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कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता बहाल हो गई है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से सजा पर रोक लगाए जाने के बाद लोकसभा सचिवालय ने सोमवार को सदस्यता बहाली का नोटिफिकेशन जारी कर दिया.
राहुल गांधी की सदस्यता 24 मार्च को निरस्त कर दी गई थी. उन्हें सूरत कोर्ट ने 'मोदी सरनेम' मामले में मानहानि का दोषी करार दिया था. इसमें उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी. कानूनन दो साल या उससे ज्यादा की सजा होने पर जनप्रतिनिधि की सदस्यता रद्द हो जाती है.
राहुल गांधी 2019 में केरल की वायनाड सीट से लोकसभा सांसद चुने गए थे. राहुल ने 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक में एक रैली में मोदी सरनेम पर विवादित टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था, 'सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?' इसी मामले पर इसी साल 23 मार्च को उन्हें मानहानि का दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी.
अब 137 दिन बाद राहुल दोबारा संसद में लौटे हैं. राहुल गांधी जब सोमवार को संसद पहुंचे तो कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों ने उनका जोरदार स्वागत किया. कांग्रेस ने इसे 'सच्चाई और न्याय' की जीत बताया है.
राहुल गांधी की वापसी ऐसे समय में हुई है जब मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है. मंगलवार से अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होगी. 10 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस पर जवाब देंगे. मोदी सरकार के खिलाफ ये दूसरा अविश्वास प्रस्ताव है. इससे पहले जुलाई 2018 में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. उस समय चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने कुछ ऐसा किया था जो चर्चा में आ गया था.
सिंधिया को आंख मारी, मोदी को गले लगाया
जुलाई 2018 को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल ने भाषण दिया था. इस भाषण पर तालियां भी खूब बजी थीं. लेकिन भाषण के बाद राहुल अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सीट पर चले गए और उन्हें गले लगा लिया.
राहुल ने कहा था, 'आप लोग मुझे अलग-अलग गाली दे सकते हो, मगर मेरे अंदर आपके खिलाफ इतना सा भी गुस्सा, इतनी सी भी नफरत नहीं है. मैं कांग्रेस हूं. और इस भावना ने इस देश को बनाया. इस भावना को मैं आप सबके अंदर से निकालूंगा. और आप सबको कांग्रेस में बदलूंगा.'
अपना भाषण खत्म करने के बाद राहुल गांधी प्रधानमंत्री मोदी की सीट के पास पहुंच गए. और उन्हें गले लगा लिया. इसके बाद राहुल ने अपनी सीट पर पहुंचकर बगल में बैठे ज्योतिरादित्य सिंधिया को आंख मारी. उस समय सिंधिया कांग्रेस में हुआ करते थे.
इस पर अगले दिन प्रधानमंत्री मोदी ने जवाब देते हुए कहा था, 'पूरा देश टीवी पर आंखों का खेल देख रहा था. कैसे आंखें खोली जा रही हैं. कैसे बंद की जा रही हैं.' इतना ही नहीं, पीएम मोदी ने तंज कसते हुए कहा था, 'आप तो नामदार हैं और हम कामगार. भला हम कैसे आंख मिला सकते हैं.'
'आपकी सरकार सूट-बूट की सरकार है'
अप्रैल 2015 में राहुल गांधी ने लोकसभा में भाषण देते हुए मोदी सरकार को 'सूट-बूट की सरकार' बताया था.
उन्होंने कहा था, 'आपकी जो सरकार है वो किसानों की मुश्किलों को नजरअंदाज कर रही है. और मजदूरों की आवाज नहीं सुन रही है. आप लोगों की सरकार उद्योगपतियों की सरकार है. वो सब जानते हैं. आप भी जानते हैं. हम भी जानते हैं. आपकी सरकार बड़े लोगों की सरकार है. सूट-बूट की सरकार है. वो हम समझते हैं.'
राहुल के इस बयान पर पलटवार करते हुए पीएम मोदी ने कहा था, 'सूट-बूट की सरकार सूटकेस की सरकार की तुलना में ज्यादा स्वीकार्य है. 60 साल तक शासन करने के बाद, कांग्रेस के बाद अचानक गरीबों की याद आई है. इस देश के लोग कांग्रेस की अदूरदर्शी नीतियों के कारण पीड़ित हुए हैं. गरीब बने हुए हैं.'
'मैं बोलूंगा तो भूकंप आ जाएगा'
नवंबर 2016 में मोदी सरकार ने नोटबंदी की. इसके बाद दिसंबर में जब शीतकालीन सत्र शुरू हुआ तो जमकर हंगामा हुआ. कांग्रेस समेत विपक्षी दल प्रधानमंत्री मोदी के बयान की जिद पर अड़े रहे.
