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क्या ब्रेन चिप से दिमाग पर कंट्रोल कर लिया जाएगा, Musk से पहले पेंटागन गुपचुप करता रहा प्रयोग

अमेरिका की रिसर्च कंपनी DARPA ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया, जिसे नाम दिया- रिपेयर. ये ह्यूमन ब्रेन-चिप प्रोजेक्ट है. इस प्रोजेक्ट से जुड़े सारे वैज्ञानिक खुफिया तरीके से जीते हैं. दर्पा पर कई बार आरोप लगा कि वो इंसानी दिमाग, खासकर आर्मी पर नियंत्रण की योजना बना रही है ताकि सैनिकों को कत्लेआम में थोड़ी भी हिचक न हो.

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एलन मस्क के स्टार्टअप न्यूरालिंक को ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी मिल चुकी. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
एलन मस्क के स्टार्टअप न्यूरालिंक को ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी मिल चुकी. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

एलन मस्क के स्टार्टअप न्यूरालिंक को ह्यूमन ट्रायल की मंजूरी मिल गई है. न्यूरालिंक ऐसी चिप बना रहा है, जो सीधे दिमाग में लगाई जाएगी. मस्क का दावा है कि इससे ब्रेन से जुड़ी बीमारियों के मरीजों को काफी फायदा होगा. मस्क के अलावा दुनिया के कई देशों की सरकारें भी इस तरह के प्रयोग कर रही हैं, जिसपर काफी कंस्पिरेसी भी है. कई एक्सपर्ट मानते हैं कि इससे इंसानी दिमाग पर कंट्रोल पाकर उसे रोबोट बना दिया जाएगा. 

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आगे क्या हो सकता है

न्यूरालिंक का इरादा है कि वो अगले 6 सालों में 20 हजार से ज्यादा लोगों के दिमाग में चिप लगाएगा. फिलहाल लकवाग्रस्त मरीजों के लिए ही ट्रायल को मंजूरी मिली है. हालांकि वालंटियर के तौर पर भी काफी लोगों के सामने आने की बात हो रही है.

ये तो हुए एलन के स्टार्टअप की बात, जो फिलहाल दिमागी बीमारियों से राहत का दावा करते हुए ह्यूमन चिप को उतार रहा है. वहीं कई ऐसे देश हैं, जो कथित तौर पर चिप से दिमागों को कंट्रोल करना चाहते हैं, खासकर सैनिकों के ताकि वे पूरी बर्बरता से लड़ें और मरने-मारने को लेकर मन में कोई दुख न आए. 

elon musk brain chip neuralink photo Getty Images

कंसेप्ट की शुरुआत अमेरिका से मानी जाती है

ये देश लंबे-लंबे समय तक कई देशों से युद्ध में उलझा रहा. उसके सैनिक सालों तक घरों से दूर रहे. यही जब लौटे तो डिप्रेशन के मरीज हो चुके थे. युद्ध से लौटे बहुत से सैनिकों ने खुदकुशी करने लगे. पेंटागन आर्मी को इसी ट्रॉमा से बचाने की कोशिश करने लगा. उसने सोचा कि ऐसे सैनिकों के दिमाग का बीमार हिस्सा हटा दिया जाए. फिलहाल ये मुमकिन नहीं है तो दूसरा तरीका ये सोचा गया कि उसमें चिप लगा दी जाए जो इमोशन्स को कंट्रोल कर सके.

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रिपेयर नाम के प्रोजेक्ट की हुई शुरुआत 

अमेरिका की बेहद तेज-तर्रार और चुपचाप काम करने वाली डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (DARPA) ने इसका जिम्मा लिया. उसने एक प्रोजेक्ट लॉन्च किया, जिसे नाम मिला रिपेयर. इस ब्रेन चिप प्रोजेक्ट को खूब गोपनीयता से शुरू किया गया. ये अलग बात है कि बात लीक हो गई, जिसे संभालने के लिए अमेरिकी सरकार को खुद बयान देकर बात पर लीपापोती करनी पड़ी. उन्होंने माना कि उनका इरादा सिर्फ दिमागी तकलीफ से जूझ रहे सैनिकों को वापस सामान्य बनाना है.

elon musk brain chip neuralink photo Pixabay

क्या कहती है कंस्पिरेसी थ्योरी

कहा जाने लगा कि ये एक इंसान के दिमाग की सारी जानकारी, सारा तजुर्बा, यहां तक कि सारी गोपनीय बातें निकालकर एक कंप्यूटर चिप में डाल देने जैसा है. जाहिर सी बात है कि अगर चिप कंट्रोल कर सकेगी तो वो सबकुछ जान भी सकेगी. यानी ब्रेन-चिप की ये मर्जिंग काफी खतरनाक हो सकती है. इसके बाद भी स्टडी चलती रही. फिलहाल रिपेयर नाम के इस खास प्रोजेक्ट पर कोई भी पुख्ता जानकारी ओपन सोर्स में कहीं नहीं दिखती, सिवाय मोटा-मोटी बातों के.

