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क्या रूस और अमेरिका की दोस्ती की कसौटी बनेगा ग्रीनलैंड, क्यों इस बर्फीले रेगिस्तान पर मची है रार?

डोनाल्ड ट्रंप के ग्रीनलैंड खरीदने के इरादे पर अब रूस ने भी बड़ा बयान दे दिया. हाल में व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि नई अमेरिकी सरकार को हल्के में लेना बड़ी गलती है. अमेरिका हमेशा से यही चाहता है. पुतिन के गोलमोल बयान के दोनों ही मतलब निकल रहे हैं. हो सकता है कि वे वॉशिंगटन से दोस्ती की खातिर ट्रंप के आइडिया को सपोर्ट करें लेकिन रूस तो खुद आर्कटिक को लेकर सपने देखता रहा!

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ट्रंप प्रशासन ग्रीनलैंड पर लगातार बात कर रहा है. (Photo- Unsplash)
ट्रंप प्रशासन ग्रीनलैंड पर लगातार बात कर रहा है. (Photo- Unsplash)

वाइट हाउस में आई नई अमेरिकी सरकार बिना लाग-लपेट अपनी महत्वाकांक्षाएं जता रही है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड को खरीदने की बात की. इस बात पर हालांकि वहां की आबादी नाखुशी जता चुकी लेकिन ट्रंप प्रशासन अपनी बात पर कायम है. हाल में यूएस के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ग्रीनलैंड पहुंचे, जिससे इस बात को और बल मिला. इस बीच रूस के लीडर और ट्रंप के नए-नए दोस्त व्लादिमीर पुतिन ने भी अमेरिकी इरादे पर ऐसी बात कही, जो वाइट हाउस के पक्ष में है.

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तो क्या नई मित्रता को मजबूत करने के लिए पुतिन ऐसी बात कर रहे हैं, या फिर ग्रीनलैंड और रूस में कोई तनाव रहा, जिसे साधने के लिए वे अलग बयान देने लगे?

कौन सी बात कही हाल में

आर्कटिक सर्कल के सबसे बड़े शहर मूरमान्स्क में स्पीच देते हुए पुतिन ने कहा- यह बड़ी गलती होगी अगर नए अमेरिकी प्रशासन की बात ऊटपटांग माना जाए. ऐसा कुछ नहीं है. यूएस 19वीं सदी से ऐसा चाहता है. यहां तक कि दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद उसने डेनमार्क से ग्रीनलैंड को खरीदने की भी कोशिश की थी. उसके पास ग्रीनलैंड पर बड़ी योजनाएं हैं, जिसकी जड़ें ऐतिहासिक हैं. यह स्वाभाविक है कि आर्कटिक में उसकी भौगोलिक, रणनीतिक और आर्थिक दिलचस्पी है. 

लेकिन पुतिन के बयानों का दूसरा पहलू भी है.

अब तक आर्कटिक में सबसे मजबूत देश वो रहा. अमेरिकी आमद के बाद इसपर असर पड़ सकता है. इसे लेकर वो कहीं न कहीं चिंतित भी है. पुतिन स्पीच के बीच यह साफ करना नहीं भूले कि वे भले ही आर्कटिक में किसी को छेड़ नहीं रहे लेकिन उनकी नजर इसपर बनी हुई है. और जरूरत पड़ने पर वे उनकी सैन्य ताकत भी बढ़ाएंगे. 

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does vladimir putin support donald trump expansion on greenland why photo AFP

इसका क्या मतलब है

पुतिन दो नावों की सवारी करते दिख रहे हैं. वे ट्रंप से अपनी दोस्ती बनाए रखने के लिए एक तरफ ग्रीनलैंड के आइडिया को सपोर्ट भी कर रहे हैं तो दूसरी तरफ यह आशंका भी है कि कहीं रूस आर्कटिक से भी अपनी मजबूती न खो दे. एक पहलू ये भी है कि रूस चाहता है कि अमेरिका उसके साथ मिलकर पूरे आर्कटिक में निवेश करे ताकि नेचुरल रिसोर्सेस से फायदा लिया जा सके. रूसी डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड के चीफ अधिकारी दिमित्रिएव ने कहा कि वे बर्फीले इलाके में जॉइंट इनवेस्टमेंट चाहते हैं. 

