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सुरंगों के रास्ते काली कमाई, फर्जी कंपनियों का कारोबार... जानें कैसे भरता है हमास का खजाना

इजरायल और हमास के बीच जंग को 10 दिन से ज्यादा हो गए हैं. जंग में अब तक दोनों ओर के हजारों लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन सवाल है कि इजरायल जैसे ताकतवर देश से लड़ने के लिए हमास को पैसा कहां से मिल रहा है? आखिर वो कहां से फंड जुटाता है? जानते हैं...

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हमास को कई खाड़ी देशों से भी मदद मिलती है. (फाइल फोटो)
हमास को कई खाड़ी देशों से भी मदद मिलती है. (फाइल फोटो)

साढ़े 500 अरब डॉलर से ज्यादा की जीडीपी और डेढ़ लाख से ज्यादा की सेना वाले इजरायल से हमास लड़ रहा है. 

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पर इसके लिए उसके पास पैसा कहां से आ रहा है? एक्सपर्ट्स का मानना है कि हमास इसके लिए ग्लोबल फाइनेंसिंग नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहा है. इसके जरिए उसे कई देशों से चैरिटी के जरिए फंड मिलता है.

हालांकि, सात अक्टूबर को जब हमास ने इजरायल पर रॉकेट दागे और जंग शुरू हुई, तब से उसके पास फंड लेने में परेशानी आ रही है. इसी हफ्ते इजरायली पुलिस ने बताया था कि उन्होंने बार्कले के एक बैंक अकाउंट को फ्रीज कर दिया है, जो हमास की फंडिंग का बड़ा सोर्स था. इसके अलावा कई क्रिप्टोकरंसी अकाउंट को भी ब्लॉक कर दिया गया है.

अमेरिका के पूर्व अधिकारी मैथ्यू लेविट ने न्यूज एजेंसी को बताया कि हमास के कुल बजट का 30 करोड़ डॉलर से ज्यादा बिजनेस पर टैक्स लगाकर आता है. साथ ही ईरान और कतर जैसे देशों के अलावा चैरिट के जरिए भी उसको फंड मिलता है.

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दिसंबर 2021 से अप्रैल 2023 के बीच इजरायली सरकार ने लगभग 190 क्रिप्टो अकाउंट को ब्लॉक किया था. दावा था कि ये हमास से जुड़े थे.

हमास गाजा पट्टी पर 2007 से सरकार चला रहा है. वहीं, इजरायल इसे आतंकी संगठन मानता है. 

ईरान से आते हैं सालाना 10 करोड़ डॉलर

हमास को सबसे ज्यादा फंडिंग कथित तौर पर ईरान से होती है. अमेरिकी गृह विभाग की 2021 की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि ईरान हर साल फिलिस्तीन के आतंकी संगठनों को 10 करोड़ डॉलर की मदद करता है. ये मदद हमास के अलावा फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद को मिलती है.

इसी रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया था कि हमास को बाकी अरब देशों से भी मदद मिलती है. इसके अलावा चैरिटी ऑर्गनाइजेशन से भी उसे फंड मिलता है. 

अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट के मुताबिक, कई बार हमास को तुर्की और लेबनान के फाइनेंसर के जरिए भी ईरान से फंडिंग हुई है. उदाहरण के लिए 2019 में लेबनान स्थित एक फाइनेंशियल ऑपरेटिव ने ईरान और हमास के बीच 'मिडिल मैन' की तरह काम किया था. 

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने पिछले हफ्ते कहा था कि हमास की मिलिट्री विंग को सबसे ज्यादा फंड ईरान देता है.

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फर्जी कंपनियों का नेटवर्क

चैरिटी और क्रिप्टो के जरिए तो हमास को पैसा मिलता ही है. इसके अलावा हमास ने फर्जी कंपनियों का भी एक नेटवर्क तैयार कर रखा है, जिससे उसे करोड़ों रुपये की कमाई होती है.

मई 2022 में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने बताया था कि हमास ने तुर्की से लेकर सऊदी अरब तक की कंपनियों में 50 करोड़ डॉलर का निवेश करने वाली कंपनियों का एक सीक्रेट नेटवर्क तैयार कर रखा था. 

कतर ने भी 2014 से गाजा को हर महीने करोड़ों डॉलर का भुगतान किया है. गाजा पट्टी के एकमात्र पावर प्लांट और हमास की सरकार में काम कर रहे लोगों को पेमेंट करने के लिए हर महीने कतर से 3 करोड़ डॉलर की मदद मिलती थी.

कतर के एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया था कि गरीब फिलिस्तीनी परिवार को हर महीने 100 डॉलर की मदद दी जाती है.

इसके अलावा गाजा पट्टी में हमास ने सुरंगों का भी एक नेटवर्क तैयार कर रखा है, जहां से कैश का फ्लो होता रहता है.

क्रिप्टो से कमाई

हमास पर कई सारे प्रतिबंध लगे हुए हैं और इससे बचने के लिए उसने क्रिप्टोकरंसी का इस्तेमाल भी बढ़ा दिया है. 

ब्लॉकचेन रिसर्च फर्म इलिप्टिक के को-फाउंडर टॉम रॉबिन्सन ने न्यूज एजेंसी को बताया कि आतंकवाद को फंड करने के लिए हमास ने क्रिप्टो का जबरदस्त इस्तेमाल किया है.

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ब्लॉकचेन रिसर्चर्स टीआरएम लैब्स ने हाल ही में बताया था कि हमास से जुड़ी हिंसा के दौर में क्रिप्टो से सबसे ज्यादा फंडिंग जुटाई गई. टीआरएम का दावा है कि मई 2021 की लड़ाई के बाद से हमास को 4 लाख डॉलर की क्रिप्टोकरंसी मिली है.

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली सरकार ने हमास से जुड़े जिन क्रिप्टो अकाउंट को सीज किया था, उनमें 2020 से 2023 के बीच 4 करोड़ डॉलर से ज्यादा की करंसी आई थी. इसके अलावा फिलिस्तीन इस्लामिक जिहाद के पास भी साढ़े नौ करोड़ डॉलर की क्रिप्टो थी.

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