ग्रेटर नोएडा के जेवर स्थित एक गांव में रहने वाले कथित प्रेमी सचिन से मिलने भारत पहुंची पाकिस्तानी महिला सीमा हैदर लगातार सुर्खियों में है. महिला के बारे में जानकारी होने पर पुलिस ने सीमा और उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन कुछ समय की तहकीकात के बाद दोनों को छोड़ दिया गया था. इसके बाद से ही महिला सुर्खियों में बनी हुई है. बहुत से लोग मान रहे हैं कि ये कोई आम महिला नहीं, बल्कि पाकिस्तान की जासूस हो सकती है. असलियत जांच के बाद ही पता लगेगी, लेकिन ये भी सच है कि पाकिस्तान से लगातार जासूस अलग-अलग भेष धरकर आते रहे. इसमें हनीट्रैप सबसे आम और आजमाया हुआ तरीका है.
पहले भी कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें पाक एजेंट भारतीय पहचान के साथ पकड़े गए हैं. हाल के दिनों में ये ज्यादा एक्टिव हो चुके हैं और सोशल मीडिया के जरिए भारत के लोगों और जवानों को ट्रैप कर रहे हैं. वे अक्सर फेक प्रोफाइल से प्रेम संबंध बनाते हैं और भरोसा जीतकर खुफिया जानकारी निकाल लेते हैं.
अमेरिका से मिली ट्रेनिंग
ये जासूस पाकिस्तान की सीक्रेट एजेंसियों के लिए काम करते हैं. इनमें आईएसआई सबसे ऊपर है. ये ISIS नहीं, बल्कि इसका पूरा नाम इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) है. पाकिस्तान बनने के तुरंत बाद ही ये खुफिया एजेंसी बनी, लेकिन इसमें धार दी अमेरिकी इंटेलिजेंस सीआईए ने. अफगानिस्तान से लड़ाई के दौरान रूस और अमेरिका दोनों वहां थे. अमेरिका ने तब कई गरीब देशों की जासूसी एजेंसियों को ट्रेनिंग दी ताकि रूस कमजोर पड़ जाए. इनमें आईएसआई भी एक था.
भारत में हो गई एक्टिव
अमेरिका का मोहरा बनी इस खुफिया एजेंसी ने बाद में अपने पैतरों की आजमाइश भारत पर शुरू कर दी. ये एजेंट देश के सीमावर्ती राज्यों से जुड़ते हैं और लोकल लोगों को एक तरह का जासूस बना देते हैं. कई बार एजेंसी सीधे-सीधे उन लोगों को फंसाती है, जिनके पास गोपनीय जानकारियां हो सकती हैं. कश्मीर से अक्सर खबरें आती हैं कि वहां आईएसआई काफी सक्रिय है और लोगों को बरगला रही है.
कौन काम करता है आईएसआई में?
इसे पाकिस्तानी सेना का एक्सटेंशन ही मान लीजिए. इसमें पाकिस्तानी सेना की तीनों अंगों के ट्रेंड अफसर और सैनिक जासूसी की प्लानिंग करते. यही वजह है कि इसे इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस कहा गया. इसका लीडर पाकिस्तानी सेना का जनरल रैंक का कोई अधिकारी होता है.
किन आतंकियों को आईएसआई ने किया ट्रेंड?
लश्कर ए तैयबा, हरकत उल मुजाहिदीन, हिज्बुल मुजाहिदीन, जैश ए मोहम्मद, और अलकायदा समेत कई टैररिस्ट ग्रुप हैं, जो इसी खुफिया एजेंसी की देन माने जाते हैं. ये उन्हें ट्रेनिंग भी देते हैं, हथियार भी, और जरूरत पड़े तो मैनपावर भी.
