माफिया डॉन अतीक अहमद के बेटे असद का एनकाउंटर हो गया है. यूपी एसटीएफ ने झांसी के पास उसको एनकाउंटर में ढेर कर दिया. असद उमेश पाल हत्याकांड में आरोपी था. असद के साथ ही उसके साथी गुलाम को भी एनकाउंटर में मार गिराया गया है.
यूपी एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश ने बताया कि पिछले डेढ़ महीने से असद अहमद और गुलाम को ट्रेस कर रही थी. एक बार तो गुलाम पांच मिनट की देरी से मिस हो गया था. इस बार उन्हें झांसी में लोकेट कर लिया गया.
पुलिस के मुताबिक, दोनों झांसी के पास पारीछा डैम के पास छिपकर बैठे थे. एनकाउंटर के बाद मौके से कई हथियार भी मिले हैं. पुलिस का कहना है कि हम उन्हें जिंदा पकड़ना चाहते थे.
असद अहमद और गुलाम, दोनों पर पांच लाख रुपये का इनाम था. दोनों उमेश पाल हत्याकांड में फरार चल रहे थे. 24 फरवरी को उमेश पाल की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी.
झांसी तक कैसे पहुंचे थे असद और गुलाम?
- उमेश पाल हत्याकांड के बाद असद और गुलाम सबसे पहले बाइक पर बैठकर कानपुर पहुंचे थे. कानपुर से दोनों ने बस ली और नोएडा डीएनडी पर उतरे.
- नोएडा डीएनडी पर पहले से ही दोनों के कई साथी मौजूद थे. इन्होंने दोनों को ऑटो में बैठाया में दिल्ली के संगम विहार लेकर गए. संगम विहार में असद और गुलाम 15 दिन तक रुके.
- दिल्ली में दो हफ्ते से ज्यादा तक वक्त बिताने के बाद दोनों अजमेर पहुंचे. अजमेर में भी दोनों कुछ दिन तक रुके. अजमेर से दोनों झांसी चले गए.
झांसी कैसे पहुंची यूपी एसटीएफ?
- झांसी में अतीक अहमद के कई करीबियों के होने की जानकारी यूपी एसटीएफ को मिली थी. इसके बाद पुलिस टीम ने झांसी से दो मददगारों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की थी.
- बताया जा रहा है कि झांसी में अतीक अहमद के पुराने करीबियों ने ही असद और गुलाम को पनाह दी थी.
एनकाउंटर वाली टीम में कौन-कौन शामिल?
- डिप्टी एसपी नवेन्दु कुमार.
- डिप्टी एसपी विमल कुमार सिंह.
- एसपी अनिल कुमार सिंह.
- एसपी ज्ञानेंद्र कुमार राय.
- दरोगा विनय तिवारी.
- हेड कॉन्स्टेबल पंकज तिवारी.
- हेड कॉन्स्टेबल सोनू यादव.
- हेड कॉन्स्टेबल सुशील कुमार.
- हेड कॉन्स्टेबल सुनील कुमार.
- हेड कॉन्स्टेबल भूपेंद्र कुमार.
- कमांडो अरविंद कुमार.
- कमांडो दिलीप कुमार यादव.
कैसे बचता रहा था असद?
- यूपी एसटीएफ ने 2 अप्रैल को अतीक अहमद के जीजा अखलाक को मेरठ से गिरफ्तार किया था. अखलाक को शूटरों को छिपाने और उनकी भागने में मदद करने के इल्जाम में गिरफ्तार किया गया था.
- न्यूज एजेंसी ने पुलिस सूत्रों के हवाले से बताया था कि उमेश पाल की हत्या करने के बाद अखलाक की मदद से ही असद वहां से भागने में कामयाब हुआ था.
- दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जावेद, खालिद और जीशान नाम के बदमाशों को पकड़ा था. खालिद और जीशान ने पूछताछ में खुलासा किया था कि उन्होंने असद और गुलाम को पनाह दी थी.
- वहीं, जावेद को 30 मार्च को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था. उसने भी बताया था कि उमेश पाल की हत्या के बाद असद और गुलाम से उसने मुलाकात की थी.
- हत्याकांड के बाद कई दिनों तक असद दिल्ली में ही छिपा था. दिल्ली से ही उसका कोई साथी मेरठ गया था. उसने मेरठ से पैसे लाकर असद को दिए थे.
अतीक की जिद थी- हत्याकांड में शामिल हो असद
- जब उमेश पाल की हत्या की साजिश रची जा रही थी, तब अतीक अहमद के भाई अशरफ और शूटर गुलाम नहीं चाहते थे कि इसमें असद को भी शामिल किया जाए. अतीक अहमद की जिद के कारण असद को इस हत्याकांड में शामिल किया गया और उससे गोली चलवाई गई.
- उमेश पाल की हत्या के बाद जब इसमें असद का नाम सामने आया था तो पत्नी शाइस्ता परवीन ने अतीक अहमद को फोन भी लगाया था. शाइस्ता ने इस हत्याकांड में असद को शामिल करने के लिए नाराजगी जताई थी.
- इस पर अतीक अहमद ने शाइस्ता को डांटते हुए कहा था कि असद की वजह से वो 18 साल बाद चैन की नींद सो पाया है. उमेश पाल की वजह से उसकी नींद हराम हो गई थी. असद शेर का बेटा और उसने शेरों वाला काम किया है.