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चीन है कि मानता ही नहीं... फिर से उसने अपनी पुरानी हरकत दोहरा दी. चीन ने नया नक्शा जारी किया, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपना हिस्सा बता दिया. इतना ही नहीं, चीन ने ताइवान और दक्षिण चीन सागर को भी अपना बता दिया.
चीन की इस हरकत को विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने 'पुरानी आदत' बताया. उन्होंने कहा, ये उसकी पुरानी आदत है. भारत के हिस्सों को अपने नक्शे में शामिल करने से कुछ नहीं बदलेगा.
इस मैप पर न सिर्फ भारत ने, बल्कि ताइवान ने भी आपत्ति जताई है. वहीं, दक्षिण चीन सागर के 90% हिस्से को अपना बताया है, जिसे लेकर मलेशिया, फिलीपींस और वितयनाम जैसे आपत्ति दर्ज की है.
28 अगस्त को चीन ने ये नक्शा जारी किया था. चीन ने इसे 'स्टैंडर्ड मैप' बताया है. चीन का कहना है कि इस नक्शे को तर्कसंगत तरीके से देखा जाना चाहिए.
चीन की 14 देशों के साथ करीब 22 हजार किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. लेकिन उसके डेढ़ दर्जन से ज्यादा देशों के साथ सीमा विवाद हैं. जमीन पर कब्जे को लेकर तो चीन का पड़ोसियों से विवाद है ही. समंदर पर कब्जे को लेकर भी वो लड़ता रहता है.
समंदर में विवाद
1. फिलिपींसः दोनों के बीच दक्षिणी चीन सागर में विवाद है. चीन और फिलिपींस में स्कारबोरो और स्प्रेटली आइलैंड को लेकर विवाद है. चीन इन्हें अपना हिस्सा मानता है. जबकि, फिलिपींस का कहना है कि ये दोनों उसके हिस्से हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले साल नवंबर में चीन के जहाजों ने फिलिपींस के दो जहाजों पर वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया था.
2. वियतनामः यहां भी दक्षिणी चीन सागर पर कब्जे की लड़ाई है. चीन दावा करता है कि वियतनाम के कुछ हिस्से, खासकर पैरासल आइलैंड, स्प्रैटली आइलैंड और दक्षिणी चीन सागर के कुछ हिस्से उसके हैं. अप्रैल 2020 में चीन की सेना ने वियतनाम के एक जहाज को डूबा दिया था. ये जहाज मछली पकड़ने वालों का था.
3. इंडोनेशियाः चीन और इंडोनेशिया के बीच नातुना आइलैंड और दक्षिणी चीन सागर के कुछ हिस्सों को लेकर विवाद है. इंडोनेशिया अपने इलाके में एक ऑयल एंड नैचुरल गैस की सप्लाई के लिए प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. चीन इस पर आपत्ति जताता है.
4. मलेशियाः चीन यहां भी स्प्रैटली आइलैंड को लेकर लड़ता है. अप्रैल 2020 में चीन की नौसेना ने एक मलेशियाई जहाज को घेर लिया था. इस पर मलेशिया ने आपत्ति जताई थी. बाद में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के जंगी जहाज भी विवादित इलाके में घुस गए थे, जिसके बाद चीनी जहाज को वहां से लौटना पड़ा था.
5. जापानः चीन का जापान के साथ सेनकाकू आइलैंड (टोक्यो), दिओयू आइलैंड (बीजिंग) और तिआओयूताई आइलैंड (ताइवान) को लेकर विवाद है. 1970 के दशक में जब इन द्वीपों में ऑयल रिजर्व होने की बात सामने आई तो चीन ने इस पर अपना दावा ठोंक दिया. चीन ने इन आइलैंड्स के आसपास अपने कोस्ट गार्ड की मौजूदगी बढ़ाकर तनाव को और बढ़ा दिया है.
6. साउथ कोरियाः सोकोट्रा रॉक को लेकर चीन और साउथ कोरिया में विवाद चल रहा है. ये चट्टान पूर्वी चीन सागर की सतह से साढ़े चार मीटर नीचे है. दक्षिण कोरिया इसे अपने इकोनॉमिक जोन का हिस्सा बताता है. हालांकि, इस इलाके में चीन की मौजूदगी ने इस तनाव को बढ़ा दिया है.
7. नॉर्थ कोरियाः चीन और उत्तर कोरिया में यालू नदी पर बने 205 आइलैंड को लेकर विवाद है. 1962 में दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था. इसके तहत 127 आइलैंड नॉर्थ कोरिया के हैं, जबकि 78 चीन के हैं. हालांकि, नॉर्थ कोरिया दावा करता है कि उसके कुछ आइलैंड अभी भी चीन के कब्जे में हैं.
8. सिंगापुरः दक्षिणी चीन सागर के कुछ हिस्से को लेकर चीन और सिंगापुर के बीच विवाद है. 2019 में दोनों देशों के बीच समुद्री शांति को लेकर समझौता हो चुका है. हालांकि, उसके बावजूद सिंगापुर को चीन के साथ टकराव होने का डर है.
9. ब्रूनेईः ये एक छोटा इस्लामिक देश है. चीन और ब्रूनेई के बीच भी दक्षिणी चीन सागर के कुछ हिस्सों और स्प्रैटली आइलैंड को लेकर विवाद है. ब्रूनेई को अक्सर दक्षिणी चीन सागर में 'साइलेंट दावेदार' कहा जाता है.
