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असम: मियां म्यूजियम के उद्घाटन से सील होने तक का पूरा विवाद यहां समझिए

असम के मियां म्यूजियम को लेकर एक ऐसा विवाद खड़ा हो चुका है जो खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. ये विवाद असम की संस्कृति से भी जुड़ा है और संस्कृति को लेकर किए गए कई दावों पर भी आधारित है.

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मियां म्यूजियम वाला पूरा विवाद यहां समझिए (तस्वीरें- पीटीआई और ट्विटर)
मियां म्यूजियम वाला पूरा विवाद यहां समझिए (तस्वीरें- पीटीआई और ट्विटर)

असम के गोलापाड़ा जिले में मुस्लिम समुदाय से जुड़े मियां म्यूजियम के उद्घाटन और फिर सील करने वाले मामले ने राज्य की सियासत में उबाल ला दिया है. रविवार को जिस म्यूजियम का उद्घाटन किया गया, मंगलवार को उसे सील भी कर दिया गया. इस सब के ऊपर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के एक बयान ने भी विवाद को बढ़ाने का काम किया. ऐसे में इस मामले में अभी दो बड़े वर्जन चल रहे हैं, एक वो जो ऑल असम मियांं परिषद द्वारा बताया जा रहा है और दूसरा वो जो बीजेपी और सीएम हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा दिखाया जा रहा है. कौन सही, कौन गलत, ये बहस का विषय, लेकिन इस पूरे विवाद को सरल शब्दों में समझा जरूर जा सकता है.

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क्या है मियां म्यूजियम, क्यों खोला गया?

यहां सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि असम में बंगाली मूल के मुस्लिमों के लिए 'मियां' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. इसे ज्यादा अच्छा शब्द नहीं मानते और कुछ लोग अपमान के रूप में भी देखते हैं. अब रविवार यानी कि 23 अक्टूबर को असम के गोलापाड़ा जिले में मियां म्यूजियम का उद्घाटन किया गया था. ऑल असम मियांं परिषद द्वारा इस म्यूजियम का उद्घाटन हुआ. कहा गया था कि इस म्यूजियम के जरिए एक छोटे वर्ग की संस्कृति को संरक्षित किया जाएगा. मियां समुदाय से जुड़ी कई पुरानी वस्तुओं की वहां प्रदर्शनी भी होनी थी. लेकिन असम में इस म्यूजियम के उद्घाटन के बाद लोग तो इसे देखने क्या ही आए, विवाद ने ज्यादा तूल पकड़ा. सबसे पहले बीजेपी ने ही इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए जोर देकर कहा कि इस मियां म्यूजियम को बंद कर देना चाहिए. बीजेपी विधायक शिलादित्य देव ने तो यहां तक कहा था कि ये मियां समुदाय कभी भी असम की संस्कृति को स्वीकार नहीं करेगा, ऐसे में इस म्यूजियम को तुरंत सील करना चाहिए.

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म्यूजियम को दो दिन में सील क्यों किया?

अब ये सियासी बयानबाजी तो होती रही, लेकिन मंगलवार को एक बड़ी कार्रवाई हुई. इंडियन एक्स्प्रेस के मुताबिक गोलपाड़ा के लखीपुर रेवेन्यू सर्किल के एक अधिकारी ने ही इस मियां म्यूजियम को सील करने का आदेश दिया था. दावा ये किया गया कि जिस घर में ये मियां म्यूजियम बनाया गया, असल में वो प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY-G) के तहत बनवाया गया था. ऐसे में बवाल पूरा था और मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा पर कोई प्रतिक्रिया देने का दबाव बन रहा था. फिर जब असम सीएम ने जिला प्रशासन की सील करने वाली कार्रवाई का बचाव कर दिया, विवाद और ज्यादा बढ़ गया.

सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने क्या कहा?

असल में हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि मुझे समझ नहीं आया ये क्या संग्रहालय है. लुंगी को छोड़कर जो सामान वहां रखा गया है वो असमी लोगों से जुड़ा है. उन्होंने नंगोल (खेत जोतने वाला हल), मछली पकड़ने के उपकरण वहां रखे हैं, लेकिन इन पारंपरिक उपकरणों को हमारे यहां अनुसूचित जाति के लोग कई दशकों से इस्तेमाल कर रहे हैं. लुंगी के अलावा उसमें नया क्या है? वो सरकार के सामने ये साबित करें कि नंगोल केवल मियांं लोग इस्तेमाल करते थे, बाकी लोग नहीं. अगर उन्होंने इन उपकरणों को मियांं म्यूजियम में रखा तो केस फाइल किया जाएगा. अब इस बयान के अलावा असम सीएम ने असम मियां परिषद की फंडिंग को लेकर भी सवाल उठा दिए थे, कहा गया था कि फंडिग में पारदर्शिता की कमी है.

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विवाद कुछ लोगों की गिरफ्तारी तक कैसे पहुंचा?

ऐसे में असम सीएम ने तो सील वाले आदेश का बचाव किया, उनकी तरफ से ही आगे और विस्तृत जांच का भी रास्ता खोल दिया गया. इसी वजह से असम पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को हिरासत में लिया, एक तो असम मियां परिषद के अध्यक्ष मोहर अली को हिरासत में लिया गया और फिर संगठन के महासचिव अब्दुल बातेन शेख भी पकड़े गए. बड़ी बात ये है कि जिस घर में मियां म्यूजियम बनाया गया, वो मोहर अली का ही है. ऐसे में उसे जब सील किया गया था, मोहर अली ही वहां बैठकर उस आदेश के खिलाफ धरना दे रहे थे. उनका कहना था कि मियांं लोग दूसरे मुस्लिम समुदाय से अलग नहीं हैं, वे भी इसी समाज का हिस्सा हैं. यहां तक कहा गया कि ये धारणा बदलने के लिए ही मियांं म्यूजियम लाया गया था.

लेकिन अब इस समय मियांं म्यूजियम को खोलने के पीछे जो भी उदेश्य थे, वो पीछे छूट चुके हैं. अब तो इस पूरे विवाद में कई एंगल जुड़ चुके हैं. आतंकी कनेक्शन तक की बात आ रही है, ऐसे में कौन सही कौन गलत, सारी बहन इस बात को लेकर है.

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