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हमास-इजरायल की जंग में ईरान कैसे बना अखाड़ा... हानिया के खात्मे के बाद अब मिडिल ईस्ट में क्या होगा?

हमास से जारी जंग के बीच इजरायल ने एक बड़ा एक्शन लिया है. इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान में हमास नेता इस्माइल हानिया को मार गिराया है. हालांकि, इजरायल ने अब तक इस पर आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा है. ऐसे में जानते हैं कि हमास और इजरायल की जंग में ईरान कैसे जंग का अखाड़ा बन गया? और अब क्या मध्य पूर्व में नई जंग शुरू होगी?

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हमास नेता इस्माइल हानिया. (फाइल फोटो-Reuters)
हमास नेता इस्माइल हानिया. (फाइल फोटो-Reuters)

हमास नेता इस्माइल हानिया ईरान की राजधानी तेहरान में मारा गया है. इस्माइल हानिया हमास की पॉलिटिकल विंग का मुखिया था. हमास ने हानिया के मारे जाने की पुष्टि की है.

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इस्माइल हानिया मंगलवार को ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुआ था. उसने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई से भी मुलाकात की थी. 

हमास ने बताया कि बुधवार सुबह हानिया के तेहरान स्थित घर को उड़ा दिया, जिसमें उनकी मौत हो गई. हमास ने इसके लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है. हमास नेता मूसा अबू मरजौक ने कहा कि हानिया की मौत बेकार नहीं जाएगा. उसने हानिया की हत्या को कायरता भरा कदम भी बताया है.

वहीं, अब तक इजरायल की ओर से इस पर कुछ नहीं कहा गया है. हालांकि, इजरायली मंत्री अमिचय नेतन्याहू ने कहा कि हानिया की मौत दुनिया को थोड़ा बेहतर बनाती है. उन्होंने कहा, 'दुनिया से गंदगी साफ करने का यही सही तरीका है. कोई समझौता नहीं. कोई दया नहीं.'

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कैसे हुआ हमला?

इस्माइल हानिया 2019 से कतर की राजधानी दोहा में रह रहा था. वो ईरान के नए राष्ट्रपति मसूज पेजेश्कियान के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए तेहरान गया था.

ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने बयान जारी कर हानिया की मौत की पुष्टि की है. IRGC ने बयान जारी कर बताया, 'आज सुबह तेहरान में इस्माइल हानिया के आवास पर हमला किया, जिसमें उनकी और उनके एक बॉडीगार्ड की मौत हो गई.'

हालांकि, ये हमला कब और कैसे हुआ, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है. IRGC ने बताया कि इसकी जांच की जा रही है. इसी बीच ईरान की न्यूज एजेंसी ने बताया कि देर रात लगभग ढाई बजे हमला हुआ था. 

वहीं, इजरायल ने अब तक इस पर कुछ नहीं कहा है. बताया जा रहा है कि इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने सभी मंत्रियों को इस पर टिप्पणी न करने का आदेश दिया है.

इस्माइल हानिया 30 जुलाई को ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई से मिला था. (फोटो क्रेडिटः सोशल मीडिया)

ईरान कैसे बना जंग का अखाड़ा?

इजरायल और ईरान लंबे समय से एक-दूसरे के साथ 'शेडो वॉर' में लगे हुए हैं. दोनों ही अक्सर जिम्मेदारी लिए बगैर एक-दूसरे पर हमले करते रहे हैं. लेकिन हमास जंग ने ईरान को भी जंग का अखाड़ा बना दिया है.

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हमास से जंग शुरू होने के बाद इजरायल और ईरान के रिश्ते और खराब हुए हैं. ईरान अक्सर इस बात को खारिज करता रहा है कि उसे 7 अक्टूबर को होने वाले हमास के हमले के बारे में पहले से पता था. जबकि, इजरायल ने ईरान पर हमास का समर्थन करने का आरोप लगाया है. 

हमास ही नहीं, लेबनान का हिज्बुल्ला और यमन के हूती विद्रोहियों को भी ईरान का समर्थन हासिल है. इनके अलावा इराक और सीरिया के कुछ गुटों को भी ईरान का समर्थन मिला है. ये सभी हमास से जंग में इजरायल के खिलाफ हैं. 

हमास से जंग शुरू होने के 10 दिन बाद ही ईरानी सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने धमकी दी थी कि अगर इजरायल की बमबारी जारी रहती है तो मुसलमान और रेजिस्टेंस फोर्स बेकाबू हो जाएंगी और फिर उन्हें कोई नहीं रोक पाएगा. खामेनेई ने गाजा पर तुरंत बमबारी रोकने की चेतावनी दी थी. 

पिछले साल 18 दिसंबर को ईरान पर एक साइबर हमला हुआ था. इस साइबर अटैक के कारण ईरान के 70 फीसदी फ्यूल स्टेशन का कामकाज बंद हो गया था. ईरान ने इसके लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था. 

25 दिसंबर को ईरानी मीडिया ने दावा किया था कि सीरिया की राजधानी दमिश्क के बाहरी इलाके में इजरायली ने बमबारी की है, जिसमें IRGC के टॉप कमांडर रजी मौसावी की मौत हो गई. इसके बाद 15 जनवरी को ईरान ने उत्तरी इराक के एरबिल में इजरायली जासूसी एजेंसी मोसाद की पोस्ट पर बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थीं. इस हमले में चार लोगों की मौत हो गई थी और छह घायल हो गए थे.

