हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला किया. इससे ठीक पहले इजरायली इंटेलिजेंस मोसाद के लोग कतर सरकार से मिलने पहुंचे थे. सालों तक कतर से गाजा पट्टी तक भारी मदद पहुंचती रही. इन्हीं पैसों से हमास खड़ा हुआ. इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने न केवल इस फंडिंग पर हामी भरी, बल्कि उसे बढ़ावा ही देते रहे थे. सऊदी अरब के पूर्व खुफिया प्रमुख प्रिंस तुर्की अल-फैसल ने भी ये आरोप लगाया कि इजरायल अपने कारणों से हमास तक कतर के पैसे पहुंचने दे रहा था.
गाजा पट्टी को मिल रही थी फंडिंग
साल 2018 में दोहा से गाजा की तरफ फंडिंग पहुंचने लगी. इजरायल को इस बारे में सारी जानकारी थी. एक इंटरनेशनल मीडिया रिपोर्ट सऊदी अरब के इंटेल चीफ अल-फैसल के हवाले से कहती है कि 15 मिलियन डॉलर सूटकेस से उसी साल गाजा पहुंचे. हमास ने दावा किया कि वो इन पैसों से लोगों को तनख्वाह दे रहा है और अस्पतालों तक सुविधाएं पहुंचा रहा है. तब तक वेस्ट बैंक की फिलिस्तीनी अथॉरिटी (PA) ने गाजा पट्टी के सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में कटौती कर दी थी. ये बात खुद इजरायल सरकार ने कही ताकि उसका कतर से आने वाले पैसों पर पक्ष साफ रहे.
क्या कहना था इजरायल का
इस दौरान नेतन्याहू पर आरोप भी लगा कि वो हमास को लेकर नर्म रवैया रखते हैं. लेकिन उनका कहना था कि कुछ भी बिना सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स से बातचीत किए बिना नहीं हो रहा. इजरायली सरकार ने ये दावा भी किया कि इन पैसों से गाजा में सुविधाएं बढ़ेंगी, साथ ही शांति भी बढ़ेगी. इससे हमास भी लड़ने-झगड़ने की बजाए सरकारी कामकाम में उलझ जाएगा.
वेस्ट बैंक की टक्कर पर लाने की थी कोशिश
इसका एक पक्ष ये भी था कि जैसे वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी अथॉरिटी काम कर रही है, वैसे ही गाजा में भी एक मजबूत दावेदार रहे. वो हमास था. बता दें कि गाजा में साल 2007 से हमास अपना राज चला रहा है. जबकि वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी अथॉरिटी काम करती है. तो इजरायल हमास की फंडिंग को पावर बैलेंस की तरह देख रहा था.
मोसाद चीफ डेविड बार्निया हमले से लगभग महीनेभर पहले कतर गए थे. ये एक रूटीन मीटिंग थी, जिसमें सवाल हुआ कि क्या इजरायल अब भी हमास के लिए फंडिंग चाहता है. जवाब तब भी हां था. यानी इजरायल को अंदाजा भी नहीं था कि जिन पैसों को वो गाजा में शांति के लिए पहुंचने दे रहा है, उससे वही खतरे में आ जाएगा. माना जा रहा है कि कतर ने इजरायल से नजर बचाकर दूसरे स्त्रोतों से भी गाजा तक पैसे पहुंचाए.
लेकिन इन दावों का दूसरा पक्ष भी है
अगर इजरायल सरकार हमास को मजबूत बनाना चाहती तो वो दुनिया के सामने उसके खात्मे का एलान नहीं करती. नेतन्याहू समेत इजरायली आर्मी ने हमास को मिटाने की धमकी ही नहीं दी, बल्कि तीन महीनों से लगातार उसपर हमलावर हैं. इसकी एक वजह ये भी है कि हमास के कब्जे में अब भी इजरायली बंधक हैं.
क्या नेतन्याहू कमजोर पड़ जाएंगे
पहले भी दोनों के बीच लड़ाई हो चुकी है. इसके बीच नेतन्याहू की लोकप्रियता कम हो रही है. कुछ ही समय पहले एक पोल में केवल 27 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नेतन्याहू सरकार चलाने के लिए सही व्यक्ति हैं. ये सर्वे लेजर रिसर्च इंस्टीट्यूट ने कंडक्ट किया था.
हमास को दूसरे देश भी देते रहे पैसे
हमास को कतर ही नहीं, कई दूसरे अरब देशों से भी पैसे आते रहे. अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट के मुताबिक, कई बार हमास को तुर्की और लेबनान के फाइनेंसर के जरिए भी ईरान से फंडिंग हुई है. मई 2022 में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने बताया था कि हमास ने तुर्की से लेकर सऊदी अरब तक की कंपनियों में 50 करोड़ डॉलर का निवेश करने वाली कंपनियों का एक सीक्रेट नेटवर्क तैयार कर रखा था.
कतर पहले इजरायल को इलेक्ट्रॉनिकली पैसे भेजता. ये पैसे इजरायल और यूनाइटेड नेशन्स के अधिकार कैश के रूप में सूटकेस में भरकर गाजा पट्टी तक पहुंचाते. वहां रहने वाले जरूरतमंद परिवार मदद पहुंचने के बाद डॉक्युमेंट्स भी साइन करते, जिसकी कॉपी इजरायल, कतर और यूएन के पास जाती. यानी सबकुछ खुले में हो रहा था.