जमीन में विवाद
1. भारतः चीन के साथ भारत की 3,488 किमी लंबी सीमा लगती है. चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किमी के हिस्से पर अपना दावा करता है. जबकि, लद्दाख का करीब 38 हजार वर्ग किमी का हिस्सा चीन के कब्जे में है. इसके अलावा 2 मार्च 1963 को हुए एक समझौते में पाकिस्तान ने पीओके की 5,180 वर्ग किमी जमीन चीन को दे दी थी. चीन लद्दाख को अपना हिस्सा बताता है. वहीं, अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है.
2. नेपालः तिब्बत इलाके में चीन और नेपाल की 1,439 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. चीन नेपाल के कई इलाकों पर दावा करता है उन्हें तिब्बत का हिस्सा बताता है. इसी साल फरवरी में बीबीसी ने नेपाल सरकार की एक लीक रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि चीन नेपाल के इलकों पर अतिक्रमण कर रहा है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि पश्चिमी नेपाल के हुमला जिले में चीन अतिक्रमण कर रहा है.
3. भूटानः चीन और भूटान 477 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं. चीन भूटान के चेरकिप गोम्पा, धो, डुंगमार और गेसुर जैसे इलाकों पर अपना दावा करता है. दोनों देशों के बीच 1980 के दशक से सीमा विवाद है. सीमा विवाद को सुलझाने के लिए चीन और भूटान कई बार बात कर चुके हैं. पिछले साल अक्टूबर में चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए एक समझौता भी हुआ था.
4. लाओसः छोटा सा देश लाओस चीन के साथ 500 किमी लंबी सीमा साझा करता है. लाओस की सीमा ट्राई-जंक्शन की तरह है. पश्चिम में इसकी सीमा म्यांमार से और पूर्व में वियतनाम से लगती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन दावा करता है कि युआन वंश के समय लाओस उसका हिस्सा है.
तिब्बत पर कब्जा, ताइवान कब्जाने की कोशिश
इन सबके अलावा चीन ने तिब्बत पर भी कब्जा कर रखा है. चीन का कहना है कि 13वीं शताब्दी से ही तिब्बत उसका हिस्सा रहा है. जबकि, तिब्बत का कहना है कि वो हमेशा से ही स्वतंत्र राज्य रहा है.
23 मई 1950 को चीन के हजारों सैनिकों ने तिब्बत पर हमला कर दिया और उस पर कब्जा कर लिया. उसके बाद 1951 में चीन ने पूरी तरह से इसे अपने नियंत्रण में ले लिया. जून 2003 में भारत ने आधिकारिक रूप से तिब्बत को चीन का हिस्सा मान लिया था.
चीन ने तिब्बत को कब्जा लिया है, जबकि ताइवान को कब्जाने की कोशिश में है. 1949 से चीन और ताइवान अलग-अलग है. इससे पहले ताइवान और चीन एक ही हुआ करते थे. लेकिन कम्युनिस्टों की सरकार आने के बाद कॉमिंगतांग की पार्टी के लोग भागकर ताइवान आ गए.
1949 में चीन का नाम 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' पड़ा और ताइवान का 'रिपब्लिक ऑफ चाइना'. दोनों देश एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते. लेकिन, चीन दावा करता है कि ताइवान भी उसका ही हिस्सा है. चीन और ताइवान में अक्सर जंग जैसे हालात बन जाते हैं.
इनके अलावा मंगोलिया और म्यांमार के साथ भी चीन का सीमा विवाद है. मंगोलिया पर तो चीन का कब्जा है. 2015 में इनर मंगोलिया में सीमा विवाद को लेकर झड़प भी हुई थी.
दक्षिण चीन सागर में क्या है लड़ाई?
चीन का लगभग डेढ़ से दो दर्जन देशों के बीच सीमा विवाद है. कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि उसका 17 देशों के साथ सीमा विवाद है. तो कुछ 18 देशों के साथ सीमा विवाद होने की बात कहती हैं. वहीं, कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि चीन का 23 देशों के इलाकों को अपना हिस्सा बताता है.
इतना ही नहीं, चीन दक्षिण चीन सागर को भी अपना बताता है. इंडोनेशिया और वियतनाम के बीच पड़ने वाला ये समुद्री इलाका 35 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला है. ये सागर इंडोनेशिया, चीन, फिलिपींस, ताइवान, वियतनाम, मलेशिया और ब्रूनेई से घिरा है. लेकिन, इस पर इंडोनेशिया को छोड़कर बाकी सभी छह देश अपना दावा करते हैं.
कुछ साल पहले तक दक्षिणी चीन सागर को लेकर इतनी तनातनी नहीं थी. लेकिन सालों पहले चीन के समंदर में खुदाई करने वाले जहाज, ईंट और पत्थर लेकर दक्षिणी चीन सागर पहुंचे.
पहले चीन ने यहां एक बंदरगाह बनाया. फिर हवाई पट्टी. और फिर देखते ही देखते एक आर्टफिशियल द्वीप तैयार कर यहां सैन्य अड्डा बना दिया.
चीन की इस गतिविधि को लेकर जब सवाल उठे तो उसने दावा किया कि दक्षिणी चीन सागर से उसका दो हजार साल पुराना ताल्लुक है. अब हालात ये हैं कि दक्षिणी चीन सागर को लेकर कई देश आमने-सामने आ गए हैं.