क्या है रूस और ग्रीनलैंड का इतिहास

ग्रीनलैंड का दो-तिहाई हिस्सा आर्कटिक में आता है और यही वो क्षेत्र है जिसे रूस रणनीतिक महत्व का मानता है. VOA से एक इंटरव्यू में डेनमार्क के एनालिस्ट ने बताया कि रूसी मिसाइलों के लिए अमेरिका की तरफ सबसे छोटा रास्ता ग्रीनलैंड से होकर जाता है. रूस ने शीत युद्ध के समय से इस क्षेत्र में भारी सैन्य निवेश किया. बता दें कि रूस के पास इस वक्त दुनिया का सबसे लंबा आर्कटिक तट है, जो उसकी उत्तरी सीमा से होते हुए गुजरता है. 

इसे संभालने के लिए मॉस्को ने वहां बेहद मॉडर्न सैन्य बेस बना रखा है. इसके अलावा उसके पास 40 से ज्यादा आइसब्रेकर जहाज हैं जो वहां किसी जंग की स्थिति में कारगर साबित हो सकते हैं. कुल मिलाकर सामरिक लिहाज से देखें तो रूस यहां सबसे ज्यादा दमखम के साथ मौजूद है.

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क्या ग्रीनलैंड में भी है मॉस्को 
 
ग्रीनलैंड में उसकी कोई आधिकारिक मौजूदगी नहीं लेकिन कई बार उसपर आरोप लगे कि वो यहां भी अपनी खुफिया एक्टिविटीज रखता है. जैसे, साल 2019 में डेनमार्क ने मॉस्को पर आरोप लगाया कि वो ग्रीनलैंड में अपनी खुफिया एजेंसी के जरिए जासूसी मिशन चला रहा है. रूस से कई वैज्ञानिक टीमें रिसर्च के लिए ग्रीनलैंड जाती रहती हैं, इसे लेकर भी वो घिर चुका कि ये शायद जासूसी या सैन्य सर्वे का तरीका हो सकता है. 

अभी आर्कटिक में अमेरिका का कितना हिस्सा

ग्रीनलैंड वैसे तो अमेरिका का विरोध कर रहा है लेकिन वहां दूसरे वर्ल्ड वॉर के समय से अमेरिकी एयर बेस बना हुई है. इसके अलावा अमेरिका आर्कटिक काउंसिल का सदस्य है और उसके पास वहां कुछ समुद्री क्षेत्र भी हैं. आर्कटिक में उसका सबसे बड़ा राज्य अलास्का है. 

does vladimir putin support donald trump expansion on greenland photo Getty Images

कहां है ग्रीनलैंड और क्या है राजनीतिक स्थिति 

आर्कटिक और नॉर्थ अटलांटिक महासागरों के बीच बसे इस द्वीप की खोज 10वीं सदी में हुई थी, जिसके बाद यहां यूरोपीय कॉलोनी बसाने की कोशिश की गई, लेकिन वहां के हालात इतने मुश्किल थे कि कब्जा छोड़ दिया गया. बाद में लगभग 14वीं सदी के आसपास यहां डेनमार्क और नॉर्वे का एक संघ बना, जो इसपर संयुक्त रूप से राज करने लगा.

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कौन रहता है ग्रीनलैंड में 

विस्तार के मामले में दुनिया के 12वें सबसे बड़े देश की आबादी लगभग 60 हजार है. इनमें स्थानीय आबादी को इनूएट कहते हैं, जो डेनिश भाषा ही बोलते हैं, लेकिन इनका कल्चर डेनमार्क से अलग है. बर्फ और चट्टानों से भरे इस देश में आय का खास जरिया नहीं, सिवाय सैलानियों के. इनूएट दुकानदार लोकल केक, बर्फीली मछलियां और रेंडियर की सींग से बने शो-पीस बेचकर पैसे कमाते हैं. मंगोलों से ताल्लुक रखती ये जनजाति एस्किमो भी कहलाती है, जो बेहद ठंडे मौसम में कच्चा मांस खाकर भी जी पाती है.

