बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने गुरुवार को अजीब मांग रखी. उन्होंने कहा कि बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों को मिलाकर उन्हें एक केंद्र शासित प्रदेश बना देना चाहिए.
लोकसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए निशिकांत दुबे ने कहा कि झारखंड के संथाल परगना रीजन में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण आदिवासियों की आबादी घट रही है. निशिकांत दुबे भी संथाल परगना रीजन की गोड्डा सीट से सांसद हैं.
केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग क्यों?
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद, बिहार के अररिया, किशनगंज और कटिहार और झारखंड के संथाल परगना रीजन को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बना देना चाहिए. इसके साथ ही यहां पर एनआरसी भी लागू की जानी चाहिए.
संथाल परगना रीजन में छह जिले- गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज और पाकुर आते हैं.
निशिकांत दुबे ने दावा किया कि बांग्लादेशी घुसपैठिए इन इलाकों में आकर आदिवासी महिलाओं से शादी करते हैं, जो जिला पंचायत से लेकर लोकसभा का चुनाव तक लड़ती हैं. उन्होंने कहा, लोकसभा और जिला पंचायत का चुनाव लड़ने वालीं ज्यादातर महिलाओं के पति मुस्लिम हैं. झारखंड में कम से कम 100 गांव ऐसे हैं, जहां की ग्राम प्रधानों के पति मुस्लिम हैं.
उन्होंने कहा कि ये हिंदू-मुसलमान का मुद्दा नहीं है, बल्कि क्षेत्र में बाहरी लोगों के बसने का मामला है. दुबे ने कहा कि संथाल परगना में मुसलमानों की आबादी बढ़ गई है, क्योंकि मालदा और मुर्शिदाबाद से बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं और गांवों से हिंदू आबादी को बाहर निकाल रहे हैं.
दुबे ने दावा किया कि 2000 में जब बिहार से अलग होकर झारखंड बना था, तब संथाल परगना रीजन में 36% आबादी आदिवासियों की थी, जो अब घटकर 26% हो गई. उन्होंने ये भी दावा किया कि राज्य की 25 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 110% से 125% तक बढ़ गई है.
कोई क्षेत्र कैसे बनता है केंद्र शासित प्रदेश?
किसी भी इलाके या क्षेत्र को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है. वो भी तब, जब संसद में उसपर मुहर लगती है.
किसी भी इलाके या क्षेत्र को केंद्रशासित प्रदेश बनाते समय कई बातों का ध्यान रखा जाता है. मसलन, ऐसे इलाके जो भारत के हिस्सा तो होते हैं लेकिन वो मेनलैंड से बहुत दूर होते हैं. इसलिए किसी पड़ोसी राज्य का हिस्सा नहीं बन सकते. लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार इसका उदाहरण हैं. दोनों ही भारत के हिस्से हैं, लेकिन मेनलैंड से दूर हैं.
इसके अलावा अगर कोई इलाका या क्षेत्र आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से बहुत छोटा होता है और उसे अलग राज्य का दर्जा देना मुश्किल होता है तो उसे केंद्रशासित प्रदेश बना दिया जाता है.
वहीं, किसी इलाके की खास सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए भी उन्हें केंद्रशासित प्रदेश बना दिया जाता है. इसके अलावा राजनैतिक और प्रशासनिक कारणों से भी केंद्रशासित प्रदेश बनाया जाता है.
इन तीन कारणों से बनाए जाते हैं केंद्र शासित प्रदेश
1. भौगोलिक कारणः भारत के कुछ ऐसे हिस्से जो मेनलैंड से बहुत दूर होते हैं. इसके साथ ही आबादी और क्षेत्रफल के लिहाज से ये इतने छोटे हैं कि इन्हें अलग राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता. ऐसी स्थिति में उन्हें केंद्र शासित प्रदेश बना दिया जाता है. लक्षद्वीप और अंडमान-निकोबार इसके उदाहरण हैं.
2. सांस्कृतिक कारणः दमन दीव और दादरा नगर हवेली में पुर्तगाल और पुडुचेरी में फ्रांस का लंबे वक्त तक शासन रहा है, इसलिए यहां की संस्कृति उनसे मेल खाती है. ऐसे में उनकी सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने के लिए इन्हें केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दे दिया गया.
3. राजनैतिक कारणः राजनैतिक और प्रशासनिक वजहों से भी केंद्र शासित प्रदेश बनते हैं. दिल्ली को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन डीसी की तरह बाकी राज्यों से अलग रखा गया है. यहां विधानसभा भी रखी गई है. इसी तरह जब पंजाब और हरियाणा अलग-अलग राज्य बने तो चंडीगढ़ को लेकर विवाद हुआ. लिहाजा चंडीगढ़ को भी केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. दिल्ली के अलावा पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर में भी अपनी विधानसभा है.
केंद्र शासित प्रदेशों का कंट्रोल किसके पास?
राज्यों में तो उनकी चुनी हुई सरकारें काम करती हैं, लेकिन केंद्र शासित प्रदेशों पर सीधे-सीधे राष्ट्रपति का शासन होता है. राष्ट्रपति हर केंद्र शासित प्रदेश में 'प्रशासक' और 'उपराज्यपाल' की नियुक्ति करते हैं.
केंद्र शासित प्रदेशों का शासन राष्ट्रपति इन्हीं प्रशासकों और उपराज्यपालों की मदद से चलाते हैं. हालांकि, संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति हर काम कैबिनेट की सलाह पर करते हैं, लिहाजा इनपर केंद्र सरकार का ही शासन होता है.
अंडमान-निकोबार, दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर में उपराज्यपाल होते हैं. जबकि दमन दीव और दादरा नगर हवेली, लक्षद्वीप, चंडीगढ़ और लद्दाख में प्रशासक होते हैं.