इस तरह काम करते हैं प्रोजेक्ट में कर्मचारी 

दर्पा के तहत लगभग 220 सीनियर एक बिल्डिंग के भीतर लगातार काम कर रहे हैं. इसका हेडक्वार्टर वर्जिनिया में है. इनके अलावा 2 हजार दूसरे लोग भी हैं, जो कॉन्ट्रैक्ट पर हैं. ये लैब में काम करने वाले जूनियर साइंटिस्ट या यूनिवर्सिटी प्रोफेसर्स हैं. इसकी दूसरी शाखाएं भी हैं, जो अलग-अलग तरह से, लेकिन एकदम सीक्रेसी में काम करती हैं. इसमें कथित तौर पर कर्मचारी खुद निगरानी में रहते हैं. 

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elon musk brain chip neuralink photo Unsplash

आर्मी को जॉम्बी बनाने की तैयारी?

साल 2015 में साइंस लेखिका एनी जेकबसन ने एक किताब लिखी थी- द पेंटागन्स ब्रेन. इसमें उन्होंने कहा था कि कैसे खुफिया तरीके से इसकी तैयारी हो रही है कि आर्मी को जॉम्बी बना दिया जाए. एनी डर जताती हैं कि चिप से सैनिकों का इलाज नहीं होगा, बल्कि उन्हें ऐसी मशीन में बदल दिया जाएगा जो बिना रूके हफ्तों लड़ाई कर सके. जिसे किसी पर दया न आए और जो सिर्फ कत्लेआम मचाए. सख्त से सख्त ट्रेनिंग भी सैनिक को कहीं न कहीं कमजोर बना देती है, लेकिन दिमाग में छेड़छाड़ करके उन्हें मशीन बनाया जा सकेगा.

चीन पर DNA से छेड़छाड़ का आरोप

दिमाग से छेड़छाड़ का ये खतरा सिर्फ अमेरिका में नहीं, बल्कि कई देशों में होने की रिपोर्ट्स हैं. चीन एक अलग ही स्तर पर काम कर रहा है. अमेरिकी नेशनल इंटेलिजेंस ने दो साल पहले आरोप लगाया था कि चीन अपने सैनिकों से जीन्स में बदलाव कर रहा है ताकि उन्हें ज्यादा क्रूर बनाया जा सके. जीन एडिटिंग के टेक्नोलॉजी वैसी ही है जैसे दो अलग नस्ल के कुत्तों के मेल से नया कुत्ता बनाना, जो ज्यादा आक्रामक और हिंसक हो. हालांकि ये जेनेटिक एडिटिंग है, इसकी बात कभी और. फिलहाल हम ब्रेन इंटरफेस को और समझते हैं.

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elon musk brain chip neuralink photo Getty Images

इस तरह होता है काम
 

ब्रेन इंटरफेस को ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) भी कहते हैं. ये एक तरह से ब्रेन और कंप्यूटर की मर्जिंग है, जैसे दो कंपनियों की होती है, जिसके तहत दिमाग के न्यूरॉन्स और कंप्यूटर चिप आपस में बात कर पाते हैं. यानी निर्देश का लेनदेन हो सकता है.

न्यूरालिंक की चिप कैसी होगी

कंपनी न्यूरालिंक के इस प्रोजेक्ट के बारे में जो मोटी जानकारी सामने आई, उसके मुताबिक ये चिप एक छोटे सिक्के के आकार की होगी, जो लोगों खासकर मरीज के सिर के भीतर ट्रांसप्लांट हो जाएगी. चिप से छोटे-छोटे वायर निकले होंगे, जो हमारी बालों से भी 20 गुना ज्यादा बारीक होंगे. इसमें हजार से ज्यादा इलेक्ट्रोड लगे होंगे, जो ब्रेन की हरकतों को भी देखें, और उसे स्टिम्युलेट भी करें.

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