इसके बाद राहुल ने संसद के बाहर मीडिया से कहा था, 'सरकार बहस से भाग रही है. अगर मुझे बोलने देंगे तो आप देखेंगे भूकंप आ जाएगा.'
जुलाई 2018 में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल के भाषण पर बीजेपी ने जमकर तंज कसा था. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था, भाषण से आया भूकंप इतना जबरदस्त था कि राहुल सीधे प्रधानमंत्री के पास चले गए.
'सुषमा जी ने मेरा हाथ पकड़ा और पूछा...'
अगस्त 2015 में राहुल गांधी ने बीजेपी की दिवंगत नेता सुषमा स्वराज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. राहुल ने ट्विटर से लेकर संसद तक सुषमा स्वराज पर हमले किए. दरअसल, राहुल ने आरोप लगाया कि सुषमा स्वराज के परिवार और भगौड़े ललित मोदी के बीच गोपनीय तरीके से पैसों का लेनदेन हुआ है.
इस पर सुषमा ने संसद में जवाब दिया था कि हम कुछ छुप-छुपकर नहीं करते. छुप-छुपकर काम तो कांग्रेस की सरकार करती है. इसके बाद राहुल ने बड़े ही मजाकिया अंदाज में इसका जवाब दिया था.
राहुल ने कहा था, 'कल सुषमा जी ने मेरा हाथ पकड़ा. और कहा- बेटा तुम मेरे से गुस्सा क्यों हो? मैंने तुम्हारा क्या किया? मैंने सुषमाजी से कहा- मैं आपसे गुस्सा नहीं हूं. आपका मैं आदर करता हूं. मैंने आपकी आंखों में देखा और आपसे कहा- सुषमाजी मैं सत्य बोल रहा हूं. और आपने अपनी आंखें नीचे कीं. ये सच है. आपने ये क्यों किया?'
'ये रिश्ता क्या कहलाता है'
इस साल फरवरी में बजट सत्र के दौरान राहुल ने कारोबारी गौतम अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पुरानी तस्वीर दिखाई थी. राहुल ने इस दौरान सवाल उठाते हुए कहा था, 'ये रिश्ता क्या कहलाता है?'
दरअसल, उस समय हिंडनबर्ग का मामला गर्म था. इसी पर बहस चल रही थी थी. राहुल ने सवाल उठाया कि 2014 में गौतम अडानी की नेटवर्थ 8 अरब डॉलर थी, वो अब 140 अरब डॉलर कैसे हो गई? 2014 में फोर्ब्स की लिस्ट में अडानी 609वें नंबर पर थे, अब दूसरे नंबर पर कैसे आ गए?
इसके बाद राहुल ने सवाल उठाया कि 'देश जानना चाहता है इनका प्रधानमंत्री के साथ क्या रिश्ता है? कैसा रिश्ता है?' बाद में राहुल ने पुरानी तस्वीर दिखाई, जिसमें एक प्लेन में गौतम अडानी और प्रधानमंत्री मोदी साथ बैठे नजर आ रहे थे. राहुल ने ये तस्वीर दिखाते हुए कहा, 'ये देखिए रिश्ता.'
इसके बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच फोटो वॉर शुरू हो गया. बीजेपी ने अडानी के साथ रॉबर्ट वाड्रा की पुरानी तस्वीर दिखाई. अडानी और अशोक गहलोत की तस्वीर दिखाई. और पूछा- 'इनके साथ कोई दिखे तो ठीक. तब ये रिश्ता क्या कहलाता है?'
दो साल की सजा के बाद गई थी सदस्यता
- 13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक में चुनावी रैली में राहुल ने मोदी सरनेम पर विवादित टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था, 'नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी... सबका कॉमन सरनेम क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?'
- इस मामले में 23 मार्च को सूरत कोर्ट ने सजा का ऐलान करते हुए कहा था, 'इस अपराध की गंभीरता इसलिए भी बढ़ जाती है, क्योंकि ये भाषण संसद के सदस्य ने दिया था, जिसका जनता पर गहरा प्रभाव पड़ता है.'
- कोर्ट ने कहा था, 'अगर उन्हें कम सजा दी जाती है तो इससे जनता में गलत संदेश जाएगा. इतना ही नहीं, मानहानि का मकसद भी पूरा नहीं होगा और कोई भी किसी को भी आसानी से अपमानित कर सकेगा.'
- कोर्ट ने राहुल को दो साल की सजा सुनाई थी. इसके बाद उनकी सदस्यता रद्द हो गई थी. 1951 के जनप्रतिनिधि कानून के तहत, अगर किसी सांसद या विधायक को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो तत्काल उसकी सदस्यता चली जाती है और अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी रोक लग जाती है.