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पहले हेमंत सोरेन और अब अरविंद केजरीवाल... 50 दिन में दो राज्यों के मुख्यमंत्री को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने गिरफ्तार कर लिया. दोनों को ही मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया है. हेमंत सोरेन जहां ईडी की कस्टडी में हैं. वहीं, अरविंद केजरीवाल भी 28 मार्च तक ईडी की रिमांड पर रहेंगे.
हालांकि, हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से कुछ पहले ही झारखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. जबकि, अरविंद केजरीवाल अब भी दिल्ली के मुख्यमंत्री बने हैं. लिहाजा, केजरीवाल पद पर रहते हुए गिरफ्तार होने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं.
हेमंत सोरेन को रांची के कथित जमीन घोटाले में ईडी ने गिरफ्तार किया था. और केजरीवाल को दिल्ली के कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार किया गया है.
ईडी की गिरफ्त में कई रसूखदार नेता हैं. पिछले हफ्ते ही ईडी ने इस कथित शराब घोटाले में के. कविता को भी गिरफ्तार किया था. कविता तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर की बेटी होने के साथ-साथ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की एमएलसी भी हैं.
इससे पहले ईडी ने पिछले साल दिल्ली के तत्कालीन डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को भी शराब घोटाले में गिरफ्तार किया था. अक्टूबर में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को भी ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था.
इतनी ताकतवर कैसे हुई ईडी?
1947 में फॉरेन एक्सचेंज रेगुलेशन एक्ट (FERA) लागू हुआ. इसी के तहत 1 मई 1956 को ED का गठन किया गया. पहले इसका नाम इन्फोर्समेंट यूनिट था, जिसे बाद में बदलकर इन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट कर दिया गया.
शुरुआत में ED का काम विदेशों में चल रहे एक्सचेंज मार्केट में लेनदेन कर रहे लोगों की जांच करना था. बाद में PMLA, FEMA, FEOA जैसे कानून आए और ED की ताकत बढ़ती गई.
साल 2012 तक ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच उन्हीं मामलों में कर सकती थी, जिनमें 30 लाख या इससे ज्यादा रकम की हेराफेरी हुई हो. 2013 में कानून में संशोधन कर 30 लाख की सीमा को खत्म कर दिया गया.
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फिर हुआ सबसे बड़ा बदलाव
यूपीए सरकार में ईडी की जांच का दायरा तो बढ़ा, लेकिन मोदी सरकार ने इसे और ताकतवर बना दिया. 2019 में केंद्र सरकार ने प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) में संशोधन कर दिया.
सरकार ने पीएमएलए की धारा 17 (1) और 18 में संशोधन किया. इसने ईडी को कानून के दायरे में रहकर किसी के घर पर भी छापामारी, सर्च ऑपरेशन और गिरफ्तारी का अधिकार दे दिया.
इस एक्ट में एक नई धारा 45 भी जोड़ दी गई. इसने ईडी को अधिकार दिया कि वो बगैर वारंट के भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है. इतना ही नहीं, ईडी अगर किसी को समन करती भी है तो ये बताने की जरूरत नहीं है कि उसे क्यों बुलाया जा रहा है.
ईडी को ये अधिकार भी दिया गया कि अगर उसे लगता है कि कोई संपत्ति गैर-कानूनी तरीके से कमाए गए पैसों से बनाई गई है तो उस पर भी कार्रवाई कर सकती है.
इसके अलावा, ED के पास ये भी पावर है कि वो किसी व्यक्ति को अगर समन जारी करती है तो उसका कारण बताने की जरूरत नहीं है. साथ ही ED के सामने दिया गया बयान कोर्ट में सबूत के तौर पर मान्य है, जबकि बाकी मामलों में बयान कानूनी रूप से तभी वैध होता है जब उसे मजिस्ट्रेट के सामने रिकॉर्ड करवाया जाता है.
पुलिस या दूसरी जांच एजेंसी अगर एफआईआर दर्ज करती है तो आरोपी के पास उसकी कॉपी मांगने का अधिकार होता है. लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में कॉपी देने का प्रावधान नहीं है.
