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क्या डोकलाम को लेकर भूटान पर दबाव बना रहा चीन, भारत के लिए टेंशन की बात क्यों?

चीन और भूटान के बीच 80 के दशक से सीमा विवाद है. दोनों के बीच राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन सीमा विवाद सुलझाने के लिए कई दौर की बातचीत हो चुकी है. अक्टूबर 2021 में दोनों के बीच एक समझौता भी हुआ था, लेकिन इससे भारत की टेंशन बढ़ गई है.

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पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग. (फाइल फोटो)
पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग. (फाइल फोटो)

चीन एक ओर तो भारत के साथ शांति की बात करता है, तो दूसरी ओर तनाव बढ़ाने में कोई कसर भी नहीं छोड़ता. 

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ब्रिक्स समिट से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सीमा पर तनाव को लेकर बात की. लेकिन जिस समय जिनपिंग ब्रिक्स समिट के लिए दक्षिण अफ्रीका में थे, उसी समय बीजिंग में भूटान के साथ सीमा विवाद पर बात भी चल रही थी.

दरअसल, चीन भूचान के साथ दशकों से चल रहे सीमा विवाद को जल्द से जल्द सुलझाना चाहता है. इसके लिए बैठकें भी चल रहीं हैं. दोनों ही देश सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 'थ्री-स्टेप रोडमैप' को लागू करने पर सहमत हो गए हैं.

चीन ने मंगलवार को बताया कि 21 से 24 अगस्त तक बीजिंग में चीन-भूटान सीमा विवाद पर बने एक्सपर्ट ग्रुप की 13वीं बैठक हुई थी. चीन ने कहा कि जल्दी ही 14वीं बैठक भी होगी. 

दोनों देशों ने अपने बीच चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए अक्टूबर 2021 में 'थ्री-स्टेप रोडमैप' समझौते पर हस्ताक्षर भी किए थे. 

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चीन और भूटान के बीच चल रही इस गुपचुप बातचीत पर भारत भी नजर बनाए हुए हैं. क्योंकि अगर दोनों के बीच विवाद सुलझता है तो इसका सीधा-सीधा असर भारत पर पड़ेगा.

चीन और भूटान के बीच सीमा विवाद क्या है? सीमा विवाद सुलझाने के लिए दोनों कैसे आगे बढ़ रहे हैं? भारत के लिए ये टेंशन की बात क्यों है? जानते हैं...

चीन-भूटान में क्या है सीमा विवाद?

- चीन और भूटान 477 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं. दोनों के बीच 80 के दशक से सीमा विवाद है. दोनों के बीच अब तक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन सीमा विवाद सुलझाने के लिए दो दर्जन से ज्यादा बार बातचीत हो चुकी है.

- जिन दो इलाकों को लेकर चीन और भूटान के बीच सबसे ज्यादा विवाद है. उनमें 269 वर्ग किलोमीटर का डोकलाम है. और दूसरा इलाका भूटान के उत्तर में 495 वर्ग किलोमीटर का जकारलुंग और पासमलुंग घाटी का इलाका है.

- इसलिए अक्टूबर 2021 में चीन और भूटान ने 'थ्री-स्टेप रोडमैप' के समझौते पर दस्तखत किए थे. दावा है कि इस समझौते से दोनों के बीच चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने में तेजी आएगी.

चीन क्या चाहता है?

- चीन की रणनीति रही है कि वो छोटे देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को खराब नहीं करना चाहता. और खासकर कि तब जब वो देश भारत से भी सीमा साझा करता हो.

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- चीन, भूटान के इलाकों पर अपना दावा करता है. बीबीसी के मुताबिक, लेकिन अब चीन ये चाहता है कि भूटान 495 वर्ग किलोमीटर का इलाका लेकर 269 वर्ग किलोमीटर वाला डोकलाम दे दे.

डोकलाम पर नजर क्यों?

- इसकी वजह है डोकलाम की भौगोलिक स्थिति. डोकलाम एक ट्राई-जंक्शन है, जो भारत, चीन और भूटान की सीमा पर पड़ता है.

- डोकलाम वैसे तो चीन और भूटान का विवाद है. लेकिन ये सिक्किम के पास पड़ता है, इसलिए भारत की भी इसमें दिलचस्पी है. 

- डोकलाम एक पहाड़ी इलाका है, जिस पर चीन और भूटान दोनों ही दावा करते हैं. डोकलाम पर भूटान के दावे का भारत समर्थन करता है.

- जून 2017 में चीन ने डोकलाम में सड़क बनाने का काम शुरू किया था, तो भारतीय सेना ने उसे रोक दिया था. भारत की चिंता है कि अगर डोकलाम में सड़क बनती है तो इससे सुरक्षा समीकरण बदल सकते हैं. भविष्य में संघर्ष की स्थिति बनने पर चीन इसका इस्तेमाल सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर कब्जे के लिए कर सकता है.

