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इंडिया गेट, लाल किला... हर जगह कैसे दिख रहे 200 KM दूर बैठे किसान? AI का है कमाल

एमएसपी की लीगल गारंटी समेत कई मांगों को लेकर किसान एक बार फिर सड़क पर उतर आए हैं. किसानों को पुलिस ने दिल्ली से 200 किलोमीटर दूर रोक दिया है, लेकिन सोशल मीडिया पर एआई का इस्तेमाल कर प्रदर्शनकारियों को लाल किला और इंडिया गेट पर दिखाया जा रहा है.

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एआई के जरिए प्रदर्शनकारियों को इंडिया गेट के सामने दिखा दिया गया है.
एआई के जरिए प्रदर्शनकारियों को इंडिया गेट के सामने दिखा दिया गया है.

एक ओर हजारों किसान दिल्ली की ओर कूच करने की कोशिश में जुटे हैं, दूसरी ओर पुलिस भी उन्हें रोकने में पुरजोर ताकत लगा रही है. फसलों पर एमएसपी की लीगल गारंटी समेत कई मांगों को लेकर किसानों ने मंगलवार को 'दिल्ली चलो मार्च' का आह्वान किया था. 

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किसानों का ये ताजा आंदोलन फिलहाल तो शांत होता नहीं दिख रहा है. लेकिन सोशल मीडिया पर इसे लेकर दो धड़ बंट गए हैं. एक वो हैं जो सरकार का साथ दे रहे हैं और दूसरे वो हैं जो किसान के साथ हैं. और खास बात ये है कि सोशल मीडिया पर अपना एजेंडा फैलाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल कर रहे हैं.

पोस्ट एक... यूजर्स अनेक

इंडिया टुडे की ओपन सोर्स इंटेलिजेंस टीम (OSINT) ने एक्स (पहले ट्विटर) पर चल रहे कैंपेन की पहचान की है. इन कैंपेन के जरिए एक ओर किसान समर्थक हरियाणा और केंद्र सरकार पर पुलिस की मनमानी करने का आरोप लगाया है. वहीं, सरकार समर्थक अकाउंट प्रदर्शनकारियों को चुनाव से पहले राजनीति से प्रेरित एजेंडे को आगे बढ़ाने वाला बताते हैं. 

पर दोनों ओर से चलाए जा रहे कैंपेन में खास बात ये है कि पोस्ट एक ही है. मतलब, एक ही प्रकार के मैसेज, पोस्ट या हैशटैग बदलते नहीं हैं.

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उदाहरण के लिए, एमएसपी को लेकर रवि भदौरिया नाम के यूजर की ओर से एक पोस्ट की गई. रवि भदोरिया खुद को सोशल मीडिया एक्टिविस्ट बताते हैं और उन्हें बीजेपी के कई नेता भी फॉलो करते हैं. उनकी पोस्ट को ही बाकी यूजर्स ने भी कॉपी-पेस्ट कर दिया. 

सरकार समर्थक यूजर्स एक ही मैसेज को बार-बार पोस्ट कर रहे हैं. इन पोस्ट में किसानों को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है, मार्च को न रोक पाने के लिए पंजाब पुलिस की आलोचना हो रही है और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की जा रही है. 

इसी तरह, किसान समर्थक अकाउंट की ओर से पोस्ट किए गए सैकड़ों ट्वीट भी बिल्कुल एक ही थे. इन ट्वीट में प्रदर्शनकारियों की मांगों को जायज ठहराया जा रहा है, सरकार की आलोचना की जा रही है. पीएम नरेंद्र मोदी की तुलना कुख्यात जनरल डायर से की जा रही है और हरियाणा पुलिस की कथित ज्यादतियों को बताया जा रहा है. 

ऑनलाइन बेटल...

किसानों के विरोध प्रदर्शन की चर्चा 9 फरवरी को जोर पकड़ने लगी थी, लेकिन इससे चार दिन पहले कई किसान संगठनों और समर्थकों ने एमएसपी के लिए लीगल गारंटी समेत कई मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने के मकसद से दिल्ली तक अपना मार्च शुरू कर दिया था. 

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एनालिसिस के मुताबिक, 9 फरवरी के बाद से सोशल मीडिया पर #FarmersProtest2024, #farmerprotests2024, #KisanAndolan, #FarmerProtest2024, #FarmersProtest2 और #DilliChalo जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं. इन हैशटैग से 20 लाख से ज्यादा पोस्ट की गई हैं, जबकि इनपर 80 लाख से ज्यादा इंगेजमेंट है.

सोशल मीडिया एनालिटिक्स फर्म टॉकटॉवर के मुताबिक, #FarmersProtest2024 पर अकेले 39 लाख इंगेजमेंट आए. इसके बाद #FarmerProtest2024 ने 17 लाख और #KisanAndolan ने 13 लाख इंगेजमेंट हासिल किए.

इसी बीच, एक्स ने भी कई सारे आक्रामक हैशटैग हटा दिए हैं. ऐसे ही दो हैशटैग कई पोस्ट में दिखे तो जरूर, लेकिन एक्स के सर्च फंक्शन पर उन्हें सर्च करने पर ब्लैंक पेज दिखाई दिया. टॉकटॉवर के डेटा से पता चलता है कि इन दोनों हैशटैग से कम से कम 51 ट्वीट्स किए गए.

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एआई का इस्तेमाल

एनालिसिस से पता चलता है कि सोशल मीडिया यूजर्स ने अपने मैसेज को प्रभावी ढंग से फैलाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का फायदा उठाने की कोशिश की है. 

उदाहरण के लिए, पुलिस ने किसानों को दिल्ली से करीब 200 किलोमीटर पहले ही रोक दिया है, लेकिन एआई का इस्तेमाल कर यूजर्स ने इन्हें दिल्ली के इंडिया गेट, लाल किला और संसद भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन करते हुए दिखा दिया.

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एआई जेनरेटेड तस्वीरों में प्रदर्शनकारी किसानों को कच्ची सड़क पर शांतिपूर्ण तरीके से चलते हुए, कंटीले तारों और बैरिकेड्स के बीच अपने ट्रैक्टरों के साथ विरोध प्रदर्शन करते हुए, पुलिसकर्मियों को खाना बांटते हुए और लाल किले की प्राचीर पर अपना धार्मिक चिह्न फहराते हुए दिखाया गया. 

इतना ही नहीं, एआई जेनरेटेड तस्वीरों और साउंड को मिलाकर कुछ वीडियो भी बनाए गए हैं. इसका इस्तेमाल कर प्रदर्शनकारियों को अपमानित करने के लिए भी किया जा रहा है.

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