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आमरण अनशन से शरीर पर क्या असर होता है, कितनी भूख-प्यास बर्दाश्त कर सकता है शरीर?

मराठा आरक्षण को लेकर भूख हड़ताल पर गए मनोज जरांगे ने अब पानी भी छोड़ दिया है. माना जा रहा है कि इससे महाराष्ट्र और सुलग सकता है. वैसे इंसानी शरीर भूखे तो काफी दिन रह सकता है लेकिन पानी के बगैर जीना मुश्किल है. डीहाइड्रेशन की पहली स्टेज प्यास लगना है जिसमें शरीर का 2% वजन घट जाता है. जानिए, पानी के बिना शरीर में क्या बदलता है.

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डीहाइड्रेशन कई चरणों में दिखता है. सांकेतिक फोटो (Getty Images)
डीहाइड्रेशन कई चरणों में दिखता है. सांकेतिक फोटो (Getty Images)

कोई इंसान खाने के बगैर कितने दिन जिंदा रह सकता है? या कोई खाना-पानी दोनों के बिना कितने दिन टिका जा सकता है? इसपर साइंटिस्ट लगातार काम कर रहे हैं. एक मोटा-मोटा अंदाजा ये है कि पानी के बिना लोग 2 दिनों से लेकर एक हफ्ते तक भी जिंदा रह सकते हैं.

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कई दूसरे कारण भी हैं, जो तय करते हैं कि पानी के बिना सर्वाइवल कितना लंबा चल सकेगा. जैसे गर्म कार में फंसे लोग या बहुत गर्मी में कसरत कर रहे लोग कुछ ही घंटों के भीतर डीहाइड्रेट होकर खत्म हो सकते हैं. या फिर ज्यादा वजन वाला इंसान अपेक्षाकृत ज्यादा लंबे समय तक टिक सकता है. 

अलग-अलग स्टेज होते हैं

यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के बायोलॉजिस्ट रेंडल पैकर ने इसे लेकर एक शोध किया. इसमें पाया गया कि बहुत गर्म वातावरण में एक वयस्क शरीर से 1 से डेढ़ लीटर तक पानी पसीने के रूप में खत्म हो जाता है. इस दौरान पानी न मिले तो डीहाइड्रेशन की पहली स्टेज आती है. इसमें प्यास लगती है जिसकी भरपाई करने के लिए शरीर तेजी से ऑक्सीजन पंप करता है और बॉडी वेट का 2% तक खर्च हो जाता है. ये हालांकि दिखाई नहीं देता. 

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how long humans can survive without food water amid maratha reservation hunger strike manoj Jarange photo PTI

दूसरे स्टेज में लक्षण दिखने लगते हैं

थकान और सिरदर्द होता है. साथ ही फोकस करने में दिक्कत आने लगती है. किडनी से ब्लैडर तक कम पानी पहुंचता है, जिससे यूरिन गहरे रंग का हो जाता है. पसीना आना कम होने लगता है. इससे शरीर का तापमान बढ़ जाता है. ये वॉर्निंग साइन है. इसका मतलब ये है कि खून गाढ़ा हो रहा है. ऑक्सीजन लेवल बनाए रखने के लिए हार्ट अब और तेजी से काम करता है. इस समय हमारा 4% तक बॉडी वेट जा चुका होता है. इससे बीपी गिर जाता है और चक्कर आने लगते हैं. 

तीसरा स्टेज काफी खतरनाक 

इसमें 7% तक बॉडी वेट घट चुका होता है. बीपी संतुलित नहीं रह पाता.ऐसे में शरीर को जिंदा रखने के लिए हार्ट एक फैसला लेता है. वो नॉन-वाइटल अंगों, जैसे किडनी तक खून की सप्लाई कम कर देता है. उसने तो अपनी तरफ से सही किया, लेकिन इससे ऑर्गन डैमेज का खतरा रहता है. इसे एक्यूट ट्यूब्यूलर नेक्रोसिस कहते हैं. अगर सॉल्ट और पानी की सप्लाई न हो तो मल्टीऑर्गन फेल्योर हो सकता है. 

how long humans can survive without food water amid maratha reservation hunger strike manoj Jarange photo Pixabay

कितने दिन जिंदा रहा जा सकता है

पानी के बिना कितने दिन रहा जा सकता है, अब तक ये पक्का नहीं हो सका. बिना पानी और खाने के सबसे लंबे समय तक जिंदा रहने का रिकॉर्ड 18 साल के एंड्रियाज मिहावेक्ज के पास रहा. ऑस्ट्रिया के एंड्रियाज को पुलिस के एक अधिकारी ने पकड़कर सेल में डाल दिया था और फिर छुट्टी पर चला गया था. उसे याद ही नहीं रहा कि पुलिस सेल में कोई बंद है. बाद में किशोर को गिनीज बुक में भी जगह मिली. कई और लोग भी हैं, जो लंबे समय तक बिना पानी के जिंदा रहे, लेकिन उन्होंने बाद में बताया कि वे अपना ही यूरिन पीने लगे थे. 

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रिकवरी में भी लगता है समय

अगर पानी की कमी की पहली स्टेज में हों तो इसकी सप्लाई होने के कुछ घंटों के भीतर ही शरीर एक्टिव हो जाता है. वहीं अगर बॉडी वेट 4% तक जा चुका हो तब अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है. इसके बाद भी ठीक होने में दो से तीन दिन लग सकते हैं. 

how long humans can survive without food water amid maratha reservation hunger strike manoj Jarange photo Unsplash

हड़ताल खत्म होना भी लाता है खतरे

भूख हड़ताल भी कम घातक नहीं. इसमें भी शरीर तेजी से साथ छोड़ने लगता है. अगर स्ट्राइक लंबी खिंच जाए तो रीफीडिंग सिंड्रोम का खतरा रहता है. ये तब होता है, जब हड़ताल तोड़ने के बाद इंसान तुरंत बहुत कुछ खाने-पीने लगे. इससे इलेक्ट्रोलाइट्स में तो उतार-चढ़ाव आता है, वो दिल और नर्वस सिस्टम पर असर डालता है. यही वजह है कि उपवास तोड़ने के तुरंत बाद बहुत सा खाने की बजाए एक्सपर्ट धीरे-धीरे न्यूट्रिशन लेने की सलाह देते हैं. 

क्यों करते हैं हंगर स्ट्राइक

जब खाना-पानी छोड़ने के इतने खतरे हैं तो फिर मांग मनवाने के लिए लोग अक्सर यही रास्ता क्यों चुनते हैं? ऐसा भारत ही नहीं, दूसरे देशों में भी है. मसलन, रूस के विपक्षी नेता एलेक्‍सेई नवेलिनी ने जेल में अपनी मेडिकल केयर की डिमांड पूरी न होने पर हंगर स्ट्राइक कर दी. वे लगातार 24 दिनों तक भूखे रहे.

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वजह साफ है. जब एलान करके हड़ताल होती है तो इसका सरकार पर सीधा दबाव पड़ता है. ये दबाव किसी तोड़फोड़ से भी ज्यादा असरदार है. इससे सीधे लोगों की भावनाएं जुड़ जाती हैं. ऐसे में सरकार को डर रहता है कि अगर स्ट्राइक पर बैठे शख्स को कुछ हो जाए तो बात हिंसा या सत्ता पलट तक पहुंच सकती है. ये तरीका पार्टियां या लोग ही नहीं, आम घरों में भी कई बार अपनाया जा चुका. 

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