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नीतीश के 'यूटर्न' से कमजोर हो रही JDU! 11 साल में चार बार पलटे, आधे से भी कम हुई विधायक की संख्या

नीतीश कुमार ने एक बार फिर पलटी मार ली है. उन्होंने आरजेडी का साथ छोड़कर एनडीए के साथ मिलकर सरकार बना ली है. नीतीश का पलटी मारना उनकी पार्टी के लिए कुछ खास अच्छा नहीं रहा है. 11 साल में नीतीश चार बार यूटर्न ले चुके हैं और उनकी पार्टी के विधायकों की संख्या 115 से घटकर 43 पर आ गई है.

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नीतीश कुमार ने रविवार को 9वीं बार सीएम पद की शपथ ली.
नीतीश कुमार ने रविवार को 9वीं बार सीएम पद की शपथ ली.

बिहार की सियासत तीन दिन में जितनी तेजी से बदली, वो हैरान करने वाली नहीं थी. क्योंकि बिहार में ऐसा पहली बार नहीं हो रहा था. 

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 17 महीने बाद आरजेडी का साथ छोड़ दिया. उन्होंने रविवार को गठबंधन से अलग होने और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद कहा, 'हम लोग इतनी मेहनत कर रहे थे और सारा क्रेडिट दूसरे लोग (आरजेडी) ले रहे थे. अब नए गठबंधन में जा रहे हैं.'

इस्तीफा देने के कुछ ही घंटे बाद नीतीश बीजेपी के समर्थन से फिर मुख्यमंत्री बन गए. सीएम पद की शपथ लेने के बाद नीतीश ने कहा, 'मैं पहले भी उनके साथ था. हम अलग-अलग राहों पर चले, लेकिन अब हम साथ हैं और रहेंगे. मैं जहां (एनडीए) था, वहां वापस आ गया हूं और अब कहीं और जाने का सवाल ही नहीं उठता.'

मुख्यमंत्री रहते हुए नीतीश कुमार का ये चौथा यूटर्न है. लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश का यूं पाला बदलना विपक्षी 'इंडिया' गठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. हालांकि, आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि जब-जब नीतीश कुमार ने 'पलटी' मारी है, उसका खामियाजा उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) को भुगतना पड़ा है. एक समय बिहार में सबसे ज्यादा सीटें जेडीयू के पास ही थीं, लेकिन आज उसके पास बहुत कम सीटें हैं.

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पाला बदलने का जेडीयू पर असर

साल 2005 का विधानसभा चुनाव बीजेपी और जेडीयू ने मिलकर लड़ा. इस चुनाव में बीजेपी को 55 और जेडीयू ने 88 सीटें जीतीं. 

इसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी-जेडीयू गठबंधन ने यहां की 40 में से 32 सीटें जीत लीं. जबकि, 2004 के आम चुनाव बीजेपी-जेडीयू गठबंधन 11 सीटें ही जीत पाया था.

पहली बार पलटे तो 115 से 71 पर पहुंचे

साल 2013 में बीजेपी ने जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया तो नीतीश कुमार नाराज हो गए. उन्होंने 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया. 

2014 का लोकसभा चुनाव जेडीयू ने सीपीएम के साथ मिलकर लड़ा. वहीं, बीजेपी और एलजेपी का गठबंधन हुआ. इस चुनाव में जेडीयू सिर्फ दो सीट ही जीत सकी. जबकि, बीजेपी-एनजेपी गठबंधन ने 31 सीटों पर जीत दर्ज की. इस हार के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उनकी जगह जीतनराम मांझी मुख्यमंत्री बने.

2015 का विधानसभा चुनाव जेडीयू ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा. इस बार जेडीयू ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा और 71 पर जीत मिली. जबकि, 2010 का चुनाव जेडीयू ने बीजेपी के साथ मिलकर लड़ा था और तब नीतीश कुमार की पार्टी ने 115 सीटों पर जीत हासिल की थी.

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दूसरे यूटर्न पर फिर घट गईं सीटें

आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर महागठबंधन की सरकार चला रहे नीतीश कुमार जुलाई 2017 में इस गठबंधन से भी अलग हो गए. उन्होंने फिर एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनाई.

दोबारा बीजेपी के साथ आने का फायदा जेडीयू को लोकसभा चुनाव में तो मिला, लेकिन विधानसभा में उसे बड़ा नुकसान हुआ. 2019 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने 16 सीटें जीतीं. जबकि, एनडीए गठबंधन को 40 में से 39 सीटों पर जीत मिली.

लेकिन 2020 में जब बिहार में विधानसभा चुनाव हुए तो जेडीयू पचास का आंकड़ा भी पार नहीं कर सकी. इस चुनाव में चार पार्टियां एनडीए के साथ थीं. जेडीयू ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे सिर्फ 43 सीटों पर ही जीत मिली. इसके उलट बीजेपी ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा और 74 पर जीत हासिल की.

चुनाव नतीजों के बाद एलजेडी और बसपा का एक-एक विधायक जेडीयू में शामिल हो गया. इससे नीतीश कुमार की पार्टी के विधायकों की संख्या 45 हो गई. 

मुख्यमंत्री रहते हुए नीतीश कुमार के यूटर्न

- पहली बारः 2013 में जब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया, तो इससे नाराज होकर नीतीश ने एनडीए से गठबंधन तोड़ दिया. उन्होंने आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाई. 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू की हार के बाद नीतीश ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया था.

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- दूसरी बारः 2015 का चुनाव नीतीश ने आरजेडी के साथ मिलकर लड़ा और महागठबंधन की सरकार बनी. लेकिन 2017 में तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. नीतीश ने 26 जुलाई 2017 को सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और गठबंधन भी तोड़ दिया. उसके बाद उन्होंने फिर एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनाई.

- तीसरी बारः 2022 में नीतीश कुमार की बीजेपी से फिर अनबन शुरू हो गई. ये अनबन इतनी बढ़ गई कि 9 अगस्त 2022 को उन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ दिया. उन्होंने इसे अंतर्आत्मा की आवाज बताया. बाद में उन्होंने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई.

- चौथी बारः जनवरी 2024 में नीतीश कुमार की आरजेडी से तनातनी शुरू हो गई थी. आखिरकार नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग हो गए. नीतीश कुमार का कहना है कि उन्होंने अपने लोगों की राय सुनी. अब वो बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं.

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