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महीनेभर में 50 से ज्यादा बड़े निर्णय ले चुके डोनाल्ड ट्रंप, किन फैसलों का असर भारत पर भी?

जनवरी में राष्ट्रपति पद पर आने के बाद से डोनाल्ड ट्रंप 50 से भी ज्यादा एग्जीक्यूटिव ऑर्डर्स पर दस्तखत कर चुके. इनमें कई आदेश उनके अपने ही देश में बेहद विवादित हैं, वहीं कई ऐसे हैं जिनकी वजह से पूरी दुनिया में कोहराम मचा हुआ है. भारत भी उनमें शामिल है.

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वाइट हाउस की गतिविधियां इन दिनों बाकी देशों में भी हलचल मचाए हैं. (Photo- AFP)
वाइट हाउस की गतिविधियां इन दिनों बाकी देशों में भी हलचल मचाए हैं. (Photo- AFP)

अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए कैंपेनिंग करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया था कि वे बाकी लीडरों की तुलना में सख्त रह सकते हैं. उनके बहुत से वादे विवादित थे, जिन्हें लेकर विपक्षी दल चेता रहे थे कि क्यों ट्रंप को सत्ता में नहीं आना चाहिए. हालांकि हुआ उल्टा. ट्रंप न केवल जीते, बल्कि वे एक के बाद एक अपने वादे पूरे भी कर रहे हैं. वाइट हाउस में हो रहे इन फैसलों का असर अमेरिका तक सीमित नहीं. 

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ट्रंप अपने फैसलों के लिए यूएस प्रेसिडेंट को मिली एक खास ताकत एग्जीक्यूटिव ऑर्डर का सहारा ले रहे हैं. इसमें राष्ट्रपति को कैबिनेटी की मंजूरी का इंतजार नहीं करना होता. हालांकि अगर आदेश ज्यादा ही विवादित हो, तो कांग्रेस इसे चुनौती दे सकती है. राष्ट्रपति केवल बजट और फॉरेन पॉलिसी पर अकेले निर्णय नहीं ले सकता. तो कुल मिलाकर कार्यकारी आदेश वो शक्ति है, जो राष्ट्रपति के लिए ट्रम्प कार्ड की तरह है. ट्रंप इसी के इस्तेमाल में जुटे हुए हैं और 50 से ज्यादा आदेश जारी कर चुके. 

कौन से निर्णय अमेरिका तक सीमित

इनमें से कई आदेश केवल यूएस की आबादी के लिए हैं. मसलन, IVF तकनीक को ज्यादा सस्ता बनाना ताकि बच्चे के लिए परेशान हो रहे जोड़ों को मदद मिले, और अमेरिका भी बूढ़ा होता देश बनकर न रह जाए.

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महिलाओं के खेल से ट्रांस एथलीट्स को बाहर निकालना भी एक बड़ा फैसला रहा, जिसपर पूरा देश दो भाग हो चुका. रिपबल्किन्स के समर्थक इसे ठीक बता रहे हैं, वहीं एक तबका इसे ट्रांसजेंडरों पर अन्याय कह रहा है. 

ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश देकर एंटी-क्रिश्चियन बायस पर रोक लगा दी. लंबे समय से वे यह आरोप लगा रहे थे कि सरकारी संस्थाओं में ईसाई धर्म मानने वालों के साथ भेदभाव होता है. अब नए नियम के तहत एक टास्कफोर्स गैर-बराबरी पर नजर रखेगी. 

controversial executive orders donald trump has signed so far photo Unsplash

कुछ अलग चीजें भी हुईं. जैसे ट्रंप ने जॉन एफ कैनेडी और मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे नेताओं की हत्या से जुड़े हजारों दस्तावेजों को सार्वजनिक करने को कहा, जो अब तक क्लासिफाइड थे. ट्रंप का कहना है कि अमेरिकी जनता को सब कुछ जानने का हक है, जो वाइट हाउस और आसपास चलता है. पहले कार्यकाल में भी राष्ट्रपति ने ऐसी कोशिश की थी, लेकिन FBI और CIA ने इसपर रोक लगवा दी थी. 

