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रूस में सात और भारतीयों के फंसे होने की खबर है. इनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वीडियो में इन भारतीय नागरिकों ने सरकार से उनकी सुरक्षित वापसी की अपील की है.
ये वीडियो ऐसे वक्त सामने आया है, जब हाल ही में सरकार ने रूस में 20 भारतीय नागरिकों के फंसे होने की बात मानी थी. विदेश मंत्रालय ने बताया था कि 20 भारतीयों को अच्छी नौकरी का लालच देकर रूस ले जाया गया और फिर यूक्रेन के साथ जंग में धकेल दिया. रूस में फंसे इन भारतीय नागरिकों की सुरक्षित वापसी की कोशिश कर रही है.
इससे पहले बीते महीने ही सूरत के रहने वाले हेमिल अश्विन भाई मंगूकिया की जंग लड़ते हुए मौत हो गई थी. हेमिल रूस के लिए लड़ रहे थे. दावा है कि उनकी मौत यूक्रेन के एक मिसाइल अटैक में हुई. 23 साल के हेमिल रूस की सेना से बतौर 'हेल्पर' जुड़े थे. वहां उन्होंने 50 हजार रुपये महीने की सैलरी पर रखा गया था. हेमिल ने आखिरी बार 20 फरवरी को अपने परिवार से बात की थी.
बताया जा रहा है कि रूस में फंसे ज्यादातर भारतीय उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के रहने वाले हैं. अभी जिन 7 भारतीयों का वीडियो सामने आया है, उनमें से 5 पंजाब और 2 हरियाणा के बताए जा रहे हैं.
रूस की सेना में धोखे से शामिल कराए गए दो भारतीय नागरिकों की मौत भी हो चुकी है. जंग में अब तक मोहम्मद असफान और हेमिल मंगूकिया की मौत हो गई है.
कौन हैं रूस में फंसे भारतीय?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वीडियो में दिखाई दे रहे सात भारतीय 20 से 24 साल की उम्र के बीच के हैं. इनके नाम- गगनदीप सिंह (24), लवप्रीत सिंह (24), नारायण सिंह (22), गुरप्रीत सिंह (21), गुरप्रीत सिंह (23), हर्ष कुमार (20) और अभिषेक कुमार (21) हैं.
इस वीडियो में ये लोग मिलिट्री डिजाइन वाली जैकेट और कैप पहने नजर आ रहे हैं. 6 लोग पीछे खड़े हैं और एक वीडियो बना रहा है.
वीडियो के मुताबिक, ये सभी लोग नया साल मनाने के लिए रूस गए थे. वहां उन्हें एक एजेंट मिला, जिसने उन्हें पहले तो रूस घुमाया-फिराया और फिर बेलारूस घुमाने की बात कही. बेलारूस में एजेंट ने उनसे और पैसे मांगे. पैसे नहीं दिए तो उन्होंने उन सभी को बेलारूस हाइवे पर ही छोड़ दिया. वहां पुलिस ने उन्हें पकड़कर रूस की आर्मी को सौंप दिया.
उन्होंने दावा किया है कि रूस की आर्मी ने उनके सामने एक कॉन्ट्रैक्ट रखा. और कहा गया कि या तो कॉन्ट्रैक्ट साइन करो और आर्मी में हेल्पर की जॉब करो या फिर 10 साल की जेल होगी. उनके पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं था, इसलिए उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट साइन कर दिया.
उन्होंने बताया कि इसके बाद उन्हें थोड़ी-बहुत ट्रेनिंग दी गई और यूक्रेन भेज दिया. हमारे साथ और भी साथी थे, जिन्हें फ्रंटलाइन में डाल दिया गया. हमसे भी कहा गया है. हमें ठीक से बंदूक भी पकड़नी नहीं आती और हमें फ्रंटलाइन में डाला जा रहा है.
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कैसे फंसते जा रहे भारतीय?
रूस की सेना में अभी कम से कम दो दर्जन भारतीय ऐसे हैं, जिन्हें जबरन जंग में धकेला जा रहा है. ये भारतीय टूरिस्ट वीजा पर रूस जाते हैं, लेकिन वहां जाकर फंस जाते हैं.
