दुनिया के सबसे ताकतवर देश की सबसे पावरफुल इमारत यानी वाइट हाउस में होना आसान बात नहीं. कद्दावर राष्ट्रपति भी एक बार चुनाव हारने के बाद इस जगह दोबारा नहीं लौट सके, सिवाय एक प्रेसिडेंट ग्रोवर क्लीववैंड के. इलेक्शन हारकर उन्हें ओवर ऑफिस छोड़ना पड़ा था, लेकिन वे तीसरी बार चुनाव लड़े और फिर जीते. वे अब तक के अमेरिकी इतिहास में अकेले प्रेसिडेंट हैं जिनके नाम ये उपलब्धि है. इस बार डोनाल्ड ट्रंप अगर चुनाव जीत सकें तो वे भी इसमें सेंध लगा देंगे.
वाइट हाउस के ग्राउंड फ्लोर पर स्थित ओवल ऑफिस का रिकॉर्ड रहा कि एक बार इससे बाहर निकलने पर दोबारा एंट्री मुश्किल है. हालांकि इसकी कोशिश कईयों ने की, लेकिन सफलता केवल ग्रोवर क्लीववैंड को मिली. न्यूयॉर्क के डेमोक्रेट उम्मीदवार क्लीवैंड ने साल 1884 में पहली बार चुनाव लड़ा और वाइट हाउस पहुंचे. अगले कार्यकाल के लिए एक बार फिर वे मैदान में तो उतरे लेकिन अपने प्रतिद्वंदी बेंजामिन हैरिसन से हार गए.
हालांकि ये हार कुछ अलग थी. हुआ ये कि क्लीवलैंड पॉपुलर वोटों में हैरिसन से काफी आगे थे, लेकिन इलेक्टोरल वोट्स में पीछे रह गए. इस तरह जनता के बीच बेहद लोकप्रिय होने के बाद भी वे वाइट हाउस नहीं लौट सके.
साल 1892 में वे तीसरी बार राष्ट्रपति चुनाव के लिए डेमोक्रेट्स के उम्मीदवार बने. पार्टी को अब भी उनसे उम्मीद थी, लिहाजा बगैर किसी फसाद के जमकर चुनाव प्रचार हुआ. हालांकि उनके हारकर फिर जीतने के पीछे और भी कई कारण थे.
उनसे पहले राष्ट्रपति के दौर में इकनॉमी में तेजी से गिरावट आई थी. ऐसे में क्लीवलैंड ने खुद को ऐसे एक ऐसे नेता के रूप में प्रोजेक्ट किया जो आर्थिक सुधार ला सकते थे. साथ ही साल 1888 में उनकी हार ने उन्हें चुनावी रणनीति में सुधार करने का मौका दिया. वे ज्यादा अच्छी तरह से इलेक्शन कैंपेनिंग कर सके. नब्बे में री-इलेक्ट होने के साथ ही वे सक्सेसफुल वापसी वाले पहले नेता बने, जो आज तक रिकॉर्ड है.
उनसे पहले और उनके बाद भी कई राष्ट्रपतियों ने कमबैक की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो सके. जैसे अमेरिका के 18वें राष्ट्रपति यूलीसिस एस ग्रांट लगातार दो टर्म्स तक देश के राष्ट्रपति रहे. तीसरे टर्म में वे चुनाव से खुद ही बाहर रहे. लेकिन फिर साल 1880 में वे एक बार फिर रिपब्लिकन्स की तरफ से उम्मीदवारी जताने लगे.
उन्होंने इसके लिए नामांकन भी दाखिल कर दिया, हालांकि वे अपनी ही पार्टी में नॉमिनेट नहीं हो सके. कई रिपब्लिकन ग्रांट के फिर से चुनाव लड़ने के खिलाफ थे. उन्होंने इसके विरोध में वोट करते हुए जेम्स गारफील्ड को सपोर्ट किया. इस तरह से ग्रांट कोशिश के बावजूद दोबारा ओवल ऑफिस नहीं लौट सके. राजनीतिक वापसी के जोखिमों को देखते हुए इसके बाद कई सालों तक किसी नेता ने दोबारा ये कोशिश नहीं की.
और किसने चाहा कमबैक
- हर्बर्ट हूवर साल 1932 में फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट से चुनाव हार चुके थे. इसके बाद उन्होंने कई बार वापसी चाही लेकिन मुमकिन नहीं हो सका.
- साल 1848 में मार्टिन वैन ब्यूरेन ने राष्ट्रपति पद पर वापस आने की कोशिश की थी. डेमोक्रेटिक पार्टी के न मानने पर उन्होंने एक अलग पार्टी से चुनाव लड़ा लेकिन लौट नहीं सके.
- मिलार्ड फिलमोर को तत्कालीन प्रेसिडेंट जैकर्री टेलर की मौत के बाद अपने-आप ही पद मिल गया. एक साल के अंतराल के बाद उन्होंने सीधा चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं सके.
ट्रंप अगर जीत सके तो कमबैक करने वाले दूसरे राष्ट्रपति बनेंगे. फिलहाल चुनावी काउंटडाउन के बीच कई संकेत ट्रंप के पक्ष में जाते दिख रहे हैं. राष्ट्रपति जो बाइडेन की जगह कमला हैरिस के नामांकित होने के बाद हैरिस के पक्ष में हवा चल पड़ी थी लेकिन वक्त के साथ ये कम होती दिखी. दो हफ्ते पहले रॉयटर्स और आईपीएसओएस ने एक सर्वे किया. लगभग 1150 मतदाताओं पर हुए सर्वे में 975 ने ट्रंप को लेकर उत्साह दिखाया. जब वोटर्स से पूछा गया कि दोनों में से किस उम्मीदवार का इकनॉमी, और नौकरियों के लिए बेहतर नजरिया है तो लगभग 47% ने ट्रंप को चुना, जबकि केवल 37% ने कमला हैरिस को चुना.