scorecardresearch
 

क्या रूस-यूक्रेन युद्ध पूरी दुनिया में तबाही मचाकर ही थमेगा, जानिए कैसे रुकती है दो देशों की लड़ाई?

रूस-यूक्रेन लड़ाई के बीच तीसरे विश्व युद्ध की आशंका जताई जा रही है. ये डर इसलिए भी जोर पकड़ रहा है क्योंकि रूस से दुश्मनी रखने वाले कई देश चुपके से लड़ाई का हिस्सा बन रहे हैं. तो क्या ये प्रॉक्सी वॉर वाकई सबको अपनी चपेट में ले लेगा? या फिर कोई इंटरनेशनल एजेंसी सुलह-समझौता करा पाएगी? समझिए, अब तक कैसे दो देशों के बीच जंग थमती आई है.

Advertisement
X
रूस-यूक्रेन युद्ध डेढ़ साल से चला आ रहा है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
रूस-यूक्रेन युद्ध डेढ़ साल से चला आ रहा है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

दो मुल्कों के बीच जंग आमतौर पर शांति वार्ताओं से नहीं थमती, बल्कि इसका अंत तभी होता है, जब एक की हार हो. इसका सबसे बड़ा उदाहरण पहला वर्ल्ड वॉर है. साल 1918 में लड़ाई खत्म तो हुई, लेकिन असल में दुनिया कन्फ्लिक्ट ट्रैप में फंस गई थी. ये वो स्थिति है, जो युद्ध के तुरंत बाद आती है और दशकों तक चलती है. देश गरीबी झेल रहे होते हैं. आंतरिक तनाव रहता है. कई गुट बन चुके होते हैं. ये सबकुछ मिलाकर एक नए युद्ध की जमीन तैयार हो रही होती है. 

Advertisement

पहला वर्ल्ड वॉर पूरी तरह रुका नहीं था

पहला विश्व युद्ध क्लीयर-कट जीत या हार नहीं था. इस दौरान जर्मनी को लगा कि वो सबसे मजबूत देश होकर उभर सकता है, अगर बाकी देशों को पटखनी दे दे तो. इसके लिए नाजी शासक हिटलर ने खुद को तैयार किया और एक के बाद एक देशों को अपने साथ मिलाने लगा. पोलैंड पर हमले से ही दूसरा वर्ल्ड वॉर शुरू हो गया. 

ऐसे हुई लड़ाई खत्म

जर्मनी और जापान तेजी से सबको नुकसान पहुंचा रहे थे. आखिरकार बहुत से देश एक पाले में आए और उनपर बमबारी शुरू कर दी. हार तय दिखने के बाद हिटलर ने खुदकुशी कर ली, जबकि जापान ने सरेंडर कर दिया. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति फ्रैंकलिन रूजवेल्ट ने अनकंडीशनल सरेंडर पर जोर दिया था. यानी अगर जापान और जर्मनी हथियार नहीं डालते तो उन्हें तबाह कर दिया जाता. इस तरह से एक पार्टी जीती, और दूसरी हारी, जिसके बाद ही दो विश्व युद्ध एक साथ खत्म हुए. 

Advertisement
history shows how usually the war end amid russia and ukraine war
यूक्रेन के बहुत से शहर तबाह हो चुके हैं. सांकेतिक फोटो (Reuters)

क्या कहता है शोध

मेसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने युद्ध को समझने के लिए एक सिस्टम बनाया, जिसे नाम दिया कैस्कॉन (कंप्यूटर एडेड सिस्टम फॉर एनालाइजिंग कन्फ्लिक्ट्स). ये बताता है कि देशों के बीच चल रहे युद्ध तो सेकंड वर्ल्ड वॉर के बीच खत्म हो गए, लेकिन गृह युद्ध शुरू हो गए. ये कोल्ड वॉर का दौर था, जब लगभग 100 युद्ध हुए. देशों के भीतर बने छोटे-छोटे राजनैतिक और सैन्य ग्रुप आपस में ही लड़-भिड़ रहे थे. इसे ही शांत कराने के नाम पर पीसकीपिंग संस्थाएं सामने आईं. 

यूएन पीसकीपिंग संस्था का रोल...

