जो बाइडेन सत्ता में रहते हुए लगातार विवादों में रहे, जिसकी वजह उनका गिरता मानसिक स्वास्थ्य था. अब राष्ट्रपति बतौर उनके पास लगभग महीनाभर ही बाकी है, लेकिन विवादों से वे अब भी बरी नहीं. ताजा मसला इस बात पर है कि उन्होंने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए अपने बेटे हंटर बाइडेन को कई गंभीर अपराधों में माफी दे दी. इससे पहले कई दूसरे राष्ट्रपतियों ने भी प्रेसिडेंशियल पार्डन का इस्तेमाल अपने परिवार को बचाने के लिए किया.
क्या आरोप थे हंटर बाइडेन पर
लगभग चार साल पहले हंटर ने सार्वजनिक तौर पर माना कि उनपर फेडरल जांच हो रही है. ये जांच चीन में उनके व्यापारिक लेनदेन, टैक्स घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग कानूनों से जुड़ी हुई थी. न्यूयॉर्क टाइम्स की मानें तो जांच की शुरुआत डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान हो चुकी थी. रिपोर्ट में पता लगा कि चीन के साथ मिलकर अपने हित के लिए ऐसी बिजनेस डील्स कीं, जिससे देश का नुकसान हो रहा था. उनपर टैक्स चोरी का भी आरोप लगा. एक और बड़ा आरोप गन खरीदी को लेकर था. हंटर ने साल 2018 में गन खरीदी के दौरान फॉर्म भरते हुए दावा किया कि उन्हें किसी भी तरह के अवैध नशे की लत नहीं है. हालांकि था उसका उलट.
इसी महीने आने वाला था फैसला
क्षमा मिलने से पहले हंटर पर जो आरोप थे, उसके लिए उन्हें लंबी कैद मिल सकती थी, जैसे टैक्स चोरी पर 17 साल और गन खरीदी में 25 साल तक कैद. इन दोनों ही मामलों में इसी महीने सजा तय होनी थी लेकिन अब ये नहीं हो सकेगा. इस माफी पर गुस्सा इसलिए भी है क्योंकि इतने सालों से चली आ रही अदालती प्रक्रिया और रिसोर्स बर्बाद हो गए.
अपने ही बयानों से मुकरे राष्ट्रपति
राष्ट्रपति बाइडेन ने सत्ता संभालने के बाद कई बार कहा कि वे अपने बेटे को कोई छूट नहीं देंगे. पिछले साल अक्टूबर में भी सजा की बात चलने पर उन्होंने ये बात दोहराई थी. बाइडेन का तर्क था कि ये काम अदालत का है, और वे अपने फायदे के लिए राष्ट्रपति के अधिकार का उपयोग नहीं करेंगे. लेकिन रविवार को जब पूरा अमेरिका थैंक्सगिविंग में व्यस्त था, तभी ये एलान हो गया. बाइडेन जाते-जाते बेटे के लिए प्रेसिडेंशियल पार्डन का इस्तेमाल कर चुके थे. अब इसे लेकर वे रिपब्लिकन्स ही नहीं, डेमोक्रेट्स के बीच भी विवादों में आ चुके हैं.
क्या है प्रेसिडेंशियल पार्डन
इसका जिक्र अमेरिकी संविधान में है. इसके आर्टिकल 2 के सेक्शन में कहा गया है कि राष्ट्रपति को क्षमादान देने का अधिकार है, केवल महाभियोग के मामले में यह लागू नहीं होगा. यूएस ने ये चलन ब्रिटेन से लिया, जहां किंग के पास मर्सी पार्डन जारी करने का हक था. संविधान बनाते हुए इस बात पर बहस हुई कि क्या इसके लिए राष्ट्रपति को कांग्रेस की मंजूरी लेनी चाहिए लेकिन आखिरकार इस बात पर सहमति बनी कि राष्ट्रपति को ये एक्सक्लूजिव ताकत दी जानी चाहिए.
पहले भी होता रहा निजी फायदों के लिए उपयोग
राष्ट्रपतियों का इतिहास रहा है कि वे निजी फायदों के लिए इस खास अधिकार का इस्तेमाल करते रहे, फिर चाहे अपने परिवार को दोषमुक्त करना हो, या फिर अपने लिए काम करने वाले लोगों को. चूंकि आरोपी को खुद राष्ट्रपति माफ करता है, लिहाजा यूएस की कोई अदालत उस समय तक किए अपराधों के लिए कोई कार्रवाई या किसी तरह की जांच नहीं करवा सकती है.
साल 2001 में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अपने भाई रोजर क्लिंटन को ड्रग्स के आरोपों पर क्षमादान दिया था. उनके अलावा भी कई राष्ट्रपति विवादित माफी देते रहे. जैसे ट्रंप पर भी आरोप थे उन्होंने अपने ऐसे फंडर्स को माफी दी, जिनकी जांच चल रही थी. लेकिन बाइडेन का मामला सबसे बड़ा है. उन्होंने अपने बेटे को बेहद गंभीर अपराधों पर कंप्लीट और अनकंडीशनल माफी दी है, जो कि साल 2014 से लेकर अब तक के मामलों के लिए है. यानी इस दौरान हंटर ने जो भी किया हो, यूएस की अदालतें उसपर कुछ नहीं कर सकतीं.
दूसरे देशों में भी है मर्सी पार्डन
लगभग सारे ही देशों में राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के पास ऐसी ताकत होती है. हालांकि अमेरिका में राष्ट्रपति को इसके लिए कोई मंजूरी नहीं लेनी होती, बल्कि वो खुद ही सारे फैसले ले सकता है. वहीं ज्यादातर यूरोपियन देशों में अकेले लीडर के पास ये शक्ति नहीं, उसे संसद की हामी लेनी होती है. ये भी नियम है कि पार्डन उसे ही किया जाए, जिसका दोष साबित हो चुका हो. दूसरी तरफ यूएस में जांच के दौरान भी माफी दी जा सकती है, जैसा हंटर के मामले में हुआ.
भारत में क्या है नियम
हमारे यहां भी राष्ट्रपति के पास मर्सी पार्डन की ताकत है. धारा 72 के तहत प्रेसिडेंट किसी शख्स को सजा में छूट, माफी दे सकता है, या सजा में देर भी करवा सकता है. राष्ट्रपति को फैसला लेने से पहले किसी की मंजूरी की जरूरत नहीं, लेकिन अगर वो राज्य से जुड़े फैसले ले रहा हो तो राज्यपाल से बातचीत करनी पड़ती है. संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत गवर्नर के पास अलग से भी ये अधिकार है, अगर मामला राज्य से जुड़ा हुआ हो, और राष्ट्रद्रोह या आतंकवाद की श्रेणी में नहीं आता हो.