नवंबर में अमेरिका में होने जा रहा राष्ट्रपति चुनाव इस बार अलग ही रंगढंग दिखा रहा है. पद के दावेदार जो बाइडेन पर कॉग्निटिव स्किल पर सवाल उठ रहे हैं. वे अक्सर कन्फ्यूज या हकलाते-भूलते दिखते हैं. ऐसे में ज्यादातर लोग उन्हें दुनिया की सबसे बड़ी ताकत के लीडर बतौर सही नहीं मान रहे. रिप्लेसमेंट पर भी बात हो रही है, जिसमें कमला हैरिस का नाम टॉप पर है.
क्या कहते हैं सर्वे
59 साल की उप-राष्ट्रपति हैरिस के बारे में बेनडिक्शन एंड अमांडे फर्म ने हाल में एक सर्वे किया. इसमें दावा किया गया कि हैरिस राष्ट्रपति पद की दौड़ में आगे रहेंगी, लेकिन जीत का मार्जिन काफी छोटा रहेगा. सर्वे के मुताबिक, हैरिस को 42 फीसदी, जबकि ट्रंप को 41 फीसदी वोट मिल सकते हैं. 12 प्रतिशत ने अब तक तय नहीं किया कि वे किस पार्टी को वोट करेंगे, जबकि 3 प्रतिशत किसी तीसरी ही पार्टी को वोट कर सकते हैं.
सीएनएन की पोल भी यही इशारा करती है, लेकिन यहां एक बात अलग है. इसके अनुसार, बाइडेन अगर चुनाव लड़े तो वे ट्रंप से भारी अंतर से हार सकते हैं, जबकि कमला कैंडिडेट रहीं तो वे जीतेंगी तो, लेकिन काफी छोटे फर्क से.
ये बात जा रही पक्ष में
हैरिस फिलहाल अपनी पार्टी में भी सबसे ज्यादा पसंद की जा रही हैं. वाइस प्रेसिडेंट के बतौर वे पहली अफ्रीकन अमेरिकन हैं, जो एशियाई मूल से भी जुड़ी हैं. ये रूट्स भी उन्हें लोगों से कनेक्ट कर रही हैं, जो इन देशों से ताल्लुक रखते हैं, और अमेरिकी वोटर हैं.
इस मुद्दे पर खुलकर बोलती रहीं
कमला को अंदाजा है कि अगले महीने होने वाली डेमोक्रेट्स की बैठक में शायद वे बाइडेन को रिप्लेस कर दें. यही वजह है कि वे कई बड़े मुद्दों पर बात कर रही हैं जो अमेरिका में लंबे समय से खिंचे चले आ रहे हैं. मसलन, वे अबॉर्शन राइट के पक्ष में हैं, जबकि डेमोक्रेट्स समेत रिपब्लिकन्स के लिए ये मुद्दा गले की हड्डी बना आया है. ईसाई धर्म में चूंकि अबॉर्शन को गलत माना जाता है इसलिए कोई भी लीडर इसपर सीधा फैसला लेने से बचता रहा. अब कमला युवाओं समेत महिलाओं की बड़ी आबादी को अपने पक्ष में कर सकती हैं.
और किन्हें पसंद आ रही हैं
डेमोक्रेट्स का अपना वोट बैंक है. इसमें अफ्रीकन मूल के वोटर, मुस्लिम वोटर, युवा और महिलाएं हैं. हाल के समय में काफी सारे लोग बाइडेन से इसलिए भी नाराज हैं कि उन्होंने इजरायल-हमास युद्ध में इजरायल को सपोर्ट किया. ट्रंप भी इससे अलग नहीं. वे खुलकर हमास जैसे आतंकी गुटों को भला-बुरा कहते रहे. यहां तक कि वे शरणार्थियों पर भी सख्ती की बात करते हैं. ये कारण बाइडेन समेत ट्रंप के खिलाफ यानी हैरिस के पक्ष में जा सकते हैं.
आधी आबादी ने नकारा
लेकिन सबकुछ कमला के पक्ष में नहीं. पोलिंग पर काम करने वाली संस्था फाइव थर्टी एट ने लोगों से बातचीत करने समझना चाहा कि वे हैरिस के बारे में क्या सोचते हैं. इस दौरान 49.6% अमेरिकी वोटरों ने राष्ट्रपति पद के लिए उनकी दावेदारी को खारिज कर दिया. वहीं केवल 36 प्रतिशत ने माना कि वे चुनाव लड़ सकती हैं.
उखाड़े जा रहे गड़े मुर्दे
कमला विवादों में भी रहती आईं. कैलीफोर्निया की अटॉर्नी जनरल रहते हुए उन्होंने बच्चों के स्कूल मिस करने पर उनके पेरेंट्स को सजा देने का नियम बना दिया था. इस रूल के अनुसार अगर बच्चा बिना कारण लगातार स्कूल से गायब रहे तो उसके पेरेंट्स को ढाई हजार डॉलर का जुर्माना और एक साल की कैद हो सकती थी. इस रूल पर काफी लोग नाराज रहे. साल 2013 में एक ऐसे पेरेंट को जेल में डाल दिया गया, जिसकी बेटी सिकल-सेल एनीमिया के कारण लगातार अस्पताल में रहती थी, और स्कूल मिस कर जाती थी.
ट्रांसजेंडर भी जा सकते हैं खिलाफ
हैरिस के अटॉर्नी रहते हुए कई मामले हुए, जिनके बारे में आरोप लगा कि हैरिस बेगुनाहों को परेशान करती हैं. डेनियल लार्सन नाम के ऐसे ही निर्दोष शख्स को 27 सालों की जेल दे दी गई. लाखों लोगों के पिटीशन के बाद वो बाहर आया तो हैरिस ने दोबारा उसे जेल भेजने की बात कह दी थी. ऐसा ही मामला ट्रांसजेंडर सेक्स वर्कर्स का रहा, जिनका कमला विरोध करती रहीं. अमेरिका में फिलहाल काफी लोग एलजीबीटीक्यू हैं, या उन्हें सपोर्ट करते हैं. ऐसे में यह कम्युनिटी भी उनके विरोध में जा सकती है अगर पुराने मामले जिंदा हो जाएं.
और कौन से चेहरे दावेदारी की दौड़ में
- गैविन क्रिस्टोफर न्यूसम एक बिजनेसमैन होने के अलावा मंजे हुए पॉलिटिशियन हैं.
- इलिनॉइस के गवर्नर जे रॉबर्ट प्रित्जकर पार्टी के लिए बड़ा दांव हो सकते हैं.
- 52 साल की ग्रेचेन वाइटमर को भी दावेदार माना जा रहा है.
- अमेरिकी राजनीतिज्ञ शेरोड कैम्पबेल ब्राउन के बारे में भी बात हो रही है.