हमास और इजरायल के बीच चल रही लड़ाई में यहूदियों के लिए हेट क्राइम बढ़ रहा है. अब रूस के दागिस्तान प्रांत से डराने वाले वीडियो आए हैं, जिसमें हजारों की संख्या में मुस्लिमों ने मखाचकाला एयरपोर्ट पर हमला बोल दिया. दरअसल उन्हें पता लगा था कि एयरपोर्ट पर तेल अवीव से एक विमान आया है, जिसमें यहूदी सवार हैं. इजरायल के गाजा पट्टी पर हमले से नाराज भीड़ उन्हें नुकसान पहुंचाने की योजना बनाने लगी.
लोगों से मांगा जा रहा था पासपोर्ट
इसी प्लानिंग के तहत लोग एयरपोर्ट से गुजरती कारों को रोककर उनसे पासपोर्ट मांगने लगे ताकि इजरायल के लोगों को पहचानकर नुकसान पहुंचाया जा सके. हिंसक भीड़ पर मुश्किल से काबू पाया जा सका. इधर रूस के राष्ट्रपति पुतिन समेत अधिकारियों ने लोगों की सुरक्षा की गारंटी दी है. साथ ही एयरपोर्ट भी वापस खोला जा चुका है. इस बीच ये बात हो रही है कि रूस के इस प्रांत में क्या अलग है, जो वो इतना हिंसक हो सका.
कहां है दागिस्तान?
दागिस्तान उत्तर कॉकसस का मुस्लिम रशियन गणतंत्र है. पहले ये चेचन्या में आता था, बाद में इसे अलग रिपब्लिक बना दिया गया. सुन्नी मुस्लिमों की आबादी वाला दागिस्तान काफी समय से रूस की नाक में दम किए हुए है. कई देश अपनी ट्रैवल एडवायजरी में रूस के इस इलाके में जाने से बचने की बात करते हैं. कनाडा की एडवायजरी में इसे भारी अस्थिर बताया गया है. यही हाल बाकी पश्चिमी देशों का है.
ये रूसी हिस्से भी माने गए खतरनाक
रूस वैसे तो दुनियाभर के टूरिस्टों को आकर्षित करता रहा, लेकिन चेचन्या, दागिस्तान, इन्कुशेतिया और स्तावरोपॉल क्राई वो इलाके हैं, जहां जाना असुरक्षित हो सकता है. दागिस्तान इस लिस्ट में सबसे ऊपर है. यही वजह है कि कुदरती खूबसूरती के बाद भी लोग यहां जाने से बचते हैं.
सीमाओं पर है असर खतरनाक
दागिस्तान जिसे दागेस्तान भी कहते हैं, इसका मतलब है पहाड़ों की जगह. उत्तरी कॉकसस पर बसा ये स्टेट एक तरफ जार्जिया, चेचन्या तो दूसरी तरफ अजरबैजान से सटा हुआ है. इसकी सीमाएं ही इसे सबसे ज्यादा खतरनाक बनाती हैं. चेचन्या में लंबे समय से रूस से अलग होने के लिए आंदोलन चलता रहा. जबकि अजरबैजान कोविड के दौर से ही आर्मेनिया से युद्ध कर रहा है. बीच-बीच में सीजफायर होता है, लेकिन फिर जंग शुरू हो जाती है.
कई धर्म और भाषाएं भी लाती रहीं मुश्किल
लगभग 30 लाख की आबादी वाले दागिस्तान की एक समस्या ये है कि वहां बहुत से धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं. वैसे तो ये सुन्नी मुस्लिम बहुत रिपब्लिक है, लेकिन उनके अलावा यहां 40 अलग-अलग नस्लें और धार्मिक पहचान वाले लोग बसे हुए हैं. ये रूस का अकेला हिस्सा है, जहां 30 से ज्यादा भाषाएं बोली जाती हैं. इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि धार्मिक टकराव के हालात यहां लगातार बने रहते हैं.
इस्लामिक चरमपंथ काफी ज्यादा
दागिस्तान में अमरिकी हमले के दौर में आतंकी संगठन बढ़े. ISIS के दौर में सीधी तौर पर इस्लामिक चरमपंथी गुट बढ़ने लगे. ये सभी पहले तो रूस से अलग अपना देश बनाने की मांग करते रहे, बाद में आपस में भी लड़ने-भिड़ने लगे. साल 2007 से लेकर अगले 10 सालों तक रूसी फोर्स इस्लामिक चरमपंथियों से लड़ती रही. इसी साल वहां की खुफिया एजेंसी FSB ने एलान किया कि आतंकी संगठन लगभग खत्म हो गए हैं. इसके बाद ही रूसी सेनाओं ने इलाका छोड़ा. अब भी छुटपुट टुकड़ियां वहां तैनात हैं.
रूस में यहीं से आया इस्लाम!
माना जाता है कि रूस में इस्लाम की एंट्री दागिस्तान की सीमा से ही हुई थी. करीब 1 हजार साल पहले अरब व्यापारी समुद्र से होते हुए यहां आए और इस्लाम का प्रचार-प्रसार करने लगे. शुरुआत में मुस्लिमों की संख्या कम थी, लेकिन साम्यवाद का दौर कमजोर पड़ने के बाद इस्लाम जमकर फैला. फिलहाल 30 लाख की आबादी वाले दागिस्तान में 3 हजार से ज्यादा मस्जिदें हैं, साथ ही इस्लामिक शिक्षा देने के लिए संस्थान भी हैं.
मॉस्को तक पहुंचने लगे टैरर गुट
20वीं सदी की शुरुआत में ही दागिस्तान को रशियन फेडरेशन का हिस्सा बनाया गया. रूस तब USSR था और कॉकसस में अपने को मजबूत कर रहा था. साल 1991 में सोवियत संघ तो टूट गया लेकिन दागिस्तान रूस से जुड़ा रहा. हालांकि वहां की मुस्लिम आबादी लगातार खुद को अलग करने के लिए आंदोलन करती रही.
साल 2010 में मॉस्को के मैट्रो स्टेशन पर सुसाइड अटैक हुआ, जिसमें कथित तौर पर दागिस्तानी चरमपंथियों का हाथ था. इसके बाद भी मॉस्को में कई आतंकी साजिशें फेल हुईं, जिनके पीछे या तो इनका या इससे सटे दूसरे आतंकी गुटों का हाथ बताया गया.