Delhi Air Pollution: राजधानी दिल्ली में हवा लगातार खराब होती जा रही है. हालांकि, हवा में कुछ सुधार जरूर हुआ है, लेकिन दिल्ली में प्रदूषण अब भी 'बेहद खराब' स्थिति में बना हुआ है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि धीमी हवा और पराली जलाने की घटनाएं बढ़ने से स्थिति बद से बदतर हो सकती है.
रविवार को सुबह 9 बजे दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI का स्तर 367 पर था, जो शाम 4 बजे तक सुधरकर 352 पर आ गया. हालांकि, कई इलाकों में अभी भी प्रदूषण का स्तर 'बेहद गंभीर' श्रेणी में है. शनिवार को AQI का स्तर 397 पर था, जो जनवरी के बाद सबसे खराब था.
दिवाली यानी सोमवार के दिन AQI का स्तर 312 पर था. अगले दिन ये 302 और बुधवार को 271 पर आ गया था.
कहां सबसे खराब हवा?
राजधानी दिल्ली के कई इलाके ऐसे हैं, जहां प्रदूषण 'गंभीर' श्रेणी में है. रविवार को आनंद विहार में AQI का स्तर 449 रहा. आनंद विहार दिल्ली की सबसे प्रदूषित जगह है. इसके बाद विवेक विहार में AQI का स्तर 402 पर रहा.
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, AQI का स्तर जब 401 से 500 के बीच रहता है, तो उसे 'गंभीर' माना जाता है. इतना ज्यादा प्रदूषण होने पर स्वस्थ लोगों की तबीयत भी खराब हो सकती है और जो किसी बीमारी से जूझ रहे हैं, उनपर गंभीर असर हो सकता है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि आनंद विहार और विवेक विहार में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. उनका कहना है कि यहां पर रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) के कंस्ट्रक्शन का काम हो रहा है और हो सकता है कि इस वजह से प्रदूषण बढ़ रहा हो.
उन्होंने बताया कि कंस्ट्रक्शन का काम करने वाली एजेंसी को डस्ट पॉल्यूशन कंट्रोल नियमों का सख्ती से पालन करने को कहा गया है. उन्होंने बताया कि इन इलाकों में पानी छिड़कने की 7 मशीनों के अलावा 15 एंटी-स्मॉग गन को लगाया गया है.
आनंद विहार और विवेक विहार के अलावा नरेला, मुंडका, द्वारका, पंजाबी बाग, आरके पुरम, बवाना, रोहिणी सेक्टर-16, ओखला, जहांगीरपुरी, वजीरपुर और मायापुरी भी प्रदूषण का हॉटस्पॉट बने हुए हैं.
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प्रदूषण बढ़ने की वजह क्या?
इसकी दो वजह है. पहली- पराली जलाने की घटनाओं का बढ़ना और गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ. इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट (IARI) के मुताबिक, रविवार को पंजाब में पराली जलाने की 1,761 घटनाएं हुईं. वहीं, शनिवार को 1,898 और शुक्रवार को 2,067 घटनाएं हुई थीं. पंजाब के अलावा रविवार को हरियाणा में 112 और उत्तर प्रदेश में 43 मामले सामने आए.
कमिशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने गुरुवार को कहना था कि पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं 'गंभीर चिंता का विषय' है.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, रविवार को दिल्ली के PM2.5 में पराली जलाने की हिस्सेदारी 26% हो गई, जो इस साल अब तक सबसे ज्यादा है.
PM2.5 सबसे खतरनाक होता है, क्योंकि ये हमारे बालों से भी 100 गुना छोटा होता है. PM2.5 का मतलब है 2.5 माइक्रॉन का कण. माइक्रॉन यानी 1 मीटर का 10 लाखवां हिस्सा. हवा में जब इन कणों की मात्रा बढ़ जाती है तो विजिबिलिटी प्रभावित होती है. ये इतने छोटे होते हैं कि हमारे शरीर में जाकर खून में घुल जाते हैं. इससे अस्थमा और सांस लेने में दिक्कत होती है.
दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने की दूसरी बड़ी वजह गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ है. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर डीजल पर चलने वाली बसें प्रदूषण का स्तर बढ़ा रही हैं. उन्होंने यूपी सरकार से अपील करते हुए कहा कि एनसीआर जिलों में डीजल की बजाय सीएनजी बसें चलाई जाएं, ताकि प्रदूषण के स्तर में कमी लाई जा सके.
सरकार क्या कर रही है?
राजधानी में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने पानी छिड़कने वालीं 521 मशीनें और 223 एंटी-स्मॉग गन और 150 मोबाइल एंटी-स्मॉग गन को लगाया है.
इसके अलावा, प्रदूषण का स्तर बढ़ने पर ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) की तीसरी स्टेज को लागू कर दिया गया है. इसके तहत दिल्ली में कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन एक्टिविटी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. हालांकि, जरूरी प्रोजेक्ट्स पर ये रोक नहीं है.
साथ ही स्वच्छ ईंधन पर काम नहीं करने वाले ईंट भट्टियों, हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर में खनन गतिविधियों पर भी रोक लगा दी गई है. जिन औद्योगिक इलाकों में PNG इन्फ्रास्ट्रक्चर और आपूर्ति की सुविधा नहीं है, वहां हफ्ते में सिर्फ 5 दिन ही काम करने की अनुमति है.