वे देशों के भीतर या दो देशों के बीच सुलह-समझौता कराने का जिम्मा लेने लगीं. इसमें यूनाइटेड नेशन्स पीसकीपिंग को सबसे ऊपर रखा जाता है. हालांकि यूएन भी तभी दखल दे सकता है, जब इसमें देश या दोनों पार्टियों की सहमति हो. साथ ही ये भी भरोसा होना चाहिए कि शांति स्थापित कराने जा रही संस्था पूरी तरह से पारदर्शी रहेगी. 

history shows how usually the war end amid russia and ukraine war
यूएन शांति बनाने में अहम रोल निभाता रहा. सांकेतिक फोटो (Getty Images)

कहां-कहां हुआ काम

यूएन पीसकीपिंग दावा करती है कि उसने दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद से अब तक कई देशों में शांति स्थापित करने में मदद की है. इसमें ज्यादातर अफ्रीकी देश शामिल हैं, जहां लगातार ही गृहयुद्ध छिड़ा रहता है. कंबोडिया, एल-सेल्वाडोर, ग्वाटेमाला, मोजांबिक, नामिबिया और हैती ऐसे ही कुछ देश हैं. फिलहाल अफ्रीका और मिडिल ईस्ट में पीसकीपिंग संस्थाएं काफी एक्टिव हैं. 

Advertisement

कैसे रुकता है कोई युद्ध
 

मेसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट की रिसर्च के मुताबिक इसका कोई तय फॉर्मूला नहीं है. हालांकि लड़ाई के बाद कुछ चरण आते हैं, जैसे प्रिलिमिनरी टॉक. ये आमतौर पर देशों के लीडर या पीसकीपिंग संस्थाएं कराती हैं. इसमें लड़ रहे लोग साथ बैठकर बात करते हैं. इसके बाद नेगोशिएशन होता है, यानी शर्तें रखी जाती हैं. अगर सब कुछ ठीक रहा तो कुछ लिखीपढ़ी के साथ शांति स्थापित हो जाती है.

हालांकि इसमें भी कई पेंच हैं. शोध के अनुसार, जब तक एक पक्ष पूरी तरह से हारता नहीं है, युद्ध पूरी तरह से रुकता नहीं है. देशों के बीच तनाव बना ही रहता है. ये मामला उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच भी दिखता है, और अफ्रीका में भी. 

history shows how usually the war end amid russia and ukraine war
पीसकीपिंग अक्सर नाकामयाब हो रही है. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

एक और स्थिति है, जिसे सीजफायर कहते हैं

इसे युद्धविराम भी कहा जाता है, जो लड़ाई को अस्थाई तौर पर रोकने का तरीका है. इसमें दोनों पक्ष सीमा पर किसी भी तरह की आक्रामक कार्रवाई न करने की बात कहते हैं. हालांकि ये अस्थाई है, जिसमें टेंशन बनी ही रहती है. तनाव गहराने पर एकाएक लड़ाई भी छिड़ सकती है. 

जेनेवा कंन्वेंशन भी है, जो असल में युद्धबंदियों के मानवाधिकारों को बनाये रखने के लिए बनाया था लेकिन बाद इसके तहत समझौते भी हुए. अब तक इसमें चार संधियां हो चुकी हैं, जिनमें दूसरे विश्व युद्ध के बाद की संधि भी शामिल है. लेकिन अब इसे भी संशोधित करने की बात होने लगी है क्योंकि इसमें युद्ध तो रुक जाते हैं, लेकिन नकली लड़ाई यानी प्रॉक्सी वॉर जारी रहते हैं.

Advertisement

सिक्योरिटी काउंसिल का काम क्या है

यूएन सिक्योरिटी काउंसिल भी शांति बनाने में मदद करती है. ये डिप्लोमेटिक वार्ताएं रखती हैं, जिसमें दो देश एक साथ आकर बातचीत कर सकें. इसके पास नेगोशिएशन के अलावा पाबंदियां लगाने का भी पावर है. पीसकीपिंग मिशन के दौरान ये संस्था फोर्स का इस्तेमाल भी कर सकती है, लेकिन अक्सर इसपर पक्षपात करने के आरोप लगते रहे. अब कम ही देश इसे अपने मामले में दखल देने का न्यौता देते हैं. 

Advertisement
Advertisement