बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का डिप्लोमैटिक पासपोर्ट रद्द कर दिया गया है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने ये फैसला लिया है.
शेख हसीना ने पांच अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफे के बाद उन्हें बांग्लादेश भी छोड़ना पड़ा था. तब से ही शेख हसीना भारत में रह रहीं हैं. हालांकि, अब डिप्लोमैटिक पासपोर्ट रद्द होने के बाद उनकी मुश्किलें और बढ़ गईं हैं.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने उनका डिप्लोमैटिक पासपोर्ट ऐसे वक्त रद्द किया है, जब एक दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र की एक टीम मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की जांच के लिए ढाका पहुंची थी. बांग्लादेश में हुई हिंसा में 450 से ज्यादा लोगों के मारे जाने का दावा किया जा रहा है. कुछ मौतों के सिलसिले में शेख हसीना के खिलाफ भी हत्या का मामला दर्ज किया गया है.
बांग्लादेश के गृह मंत्रालय ने बताया कि शेख हसीना और उनकी सरकार में मंत्री रहे नेताओं और सांसदों के पासपोर्ट रद्द कर दिए गए हैं.
पासपोर्ट क्यों किया गया रद्द?
दरअसल, पांच अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. उनके इस्तीफे के बाद संसद को भी भंग कर दिया गया था. इसलिए सभी के डिप्लोमैटिक पासपोर्ट रद्द कर दिए गए हैं.
ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय ने पूर्व प्रधानमंत्री, उनके सलाहकारों, पूर्व कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों को अपने डिप्लोमैटिक पासपोर्ट जमा कराने को कहा है. यही नियम उनके परिवार के सदस्यों पर भी लागू होता है. यानी, शेख हसीना के परिवार के जिन भी सदस्यों के पास डिप्लोमैटिक पासपोर्ट होगा, उन्हें वो जमा कराना होगा.
गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि डिप्लोमैटिक पासपोर्ट जमा कराने के बाद वो जनरल पासपोर्ट के लिए अप्लाई कर सकते हैं. दो सुरक्षा एजेंसियों की मंजूरी के बाद उन्हें जनरल पासपोर्ट जारी कर दिया जाएगा.
हालांकि, गृह मंत्रालय ने ये नहीं बताया है कि अगर कोई व्यक्ति अपना डिप्लोमैटिक पासपोर्ट जमा नहीं करता है, तो उसके खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
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इसका असर क्या होगा?
बांग्लादेश में तीन तरह के पासपोर्ट जारी किए जाते हैं. पहला है- डिप्लोमैटिक पासपोर्ट, जो लाल रंग के कवर में आता है. ये पासपोर्ट प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, डिप्लोमैट्स, टॉप रैंकिंग सरकारी अफसरों, सांसदों, मंत्रियों को जारी किया जाता है. इस पासपोर्ट के कई सारे फायदे होते हैं. जिनके पास डिप्लोमैटिक पासपोर्ट होता है, वो कई देशों में बगैर वीजा के भी जा सकते हैं.
दूसरा- ऑफिशियल पासपोर्ट होता है जो नीले रंग के कवर में आता है. ये पासपोर्ट सरकारी अफसरों और कर्मचारियों को आधिकारिक यात्रा के लिए जारी किया जाता है. जबकि, जनरल पासपोर्ट हरे रंग के कवर में आता है, जो आम नागरिकों को दिया जाता है.
सबसे ताकतवर डिप्लोमैटिक पासपोर्ट होता है. जिनके पास भी ये पासपोर्ट होता है, उन्हें विदेशों में कई सारे विशेषाधिकार मिलते हैं. डिप्लोमैटिक पासपोर्ट होल्डर्स को किसी देश की यात्रा करने के लिए वीजा की जरूरत भी नहीं पड़ती.
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके परिवार के सदस्यों का डिप्लोमैटिक पासपोर्ट रद्द होने का मतलब है कि अब तक उन्हें जो सुविधाएं मिल रही थीं, वो अब नहीं मिलेंगी.
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के इस फैसले से भारत के लिए भी कूटनीतिक परेशानी खड़ी हो सकती है. बांग्लादेशी मीडिया में बताया जा रहा है कि शेख हसीना और उनकी पार्टी के पूर्व सांसदों-मंत्रियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं और उन्हें वापस लौटना पड़ सकता है.
भारत की भी बढ़ेगी चिंता?
