मध्य प्रदेश में टेरर मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ है. एमपी के एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (एटीएस) ने इस्लामिक कट्टरपंथी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर (HuT) से जुड़े 16 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है.
प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दावा किया कि पकड़े गए संदिग्धों में कोई प्रोफेसर है तो कोई जिम ट्रेनर है. उन्होंने ये भी दावा किया कि ये लोग लव जिहाद से लेकर जबरन धर्मांतरण तक की गतिविधि में भी शामिल थे.
उन्होंने बताया कि कुछ महीनों से जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB), पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और हिज्ब-उत-तहरीर (HuT) के से जुड़े लोगों के खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि भोपाल, इंदौर, उज्जैन और नीमच से पीएफआई से जुड़े 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं, हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़े 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से 10 को भोपाल, 5 को हैदराबाद और एक को छिंदवाड़ा से गिरफ्तार किया है.
वहीं, इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में न तो लव जिहाद चलेगा और धर्मांतरण का कुचक्र. हमने पहले भी सिमी के नेटवर्क को ध्वस्त किया है. इस तरह की गतिविधियों को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जो भी दोषी होगा, उसे नहीं छोड़ेंगे.
इन सभी संदिग्धों को 9 मई को गिरफ्तार किया था. अदालत ने सभी को 19 मई तक एटीएस की रिमांड पर भेज दिया है.
पकड़े गए संदिग्ध कौन?
- हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़े जिन 16 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें कोई प्रोफेसर है तो कोई जिम ट्रेनर तो कोई इंजीनियर है.
- एमपी एटीएस ने बताया कि इन संदिग्धों को यूएपीए और आईपीसी की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया है.
- 16 में से 11 संदिग्धों को मध्य प्रदेश से ही गिरफ्तार किया गया है, जबकि बाकी पांच को एमपी पुलिस की टिप पर तेलंगाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है.
- गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के मुताबिक, गिरफ्तार संदिग्धों में एक भोपाल में कोचिंग भी चलाता था, जहां लोगों का ब्रेनवॉश किया जाता था.
क्या करते थे ये?
- एमपी पुलिस ने बताया कि पकड़े गए संदिग्धों में कोई जिम ट्रेनर, टीचर, ऑटो ड्राइवर, टेलर, कम्प्यूटर टेक्नीशियन, बिजनेसमैन और सॉफ्टवेयर इंजीनियर है.
- पुलिस के मुताबिक, हिज्ब-उत-तहरीर से जुड़े ये संदिग्ध भोपाल से सटे रायसेन के जंगलों में ट्रेनिंग कैम्प लगाते थे और गोलियां चलाना सीखते थे.
- इन लोगों को हैदराबाद के स्किल्ड ट्रेनर से ट्रेनिंग मिलती थी. इसके अलावा, ये लोग धार्मिक कार्यक्रमों में भड़काऊ भाषण भी देते थे. साथ ही मजहबी साहित्य बांटकर युवाओं का ब्रेनवॉश करते थे. ये लोग डार्क वेब के जरिए बातचीत करते थे.
मकसद क्या था?
- अधिकारियों ने बताया कि हिज्ब-उत-तहरीर के गिरफ्तार इन संदिग्धों के पास देश-विरोधी दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस और कट्टरपंथी साहित्य बरामद हुआ है.
- पुलिस के मुताबिक, कट्टरपंथी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर का नेटवर्क 50 से ज्यादा देशों में फैला हुआ है. इनमें से 16 देश ऐसे हैं जहां पर इस संगठन को प्रतिबंध करके रखा गया है.
- एमपी पुलिस के प्रवक्ता ने दावा किया कि संगठन का मकसद लोकतांत्रिक व्यवस्था को गिराकर उसकी जगह शरिया (इस्लामिक कानून) लागू करना है.
- मध्य प्रदेश में ये संगठन अपना कैडर तैयार करने का काम कर रहा था और युवाओं का ब्रेनवॉश कर हिंसा के लिए उकसा रहा था.
- पुलिस ने बताया कि संगठन के सदस्यों ने भारत के बड़े शहरों की पहचान की थी और वहां वो भीड़भाड़ वाले इलाकों में हमलों को अंजाम देने की फिराक में थे.
सौरभ बना सलीम... लड़कियों को भी फंसाया
- इस पूरे मामले में अब लव जिहाद और धर्मांतरण की बात भी सामने आ रही है. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि पकड़े गए संदिग्धों में से तीन पहले हिंदू थे जिन्होंने बाद में इस्लाम कबूल कर लिया था.
- नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि हैदराबाद से गिरफ्तार मोहम्मद सलीम है, जिसका असली नाम सौरभ राजवैद्य है. इसी तरह देवी प्रसाद पांडे ने नाम बदलकर अब्दुर्रहमान रख लिया. हैदराबाद के रहने वाले वेणु कुमार ने अब्बास अली रख लिया.
- उन्होंने दावा किया कि धर्मांतरण के बाद मुस्लिम बने इन लोगों ने हिंदू लड़कियों से शादी की और फिर उनका भी धर्म परिवर्तन करवा दिया.
- सौरभ से सलीम बनने वाले को लेकर ये भी दावा किया जा रहा है वो असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरूद्दीन ओवैसी के कॉलेज में प्रोफेसर था. एटीएस सलीम के बैंक खातों की भी जांच कर रही है.
सीएम-गृहमंत्री ने क्या कहा?
- मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि पकड़े गए आरोपियों का मकसद था कि समाज में घुल-मिलकर रहकर भोली-भाली लड़कियों का ब्रेनवॉश किया जाए और उन्हें आतंक के दलदल में धकेला जाए.
- वहीं, गृहमंत्री मिश्रा का कहना है कि राज्य की पुलिस जिहादी तिलचट्टों के खिलाफ कीटनाशक के रूप में काम करेगी और उनका पता लगाने के बाद उन्हें खत्म कर देगी.
- उन्होंने कहा, लोग 'द केरल स्टोरी' पर सवाल उठा रहे हैं लेकिन आतंकवाद और धर्मांतरण पर चुप हैं. इससे उनकी दोहरी नीतियों और तुष्टिकरण की नीति का पर्दाफाश हुआ है.