पीएमएलए कानून में सबसे बड़ी सख्ती ये है कि इसमें खुद को निर्दोष साबित करने का बोझ आरोपी पर होता है. ऐसे मामलों में जमानत मिलने में भी मुश्किल होती है.
ईडी की पावर भी सुप्रीम कोर्ट की भी मुहर
अगस्त 2022 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने साफ कर दिया था कि ईडी देश की सबसे ताकतवर एजेंसी है. जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच ने 545 पन्नों का फैसला सुनया था.
तीन जजों की बेंच ने ईडी की मनी लॉन्ड्रिंग की जांच, छापेमारी, बयान दर्ज करने, गिरफ्तार करने और समन जारी करने के अधिकारों को सही ठहराया था.
सुप्रीम कोर्ट ने तब ये भी कहा था कि अगर ईडी किसी को गिरफ्तार करती है तो उसे आरोपी को ECIR यानी रिपोर्ट की कॉपी देना भी जरूरी नहीं है, सिर्फ कारण बता देना ही काफी है.
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ईडी की तीन काम
पहला- मनी लॉन्ड्रिंग, जिसमें पैसों की हेराफेरी कर कमाई गई संपत्ति की जांच करना और उसे जब्त करना है.
दूसरा- विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन रोकना.
तीसरा- भगौड़े अपराधियों पर शिकंजा कसना, जिसमें विदेश भाग चुके अपराधियों की संपत्ति को कुर्क करना.
बड़े-बड़े ईडी के घेरे में!
ईडी के घेरे बड़े-बड़े नेताओं से लेकर ब्यूरोक्रेट्स, बिजनेस घराने, कॉर्पोरेट और विदेशी नागरिक हैं. इन सब मामलों में ईडी मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही है.
दिल्ली के कथित शराब घोटाले में ईडी अब तक चार बड़ी गिरफ्तारियां कर चुकी हैं. इनमें मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और तेलंगाना के पूर्व सीएम केसीआर की बेटी के. कविता शामिल हैं.
अगस्त 2022 में ईडी ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी घंटों पूछताछ की थी. इनके अलावा महाराष्ट्र में एनसीपी नेता नवाब मलिक और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) सांसद संजय राउत को भी गिरफ्तार किया गया था.
इसी साल 31 जनवरी को ईडी ने झारखंड के सीएम रहे हेमंत सोरेन को भी गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तारी से कुछ देर पहले सोरेन ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्हें कथित जमीन घोटाले में गिरफ्तार किया गया है.
बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी ईडी की रडार पर हैं. उनसे लैंड फॉर जॉब स्कैम मामले में ईडी पूछताछ भी कर चुकी है. कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार भी ईडी के घेरे में हैं.
पिछले साल ईडी ने तमिलनाडु की डीएमके सरकार के कई मंत्रियों के यहां छापेमारी की थी. डीएमके के एक मंत्री सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार भी कर लिया था. छत्तीसगढ़ के पूर्व भूपेश बघेल भी महादेव बैटिंग ऐप मामले में फंसे हुए हैं.
मनी लॉन्ड्रिंग में कन्विक्शन रेट
ईडी की वेबसाइट के मुताबिक, मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ कानून आने के बाद से 31 जनवरी 2023 तक 5 हजार 906 केस दर्ज किए गए हैं. इनमें से 176 यानी 2.98% मामले मौजूदा या पूर्व सांसद, विधायक और एमएलसी के खिलाफ हैं.
ईडी ने बताया कि इनमें से 1 हजार 142 मामलों में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है. जबकि 513 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से 25 मामलों में ट्रायल पूरा हो चुका है. 24 मामलों में आरोपी दोषी ठहराए गए हैं, जबकि एक में बरी कर दिया गया है. इस हिसाब से मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में कन्विक्शन रेट 96 फीसदी है.
ईडी की वेबसाइट पर जो आंकड़े दिए हैं, उसके मुताबिक एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत 1,919 कुर्की आदेश जारी किए गए थे, जिसके तहत कुल 1 लाख 15 हजार 350 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की जा चुकी है.