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शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी 'आरोपी' बनी तो क्या होगा?

शराब घोटाले में जेल में बंद मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से सवाल किया कि पूरे मामले में आम आदमी पार्टी को फायदा पहुंचा है तो फिर उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया गया?

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सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि आम आदमी पार्टी को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि आम आदमी पार्टी को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया.

दिल्ली के कथित शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी के बड़े नेता फंसते जा रहे हैं. पहले मनीष सिसोदिया और अब संजय सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से एक सवाल किया है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि अगर शराब घोटाले से सीधे पार्टी को फायदा पहुंचा तो फिर उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया गया?

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जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने ये सवाल तब किया, जब वो पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की दो अलग-अलग जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. शराब घोटाले की जांच सीबीआई और ईडी दोनों कर रही है.

बेंच ने ईडी से पूछा, 'जहां तक मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है तो ये पूरा केस एक राजनीतिक पार्टी को रिश्वत देने से जुड़ा है. इससे पार्टी को फायदा हुआ. न कि सिसोदिया को. तो फिर इस मामले में पार्टी को अब तक आरोपी क्यों नहीं बनाया गया?'

दरअसल, ईडी ने दावा किया था कि आम आदमी पार्टी को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली थी, जिसका इस्तेमाल उसने 2022 के गोवा विधानसभा चुनाव में किया था.

क्या AAP को आरोपी बनाया जा सकता है?

इस मामले पर आजतक की सहयोगी वेबसाइट लल्लनटॉप ने सीनियर एडवोकेट आशीष कुमार पांडेय से बात की. 

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उन्होंने बताया कि इस मामले में सीबीआई और ईडी ने चार्जशीट दाखिल की है. आरोप है कि इस घोटाले से प्रोसीड ऑफ क्राइम (आपराधिक कमाई) आई हैं. और इसका फायदा आम आदमी पार्टी को हुआ है. 

उन्होंने बताया कि आरोपों के मुताबिक इस पैसे का इस्तेमाल चुनाव अभियानों और बाकी दूसरी चीजों पर किया गया. एक तथ्य ये भी सामने आया है कि जिन लोगों को इसमें आरोपी बनाया गया है, उनके पास से आपराधिक कमाई बरामद नहीं की गई है.

पांडेय के मुताबिक, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाया है कि जब आम आदमी पार्टी को इससे सीधा फायदा हुआ है तो उसे आरोपी क्यों नहीं बनाया गया.

दोष साबित हुआ तो क्या होगा?

आशीष पांडेय के मुताबिक, राजनीतिक पार्टी भी एक बॉडी ऑफ पर्सन है. आईपीसी में भी जिक्र है कि लोगों के एक समूह को भी एक आरोपी व्यक्ति की तरह पेश किया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि अगर किसी राजनीतिक पार्टी को आरोपी बनाया जाता है और उस पर आरोप साबित भी हो जाते हैं तो उसके ऊपर जुर्माना लगाया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि आम आदमी पार्टी एक रजिस्टर्ड राष्ट्रीय पार्टी है. उसके पास चुनाव आयोग का दिया चुनाव चिह्न है. अगर साबित हो जाता है कि पार्टी किसी आपराधिक गतिविधि में शामिल रही है तो चुनाव आयोग इसके खिलाफ कार्रवाई कर सकती है. उसके राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे या चुनाव चिह्न को लेकर भी कार्रवाई हो सकती है.

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चुनाव आयोग क्या कर सकता है?

इस मामले में चुनाव आयोग की ओर से भी जवाब आ गया है. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि अगर किसी राजनीतिक पार्टी का नाम चार्जशीट में आरोपी के तौर पर आता है, तो फिर उचित कार्रवाई का पालन किया जाएगा.

क्या अरविंद केजरीवाल जेल जा सकते हैं?

इस सवाल पर आशीष कहते हैं कि अगर आम आदमी पार्टी आरोपी बनती है और आरोप सिद्ध भी हो जाते हैं तो सजा पार्टी को ही मिलेगी.

उन्होंने बताया कि जब तक इस घोटाले में अरविंद केजरीवाल की संलिप्तता नहीं पाई जाती, तब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. सिर्फ पार्टी का मुखिया होने के नाते केजरीवाल के खिलाफ शायद ही कोई केस चलाए.

क्या सुप्रीम कोर्ट की बात मानेगी ईडी?

गुरुवार को मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि सवाल उठाने का मकसद किसी को फंसाना नहीं था.

बेंच ने कहा कि कल हमने जो सवाल उठाया था, वो किसी को फंसाने के लिए नहीं था. मान लीजिए अगर A पर मुकदमा नहीं चलाया जा रहा है तो क्या B और C पर मुकदमा चलाया जा सकता है? 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद मीडिया में कुछ अज्ञात सूत्रों के हवाले से दावा किया गया था कि ईडी आम आदमी पार्टी को आरोपी बना सकती है. 

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सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि मुझसे आज सुबह मीडिया ने पूछा. मैंने कहा- अगर सबूत है तो हम किसी को नहीं छोड़ेंगे.

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