19वीं सदी में इसपर डेनमार्क का कंट्रोल हो गया. अब भी ये व्यवस्था कुछ हद तक ऐसी ही है. ग्रीनलैंड फिलहाल एक स्वायत्त देश है, जो डेनमार्क के अधीन आता है. वहां अपनी सरकार तो है लेकिन बड़े मुद्दे, फॉरेन पॉलिसी जैसी बातों को डेनिश सरकार देखती है. 

does vladimir putin support donald trump expansion on greenland photo Getty Images

अमेरिका क्यों चाहता है कब्जा 

शीत युद्ध के दौरान इसका रणनीतिक महत्व एकदम से उभरकर सामने आया. अमेरिका ने तब यहां अपना एयर बेस बना लिया ताकि पड़ोसियों पर नजर रखने में आसानी हो. बता दें कि ग्रीनलैंड जहां बसा है, वहां से यूएस रूस, चीन और यहां तक कि उत्तर कोरिया से आ रही किसी भी मिसाइल एक्टिविटी पर न केवल नजर रख सकता है, बल्कि उसे रोक भी सकता है. इसी तरह से वो यहां से एशिया या यूरोप में मिसाइलें भेज भी सकता है. 

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दूसरी वजह ये है कि ग्रीनलैंड मिनरल-रिच देश है. ग्लोबल वार्मिंग के कारण जैसे-जैसे आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है, वैसे-वैसे यहां के खनिज और एनर्जी रिसोर्स की माइनिंग भी बढ़ रही है. यहां वे सारे खनिज हैं, जो मोबाइल फोन और इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ हथियारों में इस्तेमाल होते हैं. फिलहाल चीन इन मिनरल्स का बड़ा सप्लायर है. अमेरिका इस कतार में आगे रहना चाहता है.

ग्रीनलैंड के आसपास बर्फ पिघलने से नए समुद्री व्यापार मार्ग खुल सकते हैं, जो वैश्विक व्यापार और भू-राजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं. आर्कटिक में तेजी से पिघलती बर्फ के कारण ग्रीनलैंड के पास से गुजरने वाले समुद्री मार्ग साल में ज्यादा वक्त तक खुले रह सकते हैं. अब तक आजमाए जा चुके व्यापार मार्गों की बजाए ये रास्ते यूरोप और एशिया के बीच की दूरी काफी घटा देंगे. 

यूएस ने कब-कब जताया ग्रीनलैंड को खरीदने का इरादा

- साल 1867 में तत्कालीन एंड्रयू जॉनसन प्रशासन ने ग्रीनलैंड और आइसलैंड दोनों को लेने की पेशकश की थी. यही वो वक्त था जब उसने अलास्का को रूस से कौड़ियों के मोल खरीदा था. इसी क्रम में उसे आस बंधी कि ये हिस्से भी उसे मिल जाएंगे. लेकिन डेनमार्क ने इससे मना कर दिया. 

- साल 1946 में  राष्ट्रपति हैरी एस. ट्रूमैन ने 100 मिलियन डॉलर के बदले ग्रीनलैंड को लेना चाहा. ये दूसरे वर्ल्ड वॉर के ठीक बाद का समय था. डेनमार्क उतना मजबूत नहीं था. यूएस ने उसे सौ मिलियन डॉलर की कीमत का गोल्ड देने तक की बात कही लेकिन वो तब भी राजी नहीं हुआ. 

- ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में सार्वजनिक तौर पर ग्रीनलैंड को खरीदने की बात कही. यहां तक कि उसे रियल एस्टेट डील कह दिया, लेकिन इस बार भी ऐसा नहीं हो सका. नाराज ट्रंप ने वहां अपनी तय यात्रा रद्द कर दी. 

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