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यौन शोषण के आरोपी प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस, क्या है ये, किन देशों पर लगा गलत इस्तेमाल का आरोप?

यौन शोषण मामले में घिरे जेडीएस नेता प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका. कर्नाटक के गृह मंत्री डॉ जी परमेश्वर ने यह जानकारी दी. अब इंटरपोल देखेगा कि आरोपी की भारत वापसी कैसे हो. सेक्स स्कैंडल की जांच के लिए एसआईटी भी बन चुकी, जिसने शनिवार को ही रेवन्ना के पिता एचडी रेवन्ना को भी छेड़छाड़ और अपहरण के आरोप में गिरफ्तार किया.

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जेडीएस नेता प्रज्वल रेवन्ना पर यौन उत्पीड़न के आरोप हैं. (Photo- Facebook)
जेडीएस नेता प्रज्वल रेवन्ना पर यौन उत्पीड़न के आरोप हैं. (Photo- Facebook)

यौन अपराधों के आरोपी कर्नाटक के सांसद प्रज्वल रेवन्ना पर जानकारी जुटाने के लिए ब्लू कॉर्नर नोटिस जारी किया किया. आरोपी के बारे में कहा जा रहा है कि वे डिप्लोमेटिक पासपोर्ट की मदद से जर्मनी जा चुके. लोकसभा चुनाव के ऐन बीच में इस खुलासे से कर्नाटक की राजनीति में भूचाल आया हुआ है. हालांकि माना जा रहा है कि ब्लू कॉर्नर नोटिस के बाद आरोपी की जल्द देश वापसी हो सकेगी और जांच शुरू होगी. 

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देश करते हैं एक-दूसरे की मदद

आरोपी हफ्तेभर से ज्यादा समय से देश से बाहर है. अब ब्लू कॉर्नर नोटिस के साथ ही ये संभावना बढ़ जाएगी कि जल्द से जल्द इस बात का पता लग सके कि वो कहां हैं. ब्लू कॉर्नर नोटिस निकलने पर खुद दूसरे देशों की पुलिस आरोपी को खोजने में मदद करेगी. इंटरपोल यानी इंटरनेशनल पुलिस की वेबसाइट में लिखा है कि ब्लू कॉर्नर किसी क्राइम से जुड़े शख्स के बारे में पता करने का काम करता है. नोटिस निकलने पर इंटरपोल के सदस्य देश चेक करते हैं कि दूसरे देश का आरोपी कहीं उनके यहां तो ठिकाना नहीं बना चुका. 

सीबीआई में इसे बी सीरीज नोटिस कहा गया है. ये एक तरह का इंक्वायरी नोटिस है, जो किसी की पहचान, उसके क्रिमिनल रिकॉर्ड और उसकी खोजबीन से जुड़ा है. मसलन, जनवरी 2020 में भगौड़े नित्यानंद की खोज में इंटरपोल ने ब्लू कॉर्नर नोटिस निकाला था. ये नोटिस गुजरात पुलिस की रिक्वेस्ट पर जारी हुआ था. 

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blue corner notice karnataka sexual exploitation case prajwal revanna photo PTI

क्या मतलब है इंटरपोल के नोटिस का

ये एक तरह की इंटरनेशनल रिक्वेस्ट है, जो किसी क्राइम से जुड़ी जानकारी के लिए निकलती है. इसमें सदस्य देश आपस में मदद करते हैं ताकि आरोपी या दोषी कहां है, ये पता लग सके, और उसे उस देश के सुपुर्द किया जा सके, जहां से वो है, या जहां उसने क्राइम किया हो. 

कौन-कौन नोटिस रिक्वेस्ट डाल सकता है

सदस्य देश के इंटरपोल राष्ट्रीय केंद्रीय ब्यूरो की रिक्वेस्ट पर सचिवालय नोटिस जारी करता है, जो डेटाबेस के जरिए सभी सदस्य देशों तक पहुंच जाता है.

