चीन ने एक बार फिर वही किया, जो वो हमेशा करता रहा है. यानी, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपने वीटो पावर का इस्तेमाल. मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आतंकी साजिद मीर को 'ग्लोबल टेररिस्ट' घोषित करने का प्रस्ताव लाया गया था. साजिद मीर पाकिस्तान की सरजमीं से चलने वाले लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी है. 2008 के मुंबई हमलों में भी उसकी भूमिका रही है.
ये प्रस्ताव भारत और अमेरिका की ओर से लाया गया था. लेकिन हमेशा की तरह चीन ने अपने दोस्त पाकिस्तान का साथ देते हुए 'वीटो' का इस्तेमाल किया और इस प्रस्ताव को गिरा दिया.
अगर चीन अड़ंगा न डालता और साजिद मीर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया जाता, तो फिर उसकी संपत्तियां जब्त हो जाती, यात्रा करने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता और तो और उसके लिए हथियार जुटा पाना मुश्किल हो जाता.
पिछले साल सितंबर में चीन ने साजिद मीर के खिलाफ लाए इस प्रस्ताव को 'होल्ड' करवा दिया था. लेकिन अब उसने इसे 'ब्लॉक' ही करवा दिया है.
साजिद मीर का नाम न सिर्फ भारत, बल्कि अमेरिका की भी मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में है. अमेरिका ने उसपर 50 लाख डॉलर का इनाम भी रखा है. पाकिस्तान साजिद मीर के मारे जाने का दावा करता है, लेकिन कभी उसकी मौत का सबूत नहीं दे पाया.
जब भी संयुक्त राष्ट्र में किसी आतंकी को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने के लिए प्रस्ताव लाया जाता है तो चीन हमेशा उसे 'वीटो' लगाकर गिरा देता है. पर ये वीटो इतना ताकतवर कैसे है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में लाए गए प्रस्ताव को गिरा देता है? और चीन को ये वीटो आखिर मिला कैसे? जानते हैं, लेकिन उससे पहले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को समझते हैं.
क्या है संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद?
- दूसरे विश्व युद्ध के बाद एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय मंच की जरूरत पड़ी जो सभी देशों को साथ लेकर चल सके. इसलिए 24 अक्टूबर 1945 को संयुक्त राष्ट्र का गठन हुआ. इसका हेडक्वार्टर न्यूयॉर्क में है. मौजूदा समय में 193 देश इसके सदस्य हैं.
- संयुक्त राष्ट्र के 6 प्रमुख अंग- जनरल असेंबली, सिक्योरिटी काउंसिल, इकोनॉमिक एंड सोशल काउंसिल, ट्रस्टीशिप काउंसिल और सेक्रेटेरिएट और इंटरनेशनल कोर्ट है. इंटरनेशनल कोर्ट नीदरलैंड के हेग में स्थित है. बाकी सभी न्यूयॉर्क में है.
- संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद यानी सिक्योरिटी काउंसिल पर है. सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं. इनमें 5 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य हैं.
- स्थायी सदस्यों में अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस हैं. अस्थायी सदस्यों में भारत के अलावा अल्बानिया, ब्राजील, गेबन, घाना, आयरलैंड, केन्या, मैक्सिको, नॉर्वे और यूएई हैं. अस्थायी सदस्य दो साल के लिए क्षेत्रीय आधार पर चुने जाते हैं.
चीन कैसे बना UNSC का स्थायी सदस्य?
- दरअसल, ये सारा का सारा खेल 'वन चाइना पॉलिसी' के कारण हुआ. असल में संयुक्त राष्ट्र के गठन में चीन नहीं, बल्कि ताइवान की अहम भूमिका थी. लेकिन 1971 में ताइवान की जगह चीन को स्थायी सीट दे दी गई.
- हुआ ये कि दिसंबर 1949 में चीन और ताइवान ने खुद को अलग-अलग राष्ट्र घोषित कर दिया. चीन में माओ त्से तुंग ने बीजिंग में 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' की स्थापना की घोषणा की. दूसरी ओर, ताइवान का चिआंग काई-शेक ने 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' नाम रख दिया.
- करीब 20 सालों तक चीन और ताइवान में कोई संपर्क नहीं रहा. न कोई राजनयिक संबंध और न ही किसी तरह का कारोबार. अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने भी ताइवान को ही चीन की असली सरकार के तौर पर मान्यता दी थी.
- लेकिन 1971 में चीन की कम्युनिस्ट सरकार को ही असली सरकार माना गया. संयुक्त राष्ट्र ने फिर 'रिपब्लिक ऑफ चाइना' की बजाय 'पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना' को मान्यता दी. इस तरह से संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सीट भी ताइवान की जगहव चीन को मिल गई.
वीटो कितना ताकतवर?
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो पावर सिर्फ पांच स्थायी सदस्य देशों के पास है. वीटो पावर स्थायी सदस्यों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में किसी भी प्रस्ताव को वीटो (नामंजूर) करने का अधिकार देता है.
- संयुक्त राष्ट्र की स्थापना, शांति और सुरक्षा बनाए रखने में इन पांच सदस्यों की भूमिका को अहम माना जाता है, इसलिए इन्हें वीटो पावर दिया गया.
- चूंकि, ताइवान की जगह चीन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट दी गई, इसलिए वीटो पावर भी उसके पास ही चला गया.
- वीटो पावर को इसलिए ताकतवर माना जाता है क्योंकि पांच में से किसी एक भी सदस्य ने इसका इस्तेमाल कर लिया तो वो प्रस्ताव खारिज हो जाता है.
- अगर किसी प्रस्ताव को वीटो लगाकर गिरा दिया जाता है, तो फिर कम से कम 6 महीने तक उस प्रस्ताव को दोबारा नहीं लाया जा सकता. इतना ही नहीं, इसे तीन महीने तक और बढ़ाया जा सकता है.
क्या हट नहीं सकता वीटो पावर?
- वीटो पावर को लेकर अक्सर लड़ाई होती है. इसे अलोकतांत्रिक भी माना जाता है. उसकी वजह ये है कि वीटो पावर पांचों स्थायी सदस्यों को बिना किसी शर्त के मिला है.
- यही वजह है कि इसमें सुधार की मांग भी होती रहती है. पिछले साल सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि अब समय आ गया है कि सुरक्षा परिषद में ऐसे सुधार किए जाएं जो आज की जरूरत को पूरा कर सकें.
- हालांकि, इसमें सुधार करना भी बड़ी टेढ़ी खीर है. क्योंकि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 108 और 109 के तहत पांचों स्थायी सदस्यों को चार्टर में किसी भी संशोधन पर वीटो पावर दिया गया है.
- इसका मतलब ये हुआ कि अगर वीटो पावर में किसी तरह का कोई संशोधन भी करना है या इसे खत्म करना है तो पांचों स्थायी सदस्यों की सहमति जरूर होगी.
UNSC में भारत का क्या है रोल?
- भारत अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है. हालांकि, भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की मांग कर रहा है.
- भारत की इस मांग का अमेरिका समेत कई देश भी समर्थन कर चुके हैं. लेकिन चीन के अड़ंगे की वजह से भारत इसका स्थायी सदस्य नहीं बन पा रहा है.