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हालांकि, दोनों के बीच तनाव अप्रैल में कहीं ज्यादा बढ़ गया था. दरअसल, एक अप्रैल की दमिश्क में ईरानी कॉन्सुलेट पर इजरायल ने हमला किया था. इस हमले में IRGC के ब्रिगेडियर मोहम्मद रजा जाहेदी भी मारे गए थे. फिर 13 अप्रैल को ईरान ने इजरायल पर 300 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइलोों से हमला कर दिया था. हालांकि, इजरायल ने दावा किया था कि उसने ईरान की 99 फीसदी मिसाइलों और ड्रोन को मार गिराया है. जबकि, ईरान का कहना था कि उसका मकसद पूरा हो गया है और अब और हमला करने की जरूरत नहीं है.

अब ईरान क्या करेगा?

इसी साल अप्रैल में जब इजरायल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरान के कॉन्सुलेट पर हमला किया था, तो उसके बाद तनाव बढ़ गया था. बदले में ईरान ने इजरायल पर 300 से ज्यादा ड्रोन से हमला कर दिया था.

लेकिन अब और भी बड़ी जंग का खतरा मंडराता दिख रहा है. उसकी वजह ये है कि इस्माइल हानिया की मौत ईरान के लिए भी बड़ा झटका है. हानिया ईरान का मेहमान था और वो उशकी सुरक्षा करने में नाकाम रहा है. माना जा रहा है कि ईरान इस पर जरूर पलटवार करेगा.

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने कहा कि इस्माइल हानिया की मौत बेकार नहीं जाएगी. कनानी ने कहा, हानिया की शहादत ईरान, फिलिस्तीन और रेजिस्टेंस फोर्स का रिश्ता पहले ज्यादा मजबूत और अटूट बनाएगी.

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न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, हानिया की मौत के बाद ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल ने एक बैठक बुलाई है. इस मीटिंग में IRGC के कमांडर भी मौजूद होंगे. इस मीटिंग में तय होगा कि हमले पर कैसी और क्या प्रतिक्रिया देनी है.

इस्माइल हानिया. (फाइल फोटो-Reuters)

ईरान में पहले भी हो चुकी हैं ऐसी हत्याएं

ये पहली बार नहीं है जब ईरानी सरजमीं पर किसी की हत्या का इल्जाम इजरायल पर लगा है. हानिया से पहले भी ईरान कई बार इजरायल पर ऐसा इल्जाम लगा चुका है. 

साल 2021 में ईरान के टॉप न्यूक्लियर साइंटिस्ट मोहसिन फखरीजादेह की रिमोट कंट्रोल हथियार से हत्या कर दी गई थी. इसके बाद मई 2022 में IRGC के कर्नल सयाद खोदाई की भी हत्या हो गई थी. ईरान ने इन दोनों हत्याओं के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था.

मौजूदा तनाव का क्या असर हो सकता है?

इस्माइल हानिया की मौत को 7 अक्टूबर के बाद सबसे अहम इजरायली ऑपरेशन माना जा रहा है. वैसे तो इस्माइल हानिया सैन्य रूप से महत्वपूर्ण नहीं था, लेकिन उसे इजरायल-हमास के बीच सीजफायर के लिए अहम व्यक्ति माना जाता था.

सीएनएन के फॉरेन पॉलिसी एक्सपर्ट बराक रैविड का कहना है कि इस्माइल हानिया की मौत का असर इजरायल और हमास के बीच जारी बातचीत पर जरूर पड़ेगा.

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इससे गाजा में जारी इजरायल और हमास की जंग अब और खतरनाक हो सकती है. हमास का कहना है कि हानिया की मौत बेकार नहीं जाएगी. माना जा रहा है कि हानिया की मौत के बाद हमास अब पहले से ज्यादा मजबूती से इजरायल को निशाना बना सकता है. इतना ही नहीं, हमास अब चाहेगा कि ईरान सीधे तौर पर इस जंग में शामिल हो जाए, क्योंकि इससे इजरायल पर ही दबाव बढ़ेगा. अगर इस जंग में ईरान भी शामिल होता है तो हमास को उम्मीद है कि वो सीजफायर समझौते में अपनी कठोर शर्तें मनवा लेगा.

वहीं, अब एक बार फिर से मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया है और एक बड़ी जंग का खतरा बढ़ गया है. हालांकि, अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन का कहना है कि फिलहाल मध्य पूर्व में जंग का खतरा नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि अगर ईरान हमला करता है तो अमेरिका, इजरायल की मदद करेगा.

कुछ जानकारों का मानना है कि ईरान इजरायल के साथ सीधी लड़ाई से बचेगा. इराक, सीरिया, लेबनान, गाजा पट्टी में कई चरमपंथी संगठनों को ईरान का समर्थन हासिल है, जिसे 'प्रॉक्सी' के रूप में जाना जाता है. अगर तनाव बढ़ता है तो इजरायल के खिलाफ ईरान प्रॉक्सी वॉर बढ़ा सकता है.

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फिलहाल, इस्माइल हानिया की हत्या ने जलते मध्य पूर्व में चिंगारी का काम किया है. ईरान ने सिक्योरिटी काउंसिल की मीटिंग बुलाई है. वहीं, इजरायल ने अब तक इस पर कुछ भी नहीं कहा है. अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि ईरान क्या करता है?

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