कश्मीर के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी (NIT) में पढ़ते एक छात्र पर स्थानीय मुस्लिमों से लेकर सोशल मीडिया तक गरमाया हुआ है. बुधवार को शुरू हुए इस विरोध की जड़ में कथित तौर पर ईशनिंदा है. स्थानीय लोग दावा कर रहे हैं कि महाराष्ट्र के हिंदू स्टूडेंट ने अपने इंस्टग्राम पर वीडियो शेयर किया, जिसमें इस्लाम का अपमान था. इस आरोप के साथ प्रोटेस्टर सर तन से जुदा जैसे नारे लगा रहे और छात्र को जान से मारने की धमकियां दे रहे हैं.
मामले का दूसरा एंगल भी है
बताया जा रहा है कि चूंकि छात्र ने अपनी परिचित लोकल कश्मीरी लड़की के साथ तस्वीर डाली थी इसलिए लोग नाराज थे और मौके की तलाश में थे. आरोपी ने अपनी वीडियो में कुछ कहा नहीं था, बल्कि हमास के संस्थापक के बेटे की वीडियो शेयर की थी, जिसमें वो चरमपंथ के खिलाफ बोल रहा है. लेकिन लोकल्स ने छात्र को ही घेरते हुए उसपर ईशनिंदा का आरोप लगा दिया.
फिलहाल क्या हो रहा है?
आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 153 (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास या भाषा के आधार पर शत्रुता) और धारा 295 (पूजा स्थल को अपवित्र या क्षतिग्रस्त करना) के तहत एफआईआर दर्ज हो चुकी है. साथ ही एनआईटी ने उसे सालभर के लिए कॉलेज से हटा दिया है. इस बीच प्रोटेस्टर मांग कर रहे हैं कि छात्र को इससे भी कड़ी सजा दी जाए, जैसे फांसी.
क्या है ईशनिंदा?
नाम से ही इसका मतलब साफ है- ईश्वर के बारे में अपशब्द कहना या किसी भी तरह का ऐसा संकेत देना जो ईश्वर की निंदा करता हो. इसमें शब्द ही नहीं, वीडियो और तस्वीरें तक शामिल हैं. यहां तक कि कार्टून भी ईश्वर की इमेज के खिलाफ नहीं जा सकते.
किन देशों में है कानून?
मुस्लिम-बहुत सारे देशों में इसके खिलाफ कानून है. अगर पाकिस्तान की बात करें तो वहां से लगातार ऐसी खबरें आती हैं, जिसमें ईशनिंदा के आरोप में लोगों को मार दिया गया. ऐसे लोग कानून तक पहुंचने से पहले ही भीड़ के गुस्से के शिकार हो जाते हैं. ईशनिंदा पर सबसे पहले ब्रिटेन ने साल 1860 में कानून बनाया, जो 1927 में संशोधित हुआ. बाद में मुस्लिम देश इसे लेकर और कट्टर होते चले गए.
- साल 1986 में पाकिस्तान में ईशनिंदा के दोषी को सजा-ए-मौत या उम्रकैद की सजा का प्रावधान बना.
- सऊदी अरब में भी इस्लामी कानून शरिया के तहत ईशनिंदा पर मौत की सजा मिलती है. यहां तक कि नास्तिकता की बात करने वाले भी इसी दायरे में आते हैं.
- ईरान में धर्म (मुस्लिम) का अपमान करने पर मौत की सजा दी जाती है.
- अफगानिस्तान भी इस्लामिक देश है, जहां ईशनिंदा पर फांसी या पत्थरों से मारने की सजा दी जाती है.
- मिस्र समेत कई देशों में इसपर कुछ सालों से लेकर उम्रकैद तक की सजा है. कई अफ्रीकी मुस्लिम देश इसपर मौत की सजा देते हैं.
- इंडोनेशिया में एक महिला मस्जिद में पालतू कुत्ता लेकर पहुंच गई, इसे धर्म का अपमान मानते हुए उसे मौत की सजा दी गई.
भारत में क्या है कानून?
हमारे यहां ईशनिंदा पर अलग से कोई कानून नहीं. आईपीसी की धारा 295 के तहत अगर कोई धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है तो उसे दो साल की कैद या जुर्माना देना पड़ सकता है. संविधान के अनुच्छेद 19A में हमें फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन मिला हुआ है, जिसके साथ हम आलोचना करने के लिए आजाद हैं, जब तक कि किसी की धार्मिक भावनाओं को भारी धक्का न लगे.
पश्चिमी देशों में क्या हैं हाल?
- अलग-अलग कल्चर से मिलकर बने देश अमेरिका में फ्रीडम ऑफ स्पीच के तहत कई बातें आती हैं, इसमें धार्मिक ग्रंथ को जलाना या फाड़ना अपराध नहीं.
- ऑस्ट्रेलिया ने नब्बे के दशक में ईशनिंदा को अपराध मानना बंद कर दिया, लेकिन वहां के कई राज्य अब भी ब्लासफेमी के लिए सजा देते हैं.
- कई देशों में ईशनिंदा की बजाए हेट स्पीच पर सजा की बात की गई. ये वे देश हैं, जो ज्यादातर मामलों में उदार हैं, लेकिन जहां की आबादी मिक्स्ड कल्चर वाली है.
- करीब 20 देशों में धर्म परिवर्तन नहीं किया सकता. यहां लोग इस्लाम को ही मान सकते हैं.
- इस्लामिक देशों पर अक्सर आरोप लगता है कि वे ईशनिंदा की आड़ में माइनोरिटी पर जुल्म कर रहे हैं.