हरियाणा के कुरुक्षेत्र में जमकर बवाल हो रहा है. यहां एक बार फिर किसान संगठन बनाम खट्टर सरकार की जंग शुरू हो गई है. मंगलवार को किसान संगठनों ने दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे को जाम कर दिया था. इसके बाद पुलिस ने तीन किसान नेताओं समेत कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया था. इससे पहले पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज भी किया था.
अब आज भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत भी यहां पहुंच गए हैं. उन्होंने इसे 'कौम की लड़ाई' बताया है. किसान नेता राकेश टिकैत ने हिरासत में लिए गए किसानों को तुरंत रिहा करने की मांग की है.
राकेश टिकैत का कहना है, 'ये लड़ाई न गुरनाम की है, न टिकैत की है. ये लड़ाई सारी किसान किसान कौम की है. कल कई जगहों पर किसानों को जेल ले जाया गया. लाठीचार्ज किया गया. किसान संगठनों को सरकार लगातार तोड़ रही है, लेकिन हम एक रहेंगे.'
लेकिन ये प्रदर्शन क्यों?
दरअसल, हरियाणा में किसान संगठन सूरजमुखी के बीज की एमएसपी पर खरीद की मांग कर रहे हैं. मंगलवार को भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने ये प्रदर्शन बुलाया था.
चढ़ूनी की अगुवाई में आए किसान संगठनों ने मंगलवार को दिल्ली-चंडीगढ़ हाइवे को ब्लॉक कर दिया था. हाइवे लगभग 6 घंटे तक बंद रहा था.
प्रदर्शनकारी किसानों को वहां से हटाने के लिए पुलिस ने पानी की बौछार की, साथ ही लाठीचार्ज भी किया. इससे एक दिन पहले प्रदर्शनकारी किसानों को हाइवे तक पहुंचने से रोकने के लिए भारी संख्या में पुलिस तैनात थी.
क्या है किसानों की मांगें?
किसानों का आरोप है कि सरकार सूरजमुखी के बीज को एमएसपी पर नहीं खरीद रही है. उनका कहना है कि इसके लिए सरकार को सोमवार तक का समय दिया गया था, लेकिन अब तक मांग मानी नहीं गई है.
प्रदर्शनकारियों ने दावा किया है कि वो अपनी फसल चार हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से निजी खरीदारों को बेचने को मजबूर हैं. जबकि, सूरजमुखी के बीज पर 6,400 रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी तय है.
प्रदर्शनकारी किसान सूरजमुखी के बीज को भावंतर भरपाई योजना में शामिल करने का विरोध कर रहे हैं. इस योजना के तहत, अगर फसल एमएसपी पर नहीं बिकती है तो सरकार हर एक क्विंटल पर एक हजार रुपये का मुआवजा देगी.
गुरनाम सिंह चढ़ूनी का कहना है कि इन मांगों को लेकर पहले भी सरकारी अफसरों के साथ कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन कुछ नतीजा नहीं निकला.
लाठीचार्ज पर पुलिस का क्या है कहना?
प्रदर्शनकारी किसानों पर लाठीचार्ज और वाटर कैनन का इस्तेमाल करने पर पुलिस का कहना है कि हाईकोर्ट ने हाइवे को खुला रखने का आदेश दिया था.
कुरुक्षेत्र के एसपी एसएस भोरिया ने न्यूज एजेंसी को बताया कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने आदेश में साफ कर दिया था कि प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए संयम बरता जाएगा और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आखिरी उपाय के तौर पर ही बल का प्रयोग होगा.
उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी चढ़ूनी को भी दिखाई गई थी, लेकिन वो माने नहीं. डीसीपी शांतनु शर्मा ने भी बताया कि किसानों ने कई घंटों तक NH-44 को ब्लॉक कर रहा था और कई अपील के बाद भी वहां से हटने को तैयार नहीं थे. ऐसे में जब कोई विकल्प नहीं बचा, तब हाइवे खाली कराने के लिए हल्के बल का प्रयोग किया गया.
सियासत भी तेज
इस पूरे बवाल पर अब सियासत भी तेज हो गई है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा ने किसानों पर लाठीचार्ज की निंदा की है.
हुड्डा ने कहा, 'क्या एमएसपी की मांग करना अपराध है? किसान अपनी फसल 6,400 रुपये प्रति क्विंटल की बजाय 4,000 से 4,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बेचने को मजबूर हैं.'
वहीं, कांग्रेस के सीनियर नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि किसानों पर 'बेरहम लाठीचार्ज' दिखाता है कि खट्टर सरकार उनसे किस हद तक 'नफरत' करती है.