दुनिया के लिए भारी आदेश कौन-कौन से

ट्रंप के आते ही दुनिया में चल रही कई लड़ाइयां रुकती लगीं. जैसे हमास और इजरायल में अस्थाई सीजफायर हो गया. कयास हैं कि जल्द ही रूस और यूक्रेन भी जंग रोक सकते हैं. लेकिन इन पॉजिटिव बदलावों के बीच कुछ ऐसे ट्रंपियन फैसले भी हैं, जिनसे हाहाकार मचा हुआ है. इन्हीं में से एक है, फॉरेन एड रोकना. ट्रंप की टीम मानता है कि विदेशियों को फंड करने की बजाए उन्हें इस रकम को अपने देश पर लगाना चाहिए. बात में लॉजिक तो है लेकिन इसका असर कई देशों पर होगा, जो मानवीय सहायता के लिए अमेरिका पर निर्भर रहे. 

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नई सरकार आते ही कई इंटरनेशनल समझौतों से दूरी बनाने में जुट गई. इसमें क्लाइमेट पर हुए पेरिस अकॉर्ड भी शामिल है. माना जा रहा है कि अब यूएस बेपरवाह होकर कोयले का इस्तेमाल करेगा, जिससे ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ना तय है. साथ ही यूएस की देखादेखी कई और देश भी मनमर्जी करने लगेंगे. ये बड़ा खतरा है. 

controversial executive orders donald trump has signed so far photo Unsplash

फिलिस्तीन पर हमेशा उखड़े दिखते ट्रंप ने एग्जीक्यूटिव आदेश देते हुए यूएन एजेंसी फॉर पेलेस्टीनियन रिफ्यूजी (Unrwa) के लिए सहायता बंद करवा दी. साथ ही साथ यूएन ह्यूमन राइट्स काउंसिल से भी हट गए. राष्ट्रपति का आरोप है कि यूएन सही ढंग से काम नहीं कर रहा और उसे मदद करने का कोई फायदा नहीं. बता दें कि अपने पहले कार्यकाल में भी वे यही एक्शन ले चुके, जो जो बाइडेन के आने पर दोबारा शुरू कर दी गई थी. 

अवैध प्रवासियों को लेकर अमेरिकी प्रशासन की सख्ती सबसे ज्यादा हलचल मचाए हुए है.

असल में अमेरिका वो द्वीप रहा, जहां समंदर के हर छोर से लोग आते रहे. भीड़ इतनी बढ़ी कि द्वीप भरने लगा और वहां हमेशा से रहते आए लोग असंतुष्ट होने लगे. अब टीम ट्रंप इसी भीड़ को छांटने में जुटी हुई है. भारत से भी बहुत से लोग अवैध ढंग से वहां पहुंचते रहे. जाहिर है, वे भी लौटाए जा रहे हैं. इस लिस्ट में छोटे और इकनॉमिक तौर पर कमजोर देश भी शामिल हैं. फिलहाल सरकारों के पास वापस आ रहे और आर्थिक तौर पर टूटे हुए युवाओं के रिहैबिलिटेशन की खास व्यवस्था नहीं. 

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ट्रंप ने कुछ ही समय पहले डिटेंशन सेंटर पर भी फैसला लिया

उन्होंने ग्वांतानामो बे पर डिटेंशन सेंटर बनाने का आदेश दिया, जहां अमेरिका से हटाए गए तीस हजार घुसपैठिए रखे जा सकें. वाइट हाउस के मुताबिक, ये वो लोग होंगे, जो क्रिमिनल गतिविधियों में पकड़े गए हैं और जिनके लिए यूएस में कोई जगह नहीं. माना जा रहा है कि ये मौजूदा सरकार के घुसपैठ कम करने के वादे का ही एक हिस्सा है. इसी में एक है- बर्थराइट सिटिजनशिप को खत्म करना. इसे लेकर भी काफी शोरगुल हुआ कि अमेरिका हकमारी कर रहा है. फैसले के कुछ ही दिनों बाद अदालतों ने इसे असंवैधानिक कहते हुए अस्थाई रोक लगा दी. 

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