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साल 2024 के आम चुनाव में बीजेपी की अगुवाई वाले NDA का मुकाबला विपक्षी पार्टियों के नए गठबंधन I.N.D.I.A. से होगा. एनडीए ने 2024 का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लड़ने का प्रस्ताव पास किया.
मंगलवार को एनडीए की दिल्ली में बैठक हुई थी. इस बैठक में बीजेपी के अलावा 38 पार्टियां शामिल हुई थीं. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए की नई परिभाषा दी. उन्होंने कहा, N से न्यू इंडिया, D से डेवलपमेंट और A से एस्पिरेशन.
पीएम मोदी ने इस बैठक में सहयोगी पार्टियों को संबोधित करते हुए कहा कि 2024 में लगातार तीसरी बार एनडीए सत्ता में वापसी करेगा. उन्होंने कहा कि अगले चुनाव में एनडीए को 50 फीसदी से ज्यादा वोट मिलेंगे.
पीएम मोदी ने कहा, '90 के दशक में कांग्रेस ने गठबंधन का इस्तेमाल देश में अस्थिरता लाने के लिए किया. कांग्रेस ने सरकारें भी बनाईं और उन्हें गिराया भी. इसी दौरान 1998 में एनडीए बना. एनडीए का गठन किसी सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए नहीं, बल्कि देश में स्थिरता लाने के लिए किया गया था.'
एनडीए क्यों बना था?
- 90 के दशक में देश की राजनीति तेजी से बदल रही थी. ये वो दौर था जब कांग्रेस को लेकर नाराजगी बढ़ रही थी. कई राज्यों में कांग्रेस कमजोर होती जा रही थी.
- 1980 से 1989 तक तो सब ठीक था. लेकिन उसके बाद अगले कई साल राजनीतिक रूप से बड़े उथल-पुथल भरे रहे. इसका नतीजा ये हुआ कि 1989 से लेकर 1999 तक सात प्रधानमंत्री बदल गए.
- इसके बाद मई 1998 में बीजेपी की अगुवाई एनडीए यानी नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस का गठन हुआ. अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने मिलकर इसको बनाया था.
- 1998 के चुनाव में एनडीए की सरकार बनी. एनडीए को 261 सीटें मिलीं. बीजेपी ने 182 सीटें जीतीं. एनडीए में उस समय कुल 16 पार्टियां थीं, जिनमें ममता बनर्जी की टीएमसी और जयललिता की अन्नाद्रमुक भी शामिल थीं.
- हालांकि, इस गठबंधन में टूट पड़ गई. जयललिता की अन्नाद्रमुक ने अपना समर्थन वापस ले लिया. इससे वाजपेयी सरकार अल्पमत में आ गई. इसके बाद ये एनडीए सरकार मात्र एक वोट से गिर गई.
1999 में जोरदार वापसी
- पहली एनडीए सरकार गिरने के बाद 1999 में फिर आम चुनाव हुए. इस बार एनडीए में बीजेपी के साथ 11 और पार्टियां थीं. अन्नाद्रमुक दूर रही.
- इस चुनाव में भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी ने 182 सीटें जीतीं. हालांकि, उसका वोट शेयर कम हो गया था. एनडीए ने 299 सीटें जीती थीं.
- इस सरकार में 24 पार्टियां शामिल थीं. अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने. ये पहली बार था जब गैर-कांग्रेसी गठबंधन सरकार ने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया.
- अटल सरकार ने 2004 में आम चुनाव समय से पहले करवाने का फैसला लिया. लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने में चार महीने से ज्यादा का समय बचा था.
- हालांकि, ये दांव उल्टा पड़ गया. एनडीए के जवाब में कांग्रेस की अगुवाई में बने यूपीए ने 222 सीटें जीतीं. समाजवादी पार्टी और लेफ्ट पार्टियों ने यूपीए सरकार को बाहर से समर्थन दिया. उस चुनाव में बीजेपी 138 सीटों पर सिमट गई.
2014 में हुई फिर वापसी
- पहली 2004 और फिर 2009 में एनडीए की हार गई. एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी की सीटें और कम हो गईं. इस चुनाव में बीजेपी 116 सीट ही जीत सकी.
- 2014 में एनडीए के बैनर तले बीजेपी के साथ-साथ 28 पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा. बीजेपी ने 282 तो एनडीए ने कुल 336 सीटें जीतीं. हालांकि, एनडीए की सिर्फ 12 पार्टियां ही सीट जीतने में कामयाब रही थीं.
- इसके बाद 2019 में एनडीए के साथ 22 राजनीतिक पार्टियां थीं. इनमें से 13 के उम्मीदवार जीते थे. सबसे ज्यादा 303 सांसद बीजेपी के जीतकर आए थे. एनडीए ने कुल 352 सीटें जीती थीं.
अभी क्या है स्थिति?
- 2019 के चुनाव के बाद से एनडीए से कई पार्टियां बाहर आ चुकीं हैं. इनमें पंजाब की अकाली दल और बिहार की जेडीयू भी शामिल है.
- मंगलवार को एनडीए की मीटिंग में बीजेपी के अलावा 38 और पार्टियां आई थीं. इनके पास अभी लोकसभा में 338 सांसद हैं.