शेख हसीना के इस्तीफे के बाद आठ अगस्त को बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनी थी. मोहम्मद यूनुस को इसका मुखिया बनाया गया है. मोहम्मद यूनुस और शेख हसीना धुर-विरोधी माने जाते हैं.
अब शेख हसीना भारत में हैं और मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की सत्ता में हैं. शेख हसीना का डिप्लोमैटिक पासपोर्ट रद्द करने के फैसले को भारत पर दबाव बनाने की कोशिश से जोड़कर देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि बांग्लादेश ने ये फैसला इसलिए लिया ताकि भारत पर शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए दबाव बनाया जा सके.
भारत की वीजा पॉलिसी के अनुसार, डिप्लोमैटिक या ऑफिशियल पासपोर्ट वाले बांग्लादेशी नागरिक बगैर वीजा के 45 दिन तक भारत में रह सकते हैं. शेख हसीना को 23 अगस्त तक भारत में 18 दिन हो चुके हैं. बांग्लादेशी न्यूज वेबसाइट 'द डेली स्टार' का दावा है कि शेख हसीना के पास डिप्लोमैटिक पासपोर्ट के अलावा और कोई पासपोर्ट नहीं है. अब उनका डिप्लोमैटिक पासपोर्ट भी रद्द कर दिया गया है. ऐसे में भारत के लिए कूटनीतिक समस्या खड़ी हो गई है.
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तो क्या शेख हसीना को लौटना होगा?
शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में 50 से ज्यादा क्रिमिनल केस दर्ज हो गए हैं. इनमें से 40 से ज्यादा मर्डर और किडनैपिंग से जुड़े हैं.
शेख हसीना का डिप्लोमैटिक पासपोर्ट रद्द होने के बाद बांग्लादेश की सरकार उनके प्रत्यर्पण की मांग भी कर सकती है. बांग्लादेश में कई दिनों से ही उनके प्रत्यर्पण की मांग उठ रही है. बांग्लादेश के विदेश मंत्री तौहिद हुसैन ने हाल ही में न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को दिए इंटरव्यू में शेख हसीना के प्रत्यर्पण का संकेत दिया था. उन्होंने कहा था कि बांग्लादेश में उनके खिलाफ कई केस दर्ज किए गए हैं, ऐसे में उनकी वापसी की जरूरत पड़ सकती है.
भारत और बांग्लादेश के बीच 2013 से प्रत्यर्पण संधि है. प्रत्यर्पण संधि के मुताबिक, दोनों देशों को एक-दूसरे के अपराधी सौंपने पड़ते हैं. प्रत्यर्पण संधि के कारण ही नवंबर 2015 में बांग्लादेश ने अनूप चेतिया को भारत को सौंपा था. अनूप चेतिया असम के अलगाववादी संगठन उल्फा का नेता था और 1997 से ढाका की जेल में बंद था.
डिप्लोमैटिक पासपोर्ट रद्द करने के बाद अब बांग्लादेश की सरकार भारत पर शेख हसीना को प्रतर्पित करने का दबाव बना सकती है. दोनों देशों के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि में प्रावधान है कि अगर किसी व्यक्ति ने ऐसा अपराध किया है जिसमें कम से कम एक साल की सजा का प्रावधान है, तो उसे प्रत्यर्पित किया जाएगा. संधि में लिखा हुआ है कि अगर किसी व्यक्ति ने राजनैतिक स्वरूप का कोई अपराध किया है तो उसके प्रत्यर्पण से इनकार भी किया जा सकता है. हालांकि हत्या, नरसंहार और अपहरण जैसे अपराधों में शामिल व्यक्ति को प्रत्यर्पित करने से इनकार नहीं किया जा सकता.
शेख हसीना के प्रत्यर्पण से जुड़े सवाल पर पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि ये अभी हाइपोथेटिकल सवाल है और फिलहाल इस पर जवाब देना प्रैक्टिकली नहीं है.
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने भी कहा था कि शेख हसीना ने जो अपराध किए हैं, उस आधार पर उनका प्रत्यर्पण किया जाना चाहिए. इससे पहले बीएनपी के नेता मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने कहा था कि भारत को शेख हसीना को बांग्लादेश को कानूनी तरीके से सौंप देना चाहिए.
बहरहाल, अब शेख हसीना की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. साथ ही भारत के लिए भी कूटनीतिक परेशानी खड़ी हो रही है. हालांकि, कुछ ही दिन पहले शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय ने कहा था कि वो जल्द ही बांग्लादेश लौटना चाहती हैं.