राष्ट्रपति बनने के बाद से ही ट्रंप लगातार अवैध प्रवासियों पर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं. कभी प्रशासन की तरफ से डिपोर्टेशन के वीडियो जारी होते हैं तो कभी 200 साल पुराना कोई एक्ट लागू हो जाता है, जो कई देशों के लोगों को शक की नजर से देखे. इसके बीच सैंक्चुरी सिटीज भी हैं, जहां अवैध इमिग्रेंट्स अब तक सबसे सुरक्षित रहे. यहां तक कि वॉशिंगटन भी इन शहरों में इमिग्रेंट्स पर हावी नहीं हो सका. जानिए, क्या है इन शहरों का फलसफा, जो बिना दस्तावेज रहते लोगों को सुरक्षा देता है.
क्या हैं सैंक्चुरी सिटीज और क्यों बन रहीं ठिकाना
अमेरिका में सैंक्चुरी सिटीज वे शहर हैं जो अवैध प्रवासियों को सुरक्षा देते हैं और संघीय एजेंसियों, खासतौर पर इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट (ICE) को बहुत कम मदद करते हैं. ऐसे सौ से ज्यादा ज्यादा शहर हैं. लेकिन ये इलाके सैंक्चुरी क्यों बने?
इसके कई कारण रहे. कई शहरों ने मानवीय, सामाजिक और राजनीतिक कारणों से खुद को सैंक्चुरी घोषित किया. मसलन, अवैध इमिग्रेंट्स में से कई ऐसे हैं जो सालों से यूएस में रहते आए हैं. कई प्रवासी युद्ध, गरीबी, अपराध या उत्पीड़न से भागकर आए होते हैं और परिवार समेत बस चुके होते हैं.
ये लोग शहरों की इकनॉमी में मजबूत भूमिका निभाते रहे, जैसे कि न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलेस और शिकागो में बिना दस्तावेज के रहते लोग खेती-किसानी से लेकर कंस्ट्रक्शन और होटल में काम करते रहे. फेडरल सरकार इनपर कड़ाई करना चाहती है लेकिन अमेरिका में राज्यों के पास भी काफी ताकत है. वे अपने लिए काम करते इन लोगों को हटाकर अपनी ही इकनॉमी को कमजोर नहीं बनाना चाहते. ऐसे में सैंक्चुरी सिटीज लोगों को अपने यहां पनाह देती रहीं और संघ की एजेंसियों से बचाती रहीं.
ट्रंप और सैंक्चुरी सिटीज के बीच कितना टकराव
ट्रंप सरकार ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया और सैंक्चुरी सिटीज को उनके रुख के कारण निशाने पर लिया. प्रशासन चाहता है कि लोकल पुलिस ICE के साथ मिलकर अवैध प्रवासियों को पकड़ने में मदद करे. ट्रंप ने पहले टर्म में आते ही एग्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन किया और इसे न मानने वाले राज्यों की फंडिंग में कटौती की भी धमकी दी गई.
तनातनी इतनी बढ़ी कि कई सैंक्चुरी सिटीज ने सरकार के आदेशों के खिलाफ मुकदमे दायर किए, और कुछ मामलों में अदालतों ने इन शहरों के पक्ष में फैसले दिए. जैसे, ट्रंप के पहले कार्यकाल में न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलेस और शिकागो की फंडिंग रोकने की कोशिश हुई क्योंकि वे अवैध प्रवासियों को देने से इनकार कर रहे थे. तब तीनों ही जगहों की अदालतों ने फैसला दिया कि संघीय सरकार, राज्यों और शहरों को उनके कानूनों और नीतियों को बदलने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. कई और शहरों में भी ज्यादातर मामलों में प्रशासन पर राज्य की अदालतें भारी रहीं.
