देश के अलग-अलग हिस्सों से डॉग अटैक के दिल दहलाने वाले मामले लगातार आ रहे हैं. इनके पीछे अलग-अलग वजहें तो दी ही जा रही थीं, लेकिन इस सबके बीच ये मांग भी गहरा रही थी कि विदेशी ब्रीड के वे पशु, जो खतरनाक माने जाते हैं, उनके पाले जाने पर बैन लग जाए. सरकार ने एक हद तक ये मांग मान भी ली. केंद्र ने 12 मार्च से 23 नस्लों के आक्रामक कुत्तों के आयात, बिक्री और प्रजनन पर बैन लगाने की बात करते हुए राज्य सरकारों से इसे देखने की बात कही. ये वे ब्रीड्स हैं, जो इंसानों के लिए खतरा हैं.
क्या नियम आ सकता है
पशुपालन और डेयरी विभाग ने सभी राज्यों और यूनियन टैरिटरी से आग्रह किया कि कुत्तों की कुछ खास नस्लों, जिन्हें पहले से ही पालतू जानवर के रूप में रखा गया है, उनका आगे प्रजनन न हो ऐसा इंतजाम होना चाहिए. सरकार की ये बात फिलहाल केवल रिकमंडेशन है, नियम नहीं. ये नियम तब बन सकता है, जब गजेट पास हो.
सरकार ने स्टेट्स से बैन का आग्रह किया क्योंकि हाई कोर्ट दिल्ली में इस आशय की पिटीशन फाइल हुई थी. इसमें कई एक्टिविस्ट्स ने कहा था कि कुछ खास नस्लों के लिए देश का मौसम या खानपान उतना बेहतर नहीं. उन्हें अलग ट्रेनिंग और भागदौड़ की भी जरूरत होती है. ऐसे में उन्हें पालना ब्रीड के साथ तो गलत है ही, इंसान भी इसकी चपेट में लगातार आ रहे हैं.
इन कुत्तों को माना गया क्रूर
पिटबुल टेरियर, टोसा इनु, अमेरिकन स्टेफोर्डशायर टेरियर, फिला ब्रासीलीरो, डोगो अर्जेंटीनो, अमेरिकन बुलडॉग, बोअरबोएल कांगल, मध्य एशियाई शेफर्ड डॉग, कोकेशियन शेफर्ड डॉग, रोडेशियन रिजबैक, वुल्फ डॉग, कैनारियो, अकबाश डॉग, मॉस्को गार्ड डॉग, केन कोर्सो और बैंडोग नस्ल उन नस्लों में से हैं जिन्हें केंद्र द्वारा प्रतिबंधित करने का सुझाव दिया गया.
जिनके पास पहले से कुत्ते हैं, वे क्या करेंगे
अगर राज्य सरकारें इन नस्लों पर पूरी पाबंदी लगा दें तब भी ऐसे मालिकों को छूट रहेगी, जिनके पास पहले से ही बैन्ड नस्लें हों. लेकिन इसमें भी कई कंडीशन्स हैं. जैसे कुत्तों को लाइसेंस होना चाहिए ताकि ये रिकॉर्ड में रहे. साथ ही उनका वैक्सिनेशन और स्टरलाइजेशन भी हो. मालिक को इस सबका रिकॉर्ड रखना पड़ेगा ताकि संबंधित विभाग इसे देख सके. इसके अलावा नए लाइसेंस जारी नहीं होंगे.
गार्ड डॉग्स पर न लगे पाबंदी
कुत्तों की खतरनाक मानी जा रही ब्रीड्स पर बैन लगने से पहले ही विरोध होने लगा. जैसे, केरल में रॉटवेलर्स की भारी डिमांड है. बहुत से लोगों ने इसपर काफी पैसे लगाए. तर्क दिया जा रहा है कि बैन्ड होने जा रही लिस्ट में कई गार्ड डॉग हैं, जिनका उपयोग रात में खेतों की सुरक्षा में होता है ताकि नीलगाय या जंगली पशुओं के हमले न हों. बैन से फसलों के खराब होने का खतरा रहेगा.
हमारे यहां कहानी के कई दूसरे एंगल भी
यहां केवल डॉग अटैक से जान नहीं जाती, बल्कि रेबीज से मौतों के मामले में देश सबसे ऊपर रहा. साल 2021 में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने कहा था कि भारत में सालाना 21 हजार से ज्यादा मौतें रेबीज से होती हैं. ये पूरी दुनिया का 36 प्रतिशत है. बीते कुछ सालों में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ने के साथ इस जानलेवा बीमारी का भी खतरा बढ़ता चला जा रहा है. इसके साथ ही लोगों का कुत्तों के लिए गुस्सा भी बढ़ रहा है.
कुत्तों पर भी हो रहे अटैक
अब ऐसे मामले भी आ रहे हैं, जहां लोगों ने कुत्तों को मारने या घायल करने की कोशिश की. यही सब देखते हुए केंद्र ने इसपर प्रतिबंध का प्रस्ताव दिया. पिटबुल या अमेरिकन बुलडॉग को लें तो ये जंगली ब्रीड हैं. इन्हें घर पर रखने से पहले पक्की ट्रेनिंग न हो, तो वे हिंसक होकर सीधा इंसानों पर अटैक करते हैं. पोलैंड में इनपर साल 1997 में ही बैन लग गया था. इसके बाद लगभग सभी देशों ने पिटबुल के पालने, ब्रीडिंग या उसके आयात पर बैन लगा दिया.
ब्रिटेन में कड़ी है पाबंदी
ब्रिटेन में कुत्तों की ऐसी नस्लें हैं, जिन्हें पालना या खरीदना-बेचना गैरकानूनी हो चुका. ये हैं पिल बुल टरियर, जापानीज टोसा, डोगो अर्जेंटिनो, अमेरिकन एक्सएल बुली डॉग्स और फाइला ब्रेसिलाइरो. ये सारी ब्रीड्स वे हैं, जिन्हें युद्ध के लिहाज से पाला-पोसा जाता रहा. ज्यादातर क्रॉस-ब्रीडिंग से पैदा होते हैं. इन्हें संभालना आसान नहीं. कुछ महीनों पहले ही वहां ये बैन लागू हुआ.
अगर कोई बैन्ड कुत्तों को रखता है, तो यूके पुलिस उसे उठा ले जाएगा. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि डॉग का रिकॉर्ड कितना अच्छा रहा, या वो कितना शांत रहता है. इंसानों के अलावा यहां भेड़ों या छोटे जानवरों पर डॉग अटैक के मामले काफी बढ़े हुए थे.
इन शर्तों के साथ अमेरिकी राज्यों में इजाजत
अमेरिका के सभी राज्यों में कुत्तों की 23 किस्मों पर पाबंदी है. कई राज्यों में ये लिस्ट लंबी है, साथ ही कई शर्तें भी हैं, जैसे घर में छोटे बच्चे न हों. मालिक की उम्र 21 साल या ज्यादा हो. इसके अलावा 1 लाख डॉलर का लाइबिलिटी इंश्योरेंस हो. जिन घरों में कुत्ते हों, वहां चेतावनी का बोर्ड हर हाल में हो. ज्यादातर देशों में अगर आप कुत्तों के साथ यात्रा कर रहे हों तो पहले बैन्ड डॉग्स की लिस्ट देखनी होती है.
कनाडा अकेला देश है, जहां के केवल दो ही राज्यों ने पिटबुल पर प्रतिबंध लगाया. बाकी जगहों पर वैक्सिनेशन और मुंह बांधकर आप अपना कुत्ता ला- ले जा सकते हैं.