scorecardresearch
 

कितनी सेना है रूस के पास, जो यूक्रेन के खिलाफ जंग में उसे किराए के सैनिकों की जरूरत पड़ने लगी?

रूस-यूक्रेन जंग के बीच खबरें आ रही हैं कि रूस विदेशी लड़ाकों को किराए पर ले रहा है. ज्यादातर गरीब देशों के युवा मोटे पैसों के बदले लड़ाई का हिस्सा बनने को तैयार भी रहे हैं. कुछ यही हाल यूक्रेन का भी है. वहां भी फॉरेन सोल्जर्स लड़ाई के मैदान में हैं. ये फाइटर्स अलग-अलग वजहों से जंग का हिस्सा बने हुए हैं.

Advertisement
X
रूस-यूक्रेन जंग छिड़े डेढ़ साल से ज्यादा समय हो चुका. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
रूस-यूक्रेन जंग छिड़े डेढ़ साल से ज्यादा समय हो चुका. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

हाल ही में वेस्टर्न मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट में तैनात एक मिलिट्री ऑफिसर का ईमेल अकाउंट हैक हो गया. साइबर रेजिस्टेंस नाम से हैकर्स के ग्रुप ने डॉक्युमेंट लीक किए. मेल में क्यूबाई युवाओं की सैनिकों की तरह भर्ती करने और उन्हें युद्ध के लिए यूक्रेन भेजने का जिक्र था. कुल 122 क्यूबाई लड़ाकों का पासपोर्ट और तस्वीरें भी मेल के साथ मिलीं. इससे पता लग रहा है कि रूस फॉरेन फाइटर्स को जंग के मैदान में भेज रहा है. 

Advertisement

लीक हुए दस्तावेजों के मुताबिक लोगों को स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन में शामिल होने के बदले अच्छी-खासी रकम ऑफर की जा रही है. अगर युद्ध के दौरान सैनिक जख्मी हो जाए या मारा जाए तो फैमिली बेनिफिट्स भी मिलेंगे. कुछ समय पहले ब्रिटिश मिलिट्री ऑफ डिफेंस ने आरोप लगाया था कि रूस जान-बूझकर सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके लोगों की भावनाओं से खेलते हुए उन्हें भी लड़ाई का हिस्सा बना रहा है. 

लेकिन इसमें भावनाओं के साथ खेलने जैसी बात कहां से आई?

इसके पीछे भी तर्क है. असल में नब्बे के दशक में सोवियत संघ जब टूटा तो बहुत सी एथनिक आबादी भी अलग-अलग देशों में बिखर गई. उनका देश तो अलग था, लेकिन मन रूस में ही अटका था. यही वजह है कि रूस पर जरा भी खतरा आते ही ये आबादी झटपट उसके साथ हो लेती है. 

Advertisement

are russia and ukraine recruiting foreign fighters representational image- Reuters

हाल में आई प्यू रिसर्च सेंटर की स्टडी कहती है कि लातीविया, एस्टॉनिया और यहां तक कि यूक्रेन का भी बड़ा प्रतिशत खुद को रूस के साथ मानता है. यही कारण है कि वे युद्ध में भी रूस का चेहरा बनकर लड़ाई के लिए चले आ रहे हैं. इसमें खतरा तो है, लेकिन काफी पैसे भी हैं, और रूस से एक बार फिर जुड़ने का मौका भी. 

किन देशों के लोग आ रहे 

फॉरेन फाइटर्स में ज्यादातर वे देश हैं, जो पहले सोवियत यूनियन से जुड़े थे. इनमें आर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और लातीविया शामिल हैं. इनके अलावा और भी देशों के लोग रूस की आर्मी से जुड़े.

पोलिश इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स ने साल 2014 में हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान एक स्टडी छापी थी, जिसमें दावा था कि रूस मोटी रकम देकर दूसरे देशों के ऐसे नागरिकों को भी बुला रहा है, जिनका आर्थिक स्तर कमजोर है. इसमें जर्मन, बोस्नियन और सर्बियन युवा भी हैं, और सीरिया-लीबिया जैसे युद्ध-प्रभावित देशों के लड़ाके भी. 

are russia and ukraine recruiting foreign fighters representational image- Pixabay

इससे पहले भी खबरें आ चुकी थीं कि रूस रेगुलर रशियन आर्मी ( रूसी सशस्त्र बल) की बजाए किराए के सैनिकों या प्राइवेट सैनिकों का इस्तेमाल कर रहा है. वैगनर ग्रुप भी ऐसी ही आर्मी है, जिसमें प्राइवेट तरीके से फाइटर्स की भर्ती होती रही. 

Advertisement

कितने सैनिक है रूसी सशस्त्र बल में

स्टेटिस्टा रिसर्च डिपार्टमेंट की मार्च की रिपोर्ट के अनुसार, रूस की टोटल मिलिट्री पावर सवा 13 लाख से ज्यादा है. इसमें ज्यादातर लोग एक्टिव आर्मी में हैं, जबकि एक बड़ी संख्या रिजर्व सर्विस और पैरामिलिट्री की भी है. सैन्य बल के मामले में यूक्रेन थोड़ा कमजोर है, जिसके पास 5 लाख सैनिक हैं, जिसमें से भी केवल 2 लाख ही एक्टिव सोल्जर्स हैं. 

तब किराए की सेना की क्यों पड़ रही जरूरत?

रूस की तर्ज पर यूक्रेन भी टेंपररी सैनिकों की भर्जी कर रहा है. यहां तक कि उसके पास ऐसे पश्चिमी देशों से भी मदद आ रही है, जो रूस से दुश्मनी रखते हैं. यही वजह है कि छोटा और कथित तौर पर कमजोर देश भी डेढ़ सालों से उससे मुकाबला कर रहा है. 

are russia and ukraine recruiting foreign fighters representational image- AP

कौन से देश यूक्रेन के साथ 

अमेरिका और यूरोप को छोड़ दें तो भी मिडिल-इनकम या कई गरीब देश भी यूक्रेन का साथ दे रहे हैं. इनमें आर्मेनिया, अजरबैजान और लिथुआनिया शामिल हैं. चेचन्या रिपब्लिक लंबे समय से रूस से दुश्मनी पाले हुए हैं. मुस्लिम बहुल आबादी वाले इस देश ने लगभग एक सदी पहले ही रूस से आजादी चाही थी, लेकिन कूटनीतिक स्तर पर भी अब भी यहां रूसी दखल है. इस नाराजगी के चलते बेहद मजूबत माने जाते चेचन्याई भी रूस के खिलाफ यूक्रेन की पीठ से पीठ मिलाकर खड़े हैं. 

Advertisement

क्या नफा-नुकसान है किराए के लड़ाकों से

- इसमें होस्ट कंट्री के अपने लोग सुरक्षित रहते हैं. खतरनाक हालातों में फॉरेन फाइटर्स को भेजकर अपनों को सेफ रख लिया जाता है. 

- फॉरेन फाइटर्स चूंकि सीधे सेना से नहीं होते इसलिए देश उनकी जिम्मेदारी से जब चाहे पल्ला झाड़ सकते हैं. 

- बाहर के सैनिकों के पास खुफिया जानकारी होने का खतरा कम से कम रहता है. 

- आमतौर पर ये लड़ाके सैन्य प्रोटोकॉल तोड़कर मारपीट मचाते हैं. इससे दुश्मन देश जल्दी पस्त हो सकता है.

Live TV

Advertisement
Advertisement