फेडरल सरकार के खिलाफ कानून तक बने
कई शहरों और राज्यों ने कानून बनाए हैं जो स्थानीय पुलिस को ICE के साथ सहयोग से रोकते हैं. मसलन, कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क, इलिनॉइस और मैसाचुसेट्स जैसे राज्यों में ऐसे नियम हैं जो लोकल अधिकारियों को फेडल इमिग्रेशन अधिकारियों के साथ प्रवासियों की जानकारी साझा करने से रोकते हैं. कई जगहों पर नो ICE डिटेनर्स पॉलिसी है. वे स्थानीय जेलों में रखे गए अवैध प्रवासियों को ICE को तब तक नहीं सौंपेंगे जब तक कि उनके खिलाफ गंभीर अपराध के आरोप न लगे हों. कई जगहों पर लीगल डिफेंस फंड है जो दस्तावेजों के बिना रहते लोगों को बचाने के लिए वकील और कानूनी मदद मुफ्त देते हैं.
वॉल स्ट्रीट जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार, सैंक्चुरी सिटीज फेडरल सरकार के लिए उतनी ही निष्ठा रखती हैं लेकिन वो मानवीय ग्राउंड पर मदद से रुक नहीं सकतीं. रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे शहर या काउंटी संघ को इमिग्रेंट्स के फिंगर प्रिंट देती हैं. और अगर अधिकारियों को कुछ संदेहास्पद लगे तो वे अरेस्ट वॉरंट दे सकते हैं. तब उनकी पूरी मदद की जाती है. लेकिन घर-घर जांच कर अव्यवस्था पैदा करने के ये शहर खिलाफ रहे.
एक तरफ सैंक्चुरी सिटीज हैं, तो दूसरी ओर कुछ राज्य अवैध प्रवासियों के प्रति सख्त नीतियां अपनाते रहे. टेक्सास ने संघीय इमिग्रेशन कानूनों को कड़ाई से लागू करवाया और लगातार ये देखता रहा कि उसके यहां बगैर दस्तावेज के बाहरी लोग न बस जाएं.
अमेरिका में कितने अवैध इमिग्रेंट्स
इस देश में बाहरी लोगों की संख्या काफी ज्यादा रही. साल 2019 में इस देश में इमिग्रेंट्स की संख्या 5 करोड़ से ज्यादा थी. ये तब दुनिया में कुल आप्रवासियों का 19 प्रतिशत, जबकि अमेरिकी जनसंख्या का 14 प्रतिशत था. इनमें से लगभग 1 करोड़ 10 लाख लोग ऐसे हैं, जो बिना लीगल दस्तावेज के रह रहे हैं. डेकन हेराल्ड में छपी एक रिपोर्ट में सरकारी हवाले से कहा गया कि हर 10 में से 8 लोग अवैध तौर पर ही एक दशक निकाल देते हैं. वैसे अवैध शरणार्थियों के बारे में एक निश्चित संख्या तक पहुंचना मुश्किल है.
मास डिपोर्टेशन में लीगल दिक्कतें क्या-क्या
- अवैध तौर पर आने वाले बहुत से लोगों का कोर्ट में केस चल रहा है. जब तक वे अवैध करार नहीं दे दिए जाते, वे अमेरिका में रह सकते हैं. ट्रंप को उन्हें हटाने के लिए कोर्ट्स, जजों की संख्या बढ़ानी होगी.
- डिपोर्ट किए जा रहे लोगों को कुछ समय के लिए डिटेंशन फैसिलिटी में रखा जाता है, जहां से वे सीमा पार छोड़े या जिस देश के रहनेवाले हैं, वहां वापस भेजे जाते हैं. ये भी काफी महंगी प्रोसेस है.
- कई ऐसे भी देशों से लोग भागकर आए, जिनके साथ अमेरिका का डिप्लोमेटिक रिश्ता नहीं. ऐसे में वे देश अपने ही लोगों को अपनाने से इनकार कर सकते हैं. तब अमेरिका के पास उन्हें रखने के अलावा कोई चारा नहीं होगा.