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दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को G-20 समिट होनी है. ये समिट राजधानी के प्रगति मैदान में बने इंटरनेशनल एग्जिबिशन कम कन्वेंशन सेंटर में होगी. इसे 'भारत मंडपम' नाम दिया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 जुलाई को भारत मंडपम का उद्घाटन किया था. भारत मंडपम देश का सबसे बड़ा कन्वेंशन सेंटर है.
इसका उद्घाटन करते समय प्रधानमंत्री मोदी ने भारत मंडपम नाम रखने की पीछे की वजह भी बताई थी. ये नाम भगवान बसवेश्वर के 'अनुभव मंडपम' से प्रेरित है. पीएम मोदी ने कहा था, 'अनुभव मंडपम यानी वाद और संवाद की लोकतांत्रिक पद्धति. अनुभव मंडपम यानी अभिव्यक्ति. आज दुनिया ये स्वीकार कर रही है कि भारत लोकतंत्र की जननी है.'
भारत मंडपम के आर्किटेक्ट संजय सिंह ने न्यूज एजेंसी को बताया कि इसे 'दिल्ली की खिड़की' के रूप में डिजाइन किया गया है. ये भारत की पारंपरिक विरासत और विविधता को दुनिया के सामने दिखाता है.
न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से उन्हें सिर्फ एक लाइन में ये मैसेज मिला था कि कन्वेंशन सेंटर भारतीय जड़ों से जुड़ी आधुनिक इमारत होनी चाहिए.
कितना भव्य है भारत मंडपम?
- प्रगति मैदान को रीडेवलप करने का काम 2017 में शुरू हुआ था. इसे नेशनल प्रोजेक्ट के तहत डेवलप किया गया है. इस पर 2,700 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
- भारत मंडपम के हर फ्लोर, हर रूम और हर जगह पर भारतीय संस्कृति और परंपरा की छाप दिखाई पड़ती है.
- ये पूरा कन्वेंशन सेंटर 123 एकड़ में फैला हुआ है. ये एरिया कितना बड़ा है, इसे ऐसे समझ सकते हैं कि ये फुटबॉल के 26 स्टेडियम के बराबर है.
- इसमें सात नए एग्जिबिशन हॉल बनाए गए हैं. इसके थर्ड फ्लोर पर एक बड़ा हॉल है, जिसमें सात हजार लोग एकसाथ बैठ सकते हैं. ये ऑस्ट्रेलिया के सिडनी ओपेरा हाउस से भी बड़ा है.
- इसके अलावा इसमें तीन ओपन एम्फीथिएटर भी बने हैं. इन एम्फीथिएटर में एक बार में तीन हजार लोग बैठ सकते हैं.
'विंडो टू दिल्ली'
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये पूरा कन्वेंशन सेंटर 2700 करोड़ की लागत में बना है. अकेले भारत मंडपम पर 750 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
- भारत मंडपम लुटियंस दिल्ली से सटा हुआ है. इसमें सबसे ऊपर 'विंडो टू दिल्ली' बनाई गई है. यहां से कर्तव्य पथ, राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट नजर आता है.
- तीन फ्लोर में बने भारत मंडपम को मीटिंग, कॉन्फ्रेंस और एग्जिबिशन के लिए तैयार किया गया है. इसमें एक वीआईपी रूम भी है, जिसे प्रधानमंत्री के लिए बनाया गया है.
- पहले फ्लोर पर 18 रूम बने हैं, जिन्हें आमतौर पर कॉन्फ्रेंस के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. साथ ही वीआईपी लॉन्ज भी बने हैं.
- दूसरे फ्लोर पर दो बड़े हॉल बने हैं. एक समिट रूम भी बना है. इसके साथ ही इस फ्लोर पर एक बड़ा लॉन्ज एरिया भी है, जिसे जरूरत पड़ने पर समिट रूम के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता था.
- तीसरे और आखिरी फ्लोर पर एक बड़ा सा हॉल बना है. इसमें चार हजार लोग बैठ सकते हैं. इससे ही लगा ओपन एम्फीथिएटर बना है, जिसमें तीन हजार लोग बैठ सकते हैं. इस तरह से इस हॉल में एक बार सात हजार लोग बैठ सकते हैं.
- भारत मंडपम में कश्मीर और भदोही (यूपी) के कारीगरों के हाथ से बनाई गई कालीनें बिछाई गईं हैं. जिस हॉल में G-20 समिट होगी, वहां कश्मीरी कालीनें बिछी हैं. बाहर भदोही की कालीनें हैं.
- इसके अलावा यहां पार्किंग के लिए भी बड़ा स्पेस है. यहां एक बार में पांच हजार गाड़ियों को पार्क किया जा सकता है. इनमें से चार हजार गाड़ियां अंडरग्राउंड पार्किंग में खड़ी हो सकती हैं.
- इतने भव्य और आधुनिक सुविधाओं से लैस बनाने के लिए आर्किटेक्चर ने जर्मनी और चीन में बने कन्वेंशन सेंटर का दौरा किया था.
और क्या है इसमें खास?
- इस इमारत को 'शंख' के आकार में डिजाइन में किया गया है. इसकी दीवारों पर भी भारतीय संस्कृति की परछाई हैं. दीवारों पर योगमुद्रा बनी हुईं हैं. तंजोर पेंटिंग और मधुबनी आर्ट इसकी दीवारों पर हैं.
- यहां 116 देशों के इंटरनेशनल सोलर अलायंस का प्रतीक 'सूर्य द्वार' है. 'जीरो से इसरो तक' भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान की कहानी बताते 'प्रगति चक्र' हैं. पंच महाभूत 'आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी' हैं.
आम लोग कब से आ सकेंगे?
- भारत मंडपम को अभी आम लोगों के लिए नहीं खोला गया है. G-20 समिट के बाद इसे आम लोगों के लिए खोला जाएगा.