ब्रिटेन में आम चुनाव का ऐलान हो गया है. प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने बताया कि ब्रिटेन में 4 जुलाई को चुनाव होगा. 1945 के बाद ये पहली बार है जब जुलाई में चुनाव होने जा रहे हैं. ऋषि सुनक ने चुनावों का ऐलान ऐसे वक्त किया है, जब उनकी कंजर्वेटिव पार्टी विपक्षी लेबर पार्टी से लगातार पिछड़ रही है. ऐसे में सुनक की इस घोषणा ने सबको चौंका दिया है.
प्रधानमंत्री आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट के बाहर संबोधित करते हुए ऋषि सुनक ने कहा, 'ब्रिटेन के लिए अपना भविष्य चुनने और ये तय करने का समय आ गया है कि क्या वो प्रोग्रेस को और आगे बढ़ाना चाहता है या फिर उसी स्तर पर वापस जाने का जोखिम उठाना चाहता है.'
सुनक ने दावा किया कि उनके पास एक क्लियर प्लान है. उन्होंने विपक्षी लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर पर आरोप लगाया कि उनके पास कोई प्लान नहीं है.
पर समय से पहले चुनाव कराने के सुनक के फैसले ने न सिर्फ उनकी पार्टी बल्कि विपक्ष को भी हैरान कर दिया है. इस पर ब्रिटेन के अखबार द गार्डियन ने लिखा, 'इसका मतलब है कि सुनक समझ गए हैं कि बुरा समय आना अभी बाकी है.'
वैसे कब होने थे चुनाव?
ब्रिटेन में हमेशा गुरुवार के दिन चुनाव होते हैं. 4 जुलाई को भी गुरुवार ही है. आमतौर पर नियम ये है कि संसद की पहली बैठक के पांच साल बाद ही संसद को भंग किया जाता है.
मौजूदा संसद की पहली बैठक के पांच साल 17 दिसंबर 2024 को पूरे होने थे. संसद भंग होने के बाद चुनावी तैयारियों के लिए 25 वर्किंग डेज का वक्त मिलता है. अगर इस प्रक्रिया को ही अपनाया जाता तो 28 जनवरी 2025 से पहले ब्रिटेन में चुनाव होने थे.
इतनी जल्दी चुनाव क्यों?
ऋषि सुनक के इस फैसले पर राजनीतिक विश्लेषकों की राय बंटी हुई है. कुछ इसे सुनक का बेहतरीन दांव मान रहे हैं तो कुछ ऐसे हैं जो इसे 'खुद पैर में कुल्हाड़ी मारना' वाला कदम बता रहे हैं.
इसे चुनावी दांव इसलिए माना जा रहा है क्योंकि कंजर्वेटिव पार्टी में ही एक धड़ा ऐसा भी उभर रहा है, जो सुनक को हटाना चाहता था. संसद भंग करने की सिफारिश और चुनावों का ऐलान कर सुनक ने पार्टी के भीतर के विरोधियों को ही मात दे दी.
हाल ही में आर्थिक मोर्चे पर सुनक सरकार के लिए राहत भरी खबर आई है. जिस दिन सुनक ने चुनावों का ऐलान किया, उसी दिन बैंक ऑफ इंग्लैंड ने बताया कि ब्रिटेन में महंगाई दर गिरकर 2.3 फीसदी पर आ गई है. जबकि, 2022 के आखिर में ये 11 फीसदी के पार चली गई थी. सुनक इस उपलब्धि को चुनाव में भुनाना चाहेंगे.
इसके अलावा इस बार ये भी माना जा रहा है कि 14 साल से सत्ता में बैठी कंजर्वेटिव पार्टी को इस बार लेबर पार्टी से कड़ी चुनौती मिल रही है. ज्यादातर ओपिनियन पोल में लेबर पार्टी की सरकार बनने का अनुमान लगाया गया है. जानकारों का मानना है कि जल्दी चुनाव कराने से लेबर पार्टी को प्रचार के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिलेगा. और कंजर्वेटिव पार्टी को लेकर जनता में जो नाराजगी है, वो और ज्यादा नहीं बढ़ेगी. इससे कंजर्वेटिव पार्टी को अच्छा करने की उम्मीद है.