इसके अलावा इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्रिब्यूनल और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट भी किसी अपराधी की धरपकड़ के लिए नोटिस निकलवा सकते हैं. ये क्रिमिनल नरसंहार, युद्ध अपराध या इसी तरह के बड़े अपराधों से जुड़े होते हैं. वैसे तो ये नोटिस पुलिस के काम के होते हैं और ज्यादातर कॉन्फिडेंशियल रखे जाते हैं लेकिन अगर सदस्य देश चाहे तो इसे पब्लिक के हित में सार्वजनिक भी कर सकता है. जैसे यूनाइटेड नेशन्स के सारे नोटिस पब्लिक में रखे जाते हैं ताकि लोग चौकन्ना रहें. 

इंटरपोल निकालता है कितनी तरह के नोटिस

- रेड नोटिस अपराधियों की लोकेशन जानने और उनके अरेस्ट से जुड़ा है. 

- ब्लू नोटिस में किसी आरोपी की पहचान, लोकेशन का पता लगाते हैं ताकि जांच हो सके. 

- यलो नोटिस मिसिंग लोगों, माइनर्स की मदद के लिए है. 

- ब्लैक नोटिस जब जारी होता है जब अज्ञात शवों की पहचान करनी हो. 

- ग्रीन नोटिस जनता को किसी क्रिमिनल के बारे में सचेत करता है. 

- ऑरेंज नोटिस किसी इवेंट या प्रोसेस की बात करता है जो लोगों के लिए खतरा हो सकते हैं. 

- इंटरपोल- यूएनएससी स्पेशल नोटिस- यह उन लोगों के लिए निकलता है जो यूएनएससी की पाबंदियों की श्रेणी में आते हों. 

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blue corner notice karnataka sexual exploitation case prajwal revanna photo AFP

रेड और ब्लू नोटिस का मकसद एक जैसा सुनाई देने के बाद भी फर्क है. रेड नोटिस तब जारी होता है, जब सदस्य देश किसी पर लीगल एक्शन लेने की तैयारी में हों. यानी आरोप साबित हो चुका होता है. वहीं ब्लू कॉर्नर क्रिमिनल चार्जेस फाइल होने से पहले की प्रोसेस है, जिसमें आरोपी की लोकेशन और बाकी सूचनाएं निकाली जाती हैं. 

क्या इंटरपोल के नोटिस का गलत इस्तेमाल भी संभव
 

वैसे तो इंटरपोल का संविधान इसका विरोध करता है कि देश किसी भी राजनैतिक बैर के लिए नोटिस का इस्तेमाल न करें लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा. रूस पर अक्सर ये आरोप लगता रहा कि वो इंटरपोल नोटिस के जरिए क्रेमलिन के विरोधियों की लोकेशन पता करवाता और उन्हें अरेस्ट करता है. मसलन, मानवाधिकार कार्यकर्ता बिल ब्राउडर, जो रूस की सरकार की कंपनियों में करप्शन की बात करते हैं, उन्हें कई बार रेड नोटिस का सामना करना पड़ा.

अमेरिकी थिंक टैंक फ्रीडम हाउस के अनुसार, अकेले रूस ही 38% रेड नोटिस जारी करता है. कई दूसरे देशों, जैसे चीन, ईरान और तुर्की पर भी इंटरपोल के नोटिस सिस्टम के गलत उपयोग के आरोप लगते रहे. चीन में एक प्रोग्राम है, पर्सुएशन टू रिटर्न. इसके तहत कथित तौर पर उन लोगों के खिलाफ नोटिस निकलता है, जो चीन की मौजूदा सरकार के कामकाज पर निगेटिव टिप्पणी कर दें. खासकर उइगर मुस्लिमों के सपोर्ट में बोलने वाले जो दूसरे देश चले गए हों, उन्हें पकड़ने के लिए चीन चकथित तौर पर रेड कॉर्नर नोटिस जारी करता रहा. 

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