बस कुछ दिन और... फिर राजधानी दिल्ली में दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के राष्ट्रप्रमुख मौजूद होंगे. मौका होगा G-20 समिट का. इसकी अध्यक्षता इस समय भारत के पास है. 30 नवंबर 2023 तक भारत G-20 का अध्यक्ष रहेगा.
पिछले साल जब 1 दिसंबर को भारत को इसकी अध्यक्षता मिली थी, तब से अब तक जम्मू-कश्मीर से लेकर जयपुर और लेह-लद्दाख तक... G-20 की बैठकें हो चुकी हैं.
1999 में जब G-20 का गठन हुआ था. तब ये वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों का संगठन हुआ करता था. उस समय भारत को इसका दूसरा अध्यक्ष चुना गया था. क्योंकि तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भारत ने दुनिया में अपनी नई छाप छोड़ी थी.
अतीत और वर्तमान
- वैश्विक मंच पर अपनी आर्थिक और भू-राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को दिखाने के लिए G-20 की अध्यक्षता मिलना भारत के लिए एक बड़ा मौका है.
- 90 के दशक में जहां भारत शर्मिला देश हुआ करता था, वहीं अब 2023 में दुनिया की एक प्रमुख शक्ति बन चुका है. पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भारत की पिछली और मौजूदा अध्यक्षता को लेकर कुछ बातें की हैं.
- यशवंत सिन्हा बताते हैं, 'उस समय G-20 की अध्यक्षता मिलना छोटी खबर हुआ करती थी. हम अपना काम बिना किसी शोर-शराबे के चुपचाप करने में विश्वास रखते थे. उस समय हमें अपने काम की चिंता रहती थी. लेकिन चीजें बदलती हैं.'
- यशवंत सिन्हा की तरह कई लोग हैं जो G-20 की अध्यक्षता मिलने पर प्रचार-प्रसार होने पर सवाल उठा रहे हैं. लेकिन केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि बीते 9 महीनों में भारत की अध्यक्षता में कई अहम काम हुए हैं.
- अप्रैल 2022 में G-20 की मीटिंग में रूस की मौजूदगी का विरोध दिखाने के लिए अमेरिका के ट्रेजरी सचिव जेनेट येलेन समेत कनाडा और यूरोप के कई देशों के वित्त मंत्रियों ने वॉकआउट कर दिया था. लेकिन पिछले 9 महीनों में इस तरह का वॉकआउट नहीं हुआ है.
- भारत की पिछली अध्यक्षता और मौजूदा अध्यक्षता में अगर तुलना की जाए तो अंतर साफ नजर आता है. पिछली अध्यक्षता में भारत जहां नरम देश के तौर पर था, वहीं भारत आज एक ऐसी शक्ति की तरह काम करना चाहता है जो सभी सदस्य देशों को एक साथ लेकर चल सके और जहां सभी देश अपने निजी हित को पीछे रखकर बड़े एजेंडे पर मिलकर काम कर सकें.
G-20 के लिए क्या है पीएम मोदी का विजन?
- एक ही विजन है. और वो ये कि भारत उन देशों की आवाज बनकर उभरना चाहता है, जिन्हें हाशिए पर धकेल दिया गया. प्रधानमंत्री के अनुसार, इस समिट में पहली बार वैश्विक समस्याओं का समाधान खोजने के लिए विकसित और विकासशील देशों को एक साथ लाया जाएगा.
- प्रधानमंत्री मोदी ने अफ्रीकी यूनियन को भी G-20 में शामिल करने पर जोर दिया है. उनका मानना है कि भारत और G-20 नई वैश्विक व्यवस्था के लिए 'कैटेलिक एजेंट' के रूप में काम करेगा.
... भारत मंडपम
- ये वो जगह है जहां दुनिया के तमाम बड़े नेता एक साथ इकट्ठे होंगे. दिल्ली के प्रगति मैदान में बना ये परिसर 123 एकड़ में फैला हुआ है.
- इसकी लागत 2,700 करोड़ रुपये है. इसे 'शंख' की डिजाइन में बनाया गया है. इसकी डिजाइन भारतीय परंपरा से प्रेरित है.
- भारत यहां पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूड्यू, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत 30 वैश्विक नेताओं की मेजबानी करेगा.
G-20 क्या है?
- G-20 के सदस्यों में भारत के अलावा अर्जेंटिना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, साउथ अफ्रीका, तुर्की, यूके, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं.
- G-20 के सदस्य देशों में दुनिया की दो-तिहाई आबादी रहती है. दुनिया की जीडीपी में लगभग 85% हिस्सेदारी भी इन्हीं देशों की है. साथ ही 75% से ज्यादा ग्लोबल ट्रेड भी इन्हें देशों से होता है.
- इसका गठन 1999 में हुआ था. तब G-20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों का संगठन हुआ करता था. दरअसल, 1997-98 में गंभीर आर्थिक संकट खड़ा हुआ था. पूर्वी एशियाई देशों की अर्थव्यवस्थाएं ढह गई थीं. इसलिए इसका गठन किया गया.
- लेकिन 2007-2008 में आई मंदी के बाद इसे शीर्ष नेताओं के संगठन में तब्दील कर दिया गया. 2009 और 2010 में साल में दो बार G-20 समिट का आयोजन होता था. 2009 में लंदन और पिट्सबर्ग में, जबकि 2010 में टोरंटो और सियोल में इसका आयोजन हुआ. 2011 के बाद से ये साल में एक बार ही होती है.
G-20 समिट क्या है?
- G-20 का कोई स्थायी अध्यक्ष नहीं है. जिस सदस्य देश के पास इसकी अध्यक्षता होती है, वही समिट का आयोजन करता है.
- 1 दिसंबर 2022 को इसकी अध्यक्षता भारत के पास आ गई थी. 30 नवंबर 2023 तक भारत ही इसका अध्यक्ष होगा. भारत से पहले इंडोनेशिया के पास इसकी अध्यक्षता थी.