इसके अलावा रवांडा डिपोर्टेशन स्कीम भी अब कानून बन गई है. जानकारों का मानना है कि ब्रिटेन में शरणार्थी एक बड़ा मुद्दा है और इस स्कीम को लागू कर सुनक ने अपने पक्ष में थोड़ा माहौल बना लिया है.
अप्रैल में ही सुनक सरकार ने अपने रक्षा खर्च को बढ़ाया है. इसके अलावा सरकार ने 10 अरब पाउंड के एक पैकेज का भी ऐलान किया है, जिससे ब्लड स्कैंडल और पोस्ट ऑफिस स्कैंडल के पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा.
क्या सुनक ने रिस्क लिया?
जल्दी चुनाव कराने के ऐलान को कुछ जानकार ऋषि सुनक का रिस्क भी मान रहे हैं. विपक्षी लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर से सुनक पिछड़ रहे हैं. जानकारों का मानना है कि अर्थव्यवस्था में तेजी और मुआवजा पैकेज का ऐलान कर सुनक रिस्क लेकर चुनाव में उतर गए हैं.
ऋषि सुनक ने हाल ही में एक रैली में कहा था, 'लेबर पार्टी चाहती है कि लोग ये सोचें कि चुनाव शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया है. लेकिन लोगों ने भी लेबर पार्टी को सबक सिखाने की ठान ली है.'
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट बताती है कि कंजर्वेटिव पार्टी के ही सदस्यों का मानना है कि सुनक को ये अहसास हुआ होगा कि रवांडा डिपोर्टेशन स्कीम कानूनी पचड़े में फंस सकती है और सरकार ने जो टैक्स कटौती का वादा किया था, वो भी फिलहाल पूरा कर पाने में सक्षम नहीं है. इन दोनों ही बातों से सुनक और कंजर्वेटिव पार्टी के लिए हालात बदल सकते हैं.
उनकी पार्टी के कुछ लोगों का मानना है कि सुनक को प्रधानमंत्री दो साल से भी कम वक्त हुआ है और उन्हें इस बात को लेकर नाराजगी रहती है कि उन्होंने जो किया, उसकी सराहना नहीं की गई. ऋषि सुनक अब खुद को एक रिफॉर्मर के तौर पर पेश कर रहे हैं और वो बार-बार कह रहे हैं कि अगर उन्हें नहीं चुना गया तो ब्रिटेन की स्थिति फिर से खराब हो सकती है.
आगे क्या?
ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ कॉमन्स की 650 सीटों के लिए 4 जुलाई को चुनाव होंगे. 5 जुलाई की सुबह तक साफ हो जाएगा कि अगला प्रधानमंत्री कौन होगा.
ऋषि सुनक ने किंग चार्ल्स से संसद भंग करने का अनुरोध किया है. 30 मई को संसद भंग कर दी जाएगी. और उसके सदस्य फिर सांसद नहीं रह जाएंगे.
अगर ओपिनियन पोल्स और सर्वे सही निकले तो चुनाव में ऋषि सुनक को बड़ी हार का सामना करना पड़ सकता है. YouGov/Times के सर्वे में कंजर्वेटिव पार्टी को 20% और लेबर पार्टी को 47% वोट मिलने का अनुमान है. पॉलिटिको के पोल में भी लेबर पार्टी की सरकार बनने का अनुमान है.
अगर लेबर पार्टी चुनाव जीतती है तो कीर स्टार्मर प्रधानमंत्री बन सकते हैं. लेकिन ऋषि सुनक को अपने काम पर चुनाव जीतने की उम्मीद है. बहरहाल, ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ ने लिखा है कि ये चुनाव ऋषि सुनक का सबसे बड़ा जुआ है.