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60 दिन सुकून के फिर रोए आंसू खून के... ये दिल्ली है श्रीमान... सर्दी हो या गर्मी यहां 10 महीने आफत में रहती है जान!

दिल्ली वाले इस वक्त न सिर्फ भयंकर गर्मी से जूझ रहे हैं, बल्कि पानी की किल्लत का सामना भी कर रहे हैं. दिल्ली वालों के लिए साल के सिर्फ दो महीने ऐसे ही होते हैं, जो थोड़े सुकून भरे होते हैं. बाकी पूरे साल किसी न किसी समस्या से ही जूझते रहते हैं.

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दिल्ली में गर्मी के बीच जलसंकट जारी है.
दिल्ली में गर्मी के बीच जलसंकट जारी है.

दिल्ली इस समय पानी की भयानक कमी से जूझ रही है. पानी की ये किल्लत ऐसे वक्त हो रही है, जब आसमान से आग बरस रही है. लेकिन ये सब पहली बार नहीं हो रहा है. दिल्ली में हर साल ही गर्मी में जल संकट खड़ा हो जाता है. सिर्फ पानी ही नहीं... कड़कती धूप से लेकर कड़ाके की ठंड... कड़ाके की ठंड से लेकर तेज मूसलाधार बारिश... और इन सब दिक्कतों के बीच जहरीली हवा. इन सारी समस्याओं से दिल्ली वालों को साल के 12 महीने दो-चार होना पड़ता है. मुश्किल से दो महीने ही ऐसे होते हैं, जो थोड़ा सुकून लेकर आते हैं.

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पानी की किल्लत

दिल्ली सरकार के 2024-25 के आर्थिक सर्वे के मुताबिक, दिल्ली वालों को हर दिन 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत है, मगर दिल्ली जल बोर्ड हर दिन 95 करोड़ गैलन पानी की सप्लाई भी नहीं कर पा रहा है. 

आलम ये है कि दिल्ली के कई इलाकों में कई-कई दिनों से पानी आ नहीं रहा है. और अगर आ भी रहा है तो इतना नहीं कि जरूरतें पूरी हो सकें. राजधानी दिल्ली में पानी का ये संकट हर साल गर्मियों में खड़ा हो जाता है. 

ऐसा इसलिए क्योंकि दिल्ली का अपना कोई पानी का बहुत बड़ा जरिया नहीं है. उसे पानी के लिए उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब पर निर्भर होना पड़ता है. इसमें भी सबसे बड़ा हिस्सा हरियाणा का है.

जल मंत्री आतिशी का कहना है कि दिल्ली में हर दिन 105 करोड़ गैलन पानी की सप्लाई होती है, जिसमें से 61.3 करोड़ गैलन पानी हरियाणा की यमुना से आता है. उन्होंने दावा किया कि हरियाणा से 51.3 करोड़ गैलन पानी ही मिल रहा है. इसका मतलब है कि दिल्ली में 10 करोड़ गैलन पानी की कमी है. 

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आतिशी ने दावा किया कि 10 लाख गैलन पानी से 28,500 लोगों की हर दिन की जरूरत पूरी होती है. अगर दिल्ली को हरियाणा से 10 करोड़ गैलन पानी कम मिल रहा है तो इसका मतलब है कि 28 लाख से ज्यादा लोगों को कम पानी मिल रहा है. 

दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक, राजधानी में 9 वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट हैं, जहां से पानी की सप्लाई होती है. इन ट्रीटमेंट प्लांट्स से हर दिन 95.6 करोड़ गैलन पानी का उत्पादन हो सकता है, लेकिन अभी क्षमता से कम पानी का उत्पादन हो रहा है. 18 जून को 9 वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट से 91.6 करोड़ गैलन पानी का उत्पादन हुआ था. 

पानी की किल्लत, ऊपर से गर्मी

दिल्ली में पानी की कमी ऐसे वक्त हो रही है, जब भयानक गर्मी पड़ रही है. मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली में जून महीने में अब तक एक दिन भी ऐसा नहीं गया, जब पारा 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहा हो. जबकि, पिछली साल 18 जून तक पांच दिन ही पारा 40 डिग्री के पार गया था.

पहली जून को ही दिल्ली में पारा 45.8 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था. जो अब तक का सबसे ज्यादा है. इसके बाद से कुछ दिन छोड़ दिए जाएं तो हर दिन पारा 44 डिग्री के ऊपर ही रहा है.
आंकड़े देखें जाएं तो 2023 की जून में सबसे ज्यादा तापमान 14 जून को था. तब पारा 41.8 डिग्री सेल्सियस के पार चला गया था. जबकि, इस साल पारा 45.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच चुका है.

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इससे पहले मई में पांच दिन पारा 45 डिग्री के ऊपर रहा था. 30 मई को तापमान 46.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था. इससे पहले 29 मई 1944 को 47.2 डिग्री सेल्सियस तक पारा पहुंचा था. 

