इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की गठबंधन सरकार कानून-व्यवस्था के मामले में कई नए फैसले कर रही है. इसी कड़ी में वहां की संसद ने बच्चों का यौन शोषण करने वालों के केमिकल कैस्ट्रेशन को ग्रीन सिग्नल दे दिया. अब एक कमेटी बनेगी जो इसे लागू करने पर काम करेगी. विपक्ष इसका विरोध करते हुए फैसले को एक्सट्रीम बता रहा है लेकिन मेलोनी सरकार अपनी बात पर अड़ी हुई है.
यहां कुछ सवालों के जवाब जानते हैं.
क्या है केमिकल कैस्ट्रेशन?
ये कैसे काम करता है?
क्या किसी और देश में भी पीडोफाइल्स या रेपिस्ट्स के लिए ऐसी सजा है?
क्या इससे वाकई यौन अपराधों पर लगाम कसती है?
यह एक मेडिकल प्रोसेस है, जिसमें शरीर में हार्मोन के स्तर को काफी कम कर दिया जाता है. यौन अपराधियों की बात करें तो इसमें मेल हार्मोन्स जैसे टेस्टोस्टेरॉन का लेवल इतना घटा दिया जाता है कि अपराधी के भीतर ऐसी इच्छा ही न आए या बहुत कम हो जाए.
केमिकल कैस्ट्रेशन का असर एक तय समय के बाद खत्म भी हो सकता है और हार्मोन स्तर दोबारा सामान्य होने पर यौन अपराधी फिर क्राइम कर सकता है. इसलिए ऐसी सजा पाए अपराधियों को निश्चित वक्त के बाद दोबारा ड्रग देनी पड़ती है. ये प्रोसेस दवाओं या इंजेक्शन देकर भी हो सकती है. कई बार यौन अपराधियों के अलावा गंभीर यौन बीमारियों के मरीजों को भी एंड्रोजन ब्लॉकिंग ड्रग्स दी जाती हैं.
एक खेमा इसका विरोध भी कर रहा है
विरोधियों की दलील है कि सजा देने का मुख्य मकसद ये है कि अपराधी अपनी गलती को समझे और उसे दोहराए न. लेकिन इसमें क्रिमिनल को ऐसी सजा दी जा रही है कि उसे गलती का अहसास भी न हो सके. यहां तक कि जब ड्रग का असर चला जाएगा, वो दोबारा भी अपराध कर सकता है. वे यह भी तर्क देते हैं कि केमिकल के असर से भले ही अपराधी की यौन इच्छा कम हो जाए लेकिन उसके भीतर इसका गुस्सा बना रहता है. वो महिलाओं पर और ज्यादा आक्रामक हो सकता है और रेप न कर पाने की स्थिति में उसकी हत्या भी कर सकता है.
क्या क्राइम घटा
तमाम दलीलों के बीच भी एक के बाद एक देशों में यौन अपराधियों को ये सजा दी जा रही है. कई देश सीरियल रेपिस्टों के साथ ऐसा कर रहे हैं. लेकिन क्या इसका कोई असर होता है? क्या इस सजा से अपराध कम हुए? इसपर कोई सीधी रिपोर्ट नहीं है. साल 2017 में इंडोनेशिया में माइनर्स के साथ रेप करने वालों के लिए केमिकल कैस्ट्रेशन की सजा तय हुई. पीडोफाइल्स को एंड्रोजन-ब्लॉकिंग ड्रग दी जाने लगी, लेकिन नतीजा मनमुताबिक नहीं था. इंडोनेशियन विटनेस एंड विक्टिम प्रोटेक्शन एजेंसी की मानें तो साल 2017 में वहां चाइल्ड एब्यूज के 70 मामले थे, जो एक ही साल में 149 हो गए. अगस्त 2019 में यानी आधे साल के भीतर लगभग बारह सौ पीड़ित सामने आए.
महिलाओं पर भी यौन शोषण बढ़ा. इंडोनेशियाई नेशनल कमीशन ऑन वायलेंस अगेंस्ट वीमन के अनुसार, साल 2020 की तुलना में साल 2021 में महिलाओं पर यौन अपराध 50 फीसदी से ज्यादा हो गए.
इसके बाद भी कई देश यौन अपराधियों को ये सजा दे रहे हैं
- अमेरिका में सबसे पहले साल 1966 में केमिकल कैस्ट्रेशन हुआ था. अब कैलीफोर्नियां, फ्लोरिडा, जॉर्जिया और टेक्सास समेत 9 राज्यों में पीडोफाइल्स के लिए यह सजा है.
- सितंबर 2009 में पोलैंड की संसद ने अपने पीनल कोड में बदलाव लाते हुए चाइल्ड मॉलेस्टर्स के लिए ये सजा तय की. पोलैंड इसके साथ ही ऐसा करने वाला यूरोप का पहला देश बन गया.
- रूस में भी 14 साल से कम उम्र के बच्चों के यौन अपराधी को एंड्रोजन-ब्लॉकिंग ड्रग दी जाती है.
- यूरोपियन देश एस्टोनिया में साल 2012 में ये सजा तय करते हुए कोर्ट ने साफ किया कि ये ड्रग कुछ महीनों के लिए नहीं, बल्कि लगातार तीन साल तक दी जाए.
- कई और देश, जैसे यूक्रेन, कनाडा, डेनमार्क, जर्मनी, इजरायल, नॉर्वे और स्वीडन में भी पीडोफाइल्स के लिए केमिकल कैस्ट्रेशन की सजा तय है.
इस देश में सर्जिकल कैस्ट्रेशन भी
कई देशों में सेक्स ऑफेंस के लिए जेल पहुंचे कैदी खुद ही केमिकल कैस्ट्रेशन का विकल्प चुनते हैं. जैसे अमेरिका के कई राज्यों में ऐसा है. कैदी अगर खुद ही ये ड्रग लेना स्वीकार करें तो उन्हें सजा में छूट भी मिलती है. वहीं कुछ ऐसे राज्य हैं, जहां सर्जिकल कैस्ट्रेशन भी हो रहा है. जैसे अमेरिका के ही लूसियाना में सर्जिकल ढंग से ये प्रोसेस होती है ताकि अपराधी दोबारा ऐसा सोच ही न सके. लेकिन ये बेहद बर्बर मामलों में होता है.