कई दूसरी जासूसी एजेंसियां भी एक्टिव
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान में यही अकेली सीक्रेट एजेंसी नहीं, बल्कि कई और जासूसी विंग्स हैं. इसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो ऑफ पाकिस्तान, फेडरल इनवेस्टिगेशन एजेंसी और मिलिट्री इंटेलिजेंस जैसे समूह काफी एक्टिव हैं. इनके आपस में काम बंटे होते हैं, लेकिन मकसद सबका एक ही है- भारत समेत कई देशों में अस्थिरता फैलाना.
एजेंट किस तरह करते हैं काम?
- अक्सर आरोप लगता है कि आईएसआई के लोग डिप्लोमेट बनकर दूतावासों तक पहुंच जाते हैं और खुफिया चीजें आसानी से निकाल लेते हैं. वैसे ये आरोप पाकिस्तान पर ही नहीं है, बल्कि बड़े-बड़े देश आपस में लगाते रहे.
- इंटरनेशनल एनजीओ वैसे तो जरूरतमंद देशों में नेक काम करने के नाम पर आते हैं, लेकिन कई बार कहा जाता है कि इन संस्थाओं में एजेंट्स काम करते हैं.
- विदेशी पत्रकार की शक्ल में भी खुफिया सर्विस के एजेंट काम करते हैं. वे कल्चरल या रिलीजियस रिपोर्टिंग के नाम पर देश की सीमा पार करके दूसरे देश पहुंच जाते हैं. यहां पत्रकार कहलाने की वजह से आम लोगों के बीच जाना भी आसान रहता है.
- हनीट्रैप भी जासूसी का एक तरीका है. इसमें प्रेम संबंध बनाकर जानकारियां ली जाती हैं. अक्सर इसमें फेक नाम और प्रोफाइल से पुरुष चैट करते हैं, लेकिन कई बार महिला जासूस भी काम करती हैं. जैसा सीमा के केस में अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये आम महिला की शक्ल में जासूस है, जो सचिन के जरिए भारत में घुस गई.
हनीट्रैप के हाल में आए केस
ताजा मामला डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर का है, जो कथित तौर पर हनीट्रैप का शिकार हुए. प्रदीप पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान की एजेंट को खुफिया जानकारी मुहैया कराई. महिला एजेंट ने अपना नाम जारा दासगुप्ता बताया था. चार्जशीट के अनुसार, जासूस महिला ने साइंटिस्ट से डिफेंस प्रोजेक्ट के अलावा भारतीय मिसाइल सिस्टम पर भी कुछ बात की थी. एक और मामला विदेश मंत्रालय से है. इसके एक कर्मचारी नवीन पाल ने कथित तौर पर पाकिस्तान में किसी से G-20 की सीक्रेट जानकारियां शेयर कर डालीं.
क्या होता है पकड़ा चुके जासूसों का?
इसके लिए हर देश में अपने नियम हैं. अक्सर देश ये देखते हैं कि जासूस की वजह से उनका कितना बड़ा नुकसान हुआ, या हो सकता था. इसी के आधार पर देश के कानून के मुताबिक उसे जेल से लेकर अपने देश भेजने, या फिर मौत की सजा के भी नियम हैं. पाकिस्तान को ही लें तो उसने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पर रॉ के जासूसी का आरोप लगाते हुए मौत की सजा दी थी.
क्या डबल एजेंट भी बन जाते हैं लोग?
भारत में अगर विदेशी जासूस पकड़ा जाए तो उसे तीन साल से लेकर लंबी जेल हो सकती है, ये तय करता है जासूस का इरादा क्या था और वो कितना खतरनाक हो सकता था. वैसे हमारे यहां विदेशी जासूसों को डबल एजेंट बना देने की बातें भी सुनाई देती रहीं. जैसे पाकिस्तान से आए जासूस का भरोसा जीतकर उसे अपने देश लौटा दिया जाए, जहां से वो भारत के लिए जासूसी करने लगे. हालांकि अब तक ऐसा कोई मामला खुलकर सामने नहीं आया.