीडीपी ने बुधवार को प्रदर्शन भी किया. पीडीपी नेता नईम अख्तर ने आरोप लगाया है कि अनंतनाग-राजौरी सीट को धार्मिक और जातिगत मतभेदों का फायदा उठाने के मकसद से बीजेपी के आदेश पर बनाया गया था.
इस बार सबसे हॉट सीट है अनंतनाग-राजौरी!
अनुच्छेद 370 हटने से पहले तक जम्मू-कश्मीर में कुल 6 लोकसभा सीटें होती थीं. दो सीटें जम्मू में, तीन कश्मीर में और एक लद्दाख में.
लेकिन 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. परिसीमन होने के बाद भी जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की पांच सीटें ही रहीं. दो जम्मू, दो कश्मीर में और एक सीट में दोनों रीजन के इलाकों को शामिल किया गया.
जम्मू में अब जम्मू और उधमपुर, जबकि कश्मीर में बारामूला और श्रीनगर लोकसभा सीट हैं. एक सीट अनंतनाग-राजौरी है, जिसमें जम्मू और कश्मीर, दोनों रीजन के इलाकों को शामिल किया गया है. इस सीट में जम्मू का पुंछ जिला और राजौरी का दो-तिहाई हिस्सा शामिल किया गया है.
अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट में अब कुल 18 विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से 11 कश्मीर और 7 पुंछ और राजौरी में हैं. इस सीट पर कुल 18.30 लाख वोटर्स हैं, जिनमें से लगभग 11 लाख कश्मीर और 7.35 लाख जम्मू रीजन में हैं.
इससे बदल गई यहां की डेमोग्राफी?
अनंतनाग सीट में जम्मू के कुछ इलाकों को शामिल करने से यहां की डेमोग्राफी भी बदलने की बात कही जा रही है. अनंतनाग में जो कश्मीरी इलाके पड़ते हैं, वहां ज्यादातर आबादी मुस्लिम है. जबकि, पुंछ और राजौरी में गुज्जर और बक्करवाल समुदाय के लोग ज्यादा हैं.
पुंछ और राजौरी में जो गुज्जर-बक्करवाल के लोग हैं, उन्हें अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा दिया गया है. पुंछ और राजौरी की अनुमानित 11.19 लाख आबादी में 5 लाख गुजर-बक्करवाल हैं. इनके आने से मुस्लिम बहुल अनंतनाग सीट में करीब 20 फीसदी आबादी गुजर और बक्करवाल की होने की संभावना है.
इनके अलावा पुंछ और राजौरी में पहाड़ी, डोगरा, हिंदू और सिख समुदाय की भी अच्छी-खासी आबादी है. अनंतनाग राजौरी सीट पर 50 फीसदी कश्मीरी और 50 फीसदी पहाड़ी और गुज्जर-बक्करवाल वोटरों के होने का अनुमान है.
कौन-कौन यहां से उम्मीदवार?
बीजेपी ने अब तक अनंतनाग-राजौरी सीट पर किसी उम्मीदवार को नहीं उतारा है. इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती मैदान में हैं. उनके अल्ताफ बुखारी की अपनी पार्टी ने जफर इकबाल मन्हास तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने मियां अल्ताफ को यहां से उतारा है.
जफर इकबाल जहां पहाड़ी लेखक हैं तो वहीं मियां अल्ताफ गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं. मियां अल्ताफ की पुंछ और राजौरी में अच्छी पकड़ी समझी जाती है.
इस सीट पर वोट कटने के भी आसार हैं. अपनी पार्टी को पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वोट में सेंधमारी करने की उम्मीद है. वोट बंटने की इसलिए भी संभावना है, क्योंकि इंडिया ब्लॉक की दो पार्टियां- नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी, दोनों ही यहां से चुनाव लड़ रहीं हैं.
अब तक तो बीजेपी ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा है, लेकिन माना जा रहा है कि पार्टी यहां से चुनाव लड़ सकती है. हालांकि, अब तक कुछ तस्वीर साफ नहीं है. अगर बीजेपी यहां उम्मीदवार उतारती है तो फिर बीजेपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बीच मुख्य मुकाबला होने की संभावना है.
जानकार मानते हैं कि बीजेपी को गुज्जर-बक्करवाल और पहाड़ियों से समर्थन मिल सकता है. वहीं, पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उतरने से मुस्लिम वोट बंट सकते हैं, लेकिन हिंदू वोट एकजुट हो सकते हैं, जिसका फायदा बीजेपी को हो सकता है.