रूस में फंसे भारतीयों में पंजाब के गुरदासपुर के रहने वाले रवनीत सिंह भी हैं. रवनीत सिंह के परिजनों ने बताया कि उन्होंने रूस के टूरिस्ट वीजा के लिए एक एजेंट को 11 लाख रुपये दिए थे. एजेंट ने उन्हें वहां अच्छी नौकरी दिलवाने का वादा भी किया था. रवनीत सिंह के साथ उनका एक दोस्त विक्रम भी था.
परिजनों का दावा है कि रवनीत और उनका दोस्त जब रूस में घूम रहा था, तब उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया. दावा है कि इन्हें रूसी सेना के हवाले किया गया और यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ने के लिए जबरन आर्मी में भर्ती किया गया.
रवनीत सिंह ने अपने घर वालों को फोन कर इस बारे में बताया था. उन्होंने ये भी बताया कि रूसी सेना ने उनसे एक समझौते पर जबरन हस्ताक्षर करवाए थे. समझौता रूसी भाषा में होने के कारण वो इसे समझ भी नहीं पाए. उनका ये भी दावा है कि जो भी पहले रूस घूमने आए थे, उनमें से भी कइयों को जबरन सेना में भर्ती कराया गया.
हाल ही में सूरत के जिस हेमिल मंगूकिया की यूक्रेन के हमले में मौत हो गई थी, वो भी इसी तरह फंस गए थे. उनके चचेरे भाई दर्शन ने दावा किया था कि रूस जाने के लिए हेमिल ने एक एजेंट को 3 लाख रुपये दिए थे. वहां उन्हें 50 हजार रुपये की सैलरी की जॉब मिली थी. लेकिन जब वो वहां पहुंचे तो उनकी कंपनी ने उनसे एक कॉन्ट्रैक्ट पर साइन करवाया, जिसमें लिखा था कि उन्हें वॉरजोन में तैनात किया जाएगा और हर महीने 2 लाख रुपये सैलरी मिलेगी.
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और भी हैं भारतीय!
हेमिल मंगूकिया और 7 भारतीय अकेले नहीं हैं जिन्हें रूस में इस तरह से फंसाया गया हो. उनसे पहले भी धोखे से कई भारतीयों को यूक्रेन में जंग लड़ने भेजा जा चुका है.
इससे पहले तेलंगाना और कर्नाटक के तीन युवकों को भी रूस ने धोखे से यूक्रेन में जंग लड़ने भेज दिया था. इन तीन में से एक के भाई ने बताया कि एक एजेंट से दुबई में अच्छी नौकरी की बात हुई थी. पिछले साल उनका भाई दुबई गया, लेकिन वहां एजेंट ने कहा कि रूस में अच्छी नौकरियां हैं.
उसके बाद एजेंट ने रूस में उसको अच्छी नौकरी दिलाने के लिए 3 लाख रुपये की डिमांड की. जब वो मॉस्को पहुंचा तो वहां उसका फोन और पासपोर्ट जब्त कर लिया गया.
रूस में फंसने वाले सभी भारतीयों की कहानी लगभग एक जैसी ही है. उत्तर प्रदेश के रहने वाले एक युवक ने भी धोखे से रूस की सेना में भर्ती करने का दावा किया था. उसने बीबीसी को बताया था कि उसे मॉस्को में 1.50 लाख रुपये महीने की सैलरी दिलाने के नाम पर लाया गया था. सेना में भर्ती करने की बात उन्हें नहीं बताई गई थी.
भारत का क्या है कहना?
भारतीय विदेश मंत्रालय ने 29 फरवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया था कि रूस में करीब 20 भारतीय नागरिकों ने भारत वापसी के लिए मदद मांगी है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बताया था कि युद्धग्रस्त इलाकों से भारतीय नागरिकों की वापसी के लिए भारत और रूसी अधिकारियों के बीच बातचीत चल रही है.
उन्होंने बताया था कि रूसी सेना की मदद कर रहे भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द 'डिस्चार्ज' करने को लेकर रूस के अधिकारियों से भी बात की है. उन्होंने लोगों से युद्धग्रस्त इलाकों में न जाने की अपील भी की.