चिंता बढ़ाने वाली बात ये है कि बारिश नाममात्र की हो रही है. मई में कम से कम 30.7 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी, लेकिन 0.4 मिमी ही हुई. इसी तरह पिछले साल जून में 17 दिन बारिश हुई थी, जबकि इस साल 18 जून तक सिर्फ दो ही दिन बारिश हुई है और वो भी हल्की-फुल्की.

दिल्ली में कुछ सालों से गर्मियों में पारा 45 डिग्री के पार चला जाता है. जबकि, गर्मियों में औसतन तापमान 39 से 40 डिग्री सेल्सियस रहता है. मौसम विभाग के मुताबिक, मार्च से ही दिल्ली में पारा 30 डिग्री के ऊपर पहुंच जाता है और अक्टूबर तक इतना ही रहता है. 

... बस कुछ दिन की राहत

इस तपती और चिलचिलाती गर्मी से थोड़ी राहत तब मिलती है, जब मॉनसून की एंट्री होती है. आमतौर पर दिल्ली में जून के आखिरी में मॉनसून की एंट्री हो जाती है. 

मौसम विभाग के मुताबिक, दिल्ली में सबसे ज्यादा बारिश जुलाई और अगस्त में होती है. जुलाई और अगस्त, यानी यही वो 60 दिन होते हैं जब दिल्ली वालों को थोड़ी राहत मिलती है.

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ये 60 दिन इसलिए राहत भरे होते हैं, क्योंकि मॉनसून की वजह से न बहुत ज्यादा गर्मी होती है और न ही पानी की किल्लत होती है. इन दो महीनों में औसतन 450 मिलीमीटर बारिश होती है. 

इतना ही नहीं, यही वो दो महीने होते हैं जब दिल्ली की हवा सबसे ज्यादा साफ होती है. जुलाई और अगस्त में दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI का स्तर 'संतोषजनक' और 'मध्यम' श्रेणी में रहता है. 2023 की जुलाई में AQI का औसत स्तर 84 और अगस्त में 116 रहा था. AQI का स्तर 0 से 50 के बीच रहता है तो उसे 'अच्छा' माना जाता है. वहीं, 51 से 100 के बीच रहने पर 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच रहने पर 'गंभीर' माना जाता है.

सितंबर के बाद से हवा का स्तर बिगड़ना शुरू हो जाता है. और फिर जब सर्दियां शुरू होती हैं तब तो सांस लेना भी मुश्किल होता है. आंकड़ों के मुताबिक, 2023 में सिर्फ एक दिन ही ऐसा था, जब AQI का स्तर 50 से कम था. जबकि, AQI का स्तर 60 दिन 'संतोषजनक', 145 दिन 'मध्यम', 77 दिन 'खराब', 67 दिन 'बहुत खराब' और 15 दिन 'गंभीर' की श्रेणी था.

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और फिर कड़कड़ाती सर्दी

दिल्ली में नवंबर के आखिरी से सर्दियों की शुरुआत हो जाती है और फरवरी के दूसरे हफ्ते तक खत्म हो जाती है. दिसंबर और जनवरी में सबसे ज्यादा सर्दी पड़ती है और सारे रिकॉर्ड टूट जाते हैं. हालांकि, अब दिल्ली में सर्दियों के दिन कम होते जा रहे हैं.

पिछले साल दिसंबर में तापमान सामान्य से ज्यादा ही रहा था. 2017 के बाद 2023 का दिसंबर सबसे गर्म रहा था. पिछली दिसंबर औसतन अधिकतम तापमान 24.1 डिग्री सेल्सियस था, जो सामान्य (22.8 डिग्री) से ज्यादा था. जबकि, औसतन न्यूनतम तापमान 8.6 डिग्री रहा था, जो सामान्य (8.4 डिग्री) से ज्यादा रहा था.

हालांकि, दिसंबर भले ही थोड़ा गर्म रहा हो, लेकिन जनवरी में सारे रिकॉर्ड टूट गए थे. 2024 की जनवरी 13 साल में सबसे ज्यादा ठंडी रही थी.

जनवरी में औसतन अधिकतम तापमान 17.7 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 6.2 डिग्री सेल्सियस रहा था, जो 13 साल में सबसे कम था. इसी साल 14 जनवरी को दिल्ली में तापमान 3.5 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था. बीती सर्दियों में दिसंबर में एक भी दिन कोल्ड वेव नहीं चली थी, लेकिन जनवरी में 5 दिन कोल्ड वेव चली थी और 5 दिन सबसे ठंडे रहे थे.

अब देखा जाए तो सालभर दिल्ली की आबोहवा ऐसी रहती है कि यहां पीना-रहना और सांस लेना मुश्किल सा हो जाता है. तो जिस कड़ाके की सर्दी और खराब हवा से साल की शुरुआत होती है, उसी सर्दी और खराब हवा से साल खत्म हो जाता है. इस बीच सालभर में जलती-चुभती गर्मी, पानी का संकट और उमस के बीच ही यहां जिंदगियां गुजर-बसर करती हैं. एक बात और... दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी है. यहां की हवा दुनिया में सबसे खराब है. ये बात स्विट्जरलैंड की संस्था IQAir की रिपोर्ट में सामने आई है.

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