- सिलिगुड़ी कॉरिडोर भारतीय नक्शे में मुर्गी के गर्दन जैसा दिखता है, इसलिए इसे 'चिकन नेक' कहा जाता है. ये पूर्वोत्तर भारत को बाकी भारत से जोड़ता है.

- डोकलाम में 2017 में सड़क बनाने को लेकर हुए विवाद के बाद भारत और चीन की सेना 73 दिनों तक आमने-सामने डटी रही थीं. हालांकि, इस दौरान हिंसा तो नहीं हुई थी, लेकिन तनाव बहुत बढ़ गया था.

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भूटान के प्रधानमंत्री लोटे छृंग. (फाइल फोटो)

भूटान क्या चाहता है?

- भूटान एशिया के दो ताकतवर देशों के बीच स्थित है. ऐसे में वो सैंडविच की तरह बना हुआ है. और उससे भी बड़ी समस्या ये कि वो किसी के साथ अपने रिश्ते खराब नहीं कर सकता.

- लेकिन हालिया सालों में चीन से भूटान की नजदीकियां बढ़ीं हैं. हालांकि, जानकार मानते हैं कि चीन अपनी ताकत का इस्तेमाल कर भूटान पर सीमा विवाद सुलझाने का दबाव बना रहा है.

- इसी साल मार्च में भूटान के प्रधानमंत्री लोटे छृंग ने एक फ्रांसिसी अखबार को इंटरव्यू दिया था. इसमें छृंग ने कहा था कि चीन ने जो गांव बनाए हैं, वो भूटान की सीमा में नहीं हैं.

- अखबार को दिए इंटरव्यू में लोटे छृंग ने कहा था, 'भूटान में चीनी निर्माण को लेकर मीडिया में बहुत कुछ कहा जा रहा है, लेकिन हमें इससे कोई मतलब नहीं है, क्योंकि ये भूटान में नहीं है.'

- इस इंटरव्यू में छृंग ने डोकलाम पर भी बात कही थी. उन्होंने कहा था, 'डोकलाम भारत, चीन और भूटान के बीच ट्राई-जंक्शन है. ये मुद्दा केवल भूटान का नहीं है. इससे तीन देश जुड़े हैं. कोई बड़ा या छोटा देश नहीं है. तीनों बराबर हैं.'

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- जानकार मानते हैं कि भूटान चीन के साथ सीमा विवाद को सुलझा लेना चाहता है. क्योंकि वहां का एक तबका भी यही चाहता है. भले ही इससे भारतीय हितों को नुकसान पहुंचे. 

- इतना ही नहीं, जब छृंग ने ऐसा कहा कि चीन ने भूटान में कोई निर्माण नहीं किया है, तो इसे इस बात से भी जोड़कर देखा गया कि कहीं दोनों के बीच कोई समझौता तो नहीं हो गया. या फिर भूटान ने मान लिया है कि वो चीन से अपना इलाका नहीं छीन सकता.

डोकलाम के पास चीनी निर्माण. (फाइल फोटो)

अब भारत की क्या है भूमिका?

- भारत और भूटान के रिश्ते हमेशा से घनिष्ठ रहे हैं. अपनी ज्यादातर जरूरतों के लिए भूटान, भारत पर निर्भर है. भूटान का 75% आयात और 95% निर्यात भारत से ही है.

- इतना ही नहीं, भारत भूटान को सुरक्षा भी मुहैया करवाता है. भारतीय सैनिक भूटान के सैनिकों को ट्रेनिंग देते हैं. 

- इसके अलावा, भूटान अकेले चीन के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता है. इसकी वजह एक समझौता है.

- दोनों देशों के बीच 8 अगस्त 1949 को एक समझौता हुआ था. इस समझौते के तहत विदेश और रक्षा से जुड़े मामलों के लिए भूटान भारत पर निर्भर है. 

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- साल 2007 में एक और नया समझौता हुआ, जिसने 1949 के समझौते की जगह ली. इसमें भूटान को रक्षा और विदेश से जुड़े मामलों में फैसला लेने में थोड़ी आजादी दी गई. लेकिन अब भी भूटान बिना भारतीय समर्थन के अकेले फैसले नहीं ले सकता.

- जानकार मानते हैं कि अगर भूटान पर डोकलाम को अपना बताते रहने का भारत का दबाव नहीं होता तो अब तक तो चीन और भूटान के बीच ये विवाद सुलझ भी गया होता. 

- हालांकि, अब बदलती जियोपॉलिटिक्स में कुछ दावे के साथ नहीं कहा जा सकता. अगर चीन और भूटान में सीमा विवाद सुलझता है तो इसका सीधा-सीधा असर भारत पर पड़ेगा.

 

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