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226 साल पुराने कानून से पूरा होगा ट्रंप का 'मास डिपोर्टेशन' प्लान... इंडियंस पर भी होगा असर?

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अवैध प्रवासियों पर बड़ी गाज गिरने वाली है. ट्रंप ने मास डिपोर्टेशन का प्लान तैयार कर लिया है. अवैध प्रवासियों को खदेड़ने के लिए टॉम होमेन को नियुक्त भी कर दिया है. ट्रंप का कहना है कि वो इसके लिए 1798 का सख्त कानून लागू करेंगे. ऐसे में जानते हैं कि इस कानून के लागू होने से क्या असर होगा?

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डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. (फाइल फोटो-AP/PTI)
डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे. (फाइल फोटो-AP/PTI)

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत की बड़ी वजहों में से एक अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने का वादा भी रहा है. सीएनएन का एग्जिट पोल बताता है कि 87% ट्रंप समर्थकों का मानना था कि अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट किया जाना चाहिए.

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चुनाव से पहले 4 नवंबर की एक रैली में ट्रंप ने वादा किया था कि वो अमेरिकी जमीन पर रह रहे हरेक अवैध प्रवासी को हटाने के लिए 1798 के एलियन एनेमी एक्ट को लागू करेंगे. एक बार नहीं, बल्कि ट्रंप ने कई बार इस कानून को लागू करने का वादा किया था.

ट्रंप का दावा है कि ये कानून उनके अधिकारियों को जबरदस्त अधिकार देगा. ये कानून अमेरिका में बसे सभी संदिग्ध प्रवासियों और ड्रग डीलरों को खदेड़ने में मदद करेगा.

माना जा रहा है कि अगले साल 20 जनवरी को जब ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ ले लेंगे, तो वो सबसे अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने पर काम शुरू करेंगे. ट्रंप ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. ट्रंप ने अपने डिपोर्टेशन के प्लान को अमलीजामा पहनाने के लिए टॉम होमन को नियुक्त किया है. इसे 'मास डिपोर्टेशन' भी कहा जा रहा है.

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तो कब कानून लागू कर सकते हैं ट्रंप?

ट्रंप जिस कानून को लागू करने का वादा कर रहे हैं, उसे 1798 में लाया गया था. तब जॉन एडम्स अमेरिका के राष्ट्रपति थे.

इस कानून को दो परिस्थितियों में लागू किया जा सकता है. पहला- जब अमेरिका और किसी देश के बीच युद्ध छिड़ जाए. और दूसरा- जब कोई देश अमेरिका पर आक्रमण कर दे या घुसपैठ करे या फिर ऐसा करने की धमकी दे.

दूसरे शब्दों में कहें तो अगर अमेरिका किसी देश के साथ युद्ध में है या किसी विदेशी मुल्क ने अमेरिका पर हमला कर दिया है या करने की धमकी दी है तो 1798 का एलियन एनेमी एक्ट लागू किया जा सकता है.

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पर यही कानून क्यों?

अवैध घुसपैठ या अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट करने के और भी कानून हैं, लेकिन ट्रंप इसी कानून को लागू क्यों करना चाहते हैं? इसका जवाब खुद ट्रंप ने एक रैली में दिया था. उन्होंने कहा था कि हमारे देश को ठीक करने का यही तरीका है, क्योंकि ये कानून जबरदस्त अधिकार देता है.

इस कानून को लागू करने की एक वजह ये भी है कि इसके तहत जिसे 'विदेशी दुश्मन' करार दिया जाएगा या जिसे डिपोर्ट किया जाएगा, वो अदालत में चुनौती नहीं दे सकता.

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जानकारों का मानना है कि ट्रंप नहीं चाहते कि उनका डिपोर्टेशन प्लान अदालती पचड़ों में फंसे. क्योंकि अदालत में जाने पर डिपोर्टेशन का मामला सालों तक अटक जाता है.

हालांकि, ऐसा नहीं है कि इस कानून के तहत डिपोर्ट किए जा रहे विदेशी नागरिकों के पास अपील का कोई अधिकार नहीं होगा. ऐसे लोग अदालतों में अपील कर सकते हैं, लेकिन इसकी प्रक्रिया काफी जटिल है. सीएनएन के मुताबिक, इस तरह के मामलों में अदालतें अपना फैसला राष्ट्रपति पर डाल देती हैं.

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किन लोगों पर पड़ेगा इसका असर?

उन लोगों पर जो अमेरिका के नागरिक नहीं हैं और बगैर दस्तावेज या अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे हैं. इस कानून के तहत, ऐसे सभी लोगों को 'विदेशी दुश्मन' करार दिया जाएगा. ऐसे हालात में इन लोगों को हिरासत में रखा जा सकता है और डिपोर्ट किया जा सकता है.

शुरुआत में ये कानून सिर्फ विदेशी पुरुषों पर लागू होता था. लेकिन 1918 में इसमें संशोधन किया गया, जिसके बाद ये विदेशी महिलाओं पर भी लागू होता है. इस कानून के दायरे में 14 साल या उससे ज्यादा उम्र के सभी विदेशी नागरिक आते हैं.

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अमेरिका में कितने अवैध प्रवासी?

अमेरिका में एक करोड़ से ज्यादा अवैध प्रवासी हैं. प्यू रिसर्च के सर्वे में ये जानकारी सामने आई थी. अमेरिका में साल दर साल अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ती जा रही है.

प्यू रिसर्च के मुताबिक, 90 के दशक में अमेरिका में अवैध प्रवासियों की संख्या 35 लाख के आसपास थी. लेकिन 2022 के आखिरी तक इनकी संख्या बढ़कर 1.10 करोड़ के पार चली गई. 

2019 से 2022 के बीच अवैध प्रवासियों की संख्या छह राज्यों- फ्लोरिडा, मैरीलैंड, मैसाचुएट्स, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क और टेक्सास में बढ़ी है. सिर्फ कैलिफोर्निया में ही इनकी संख्या में कमी आई है. इतना ही नहीं, 2022 तक अमेरिका में लगभग 83 लाख कामगार अवैध प्रवासी थे. 2019 तक काम करने वाले अवैध प्रवासियों की संख्या 73 लाख थी.

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भारतीयों पर क्या होगा असर?

अमेरिका में ऐसे हजारों भारतीय भी हैं, जो अवैध तरीके से वहां रह रहे हैं. अमेरिकी सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2022 से सितंबर 2023 के बीच 96 हजार 917 भारतीयों को बगैर दस्तावेज के अमेरिका में एंट्री करते हुए पकड़ा गया था. इनमें से कुछ को हिरासत में ले लिया गया, किसी को वापस भेज दिया गया तो किसी को एंट्री ही नहीं दी गई. 

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कोविड के बाद बॉर्डर दोबारा खुलने के बाद अमेरिका में बगैर वैध दस्तावेज के आने वाले भारतीयों की संख्या कई गुना बढ़ गई है.

हाल ही में डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने बताया था कि जून 2024 के बाद से अक्टूबर तक 1.60 लाख से ज्यादा विदेशी नागरिकों को वापस उनके देश भेज दिया गया है. डिपोर्ट किए गए लोगों में बड़ी संख्या में भारतीय भी थे.

कब-कब लागू हुआ है ये कानून?

अमेरिका के इतिहास में इस कानून को अब तक तीन बार लागू किया जा चुका है. हर बार इसे युद्ध के हालातों में ही लागू किया गया है. पहली बार 1812 में, दूसरी बार पहले विश्व युद्ध और तीसरी बार दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इसे लागू किया गया था. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लाखों विदेशी नागरिकों को हिरासत में लिया गया था.

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