यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने साल 2018 में एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें दावा किया गया कि नेपाल की सीमा फिलहाल भारत में एंट्री के लिए जासूसों का सबसे पसंदीदा बॉर्डर बन चुका है. बीते दिनों जब खालिस्तानी आतंकी अमृतपाल कुछ समय के लिए पुलिस की नजरों से बचा हुआ था, तब भी यही अनुमान लगाया जा रहा था कि शायद वो नेपाल भाग गया हो. अमेरिका की कंट्री रिपोर्ट ऑन टैररिज्म के मुताबिक, फिलहाल कई चरमपंथी ताकतें भारत के खिलाफ काम कर रही हैं, और लगभग सभी आने-जाने के लिए नेपाल सीमा का इस्तेमाल करती हैं.
क्यों नेपाल के साथ खुली हुई है सीमा?
भारत और नेपाल लगभग 18 सौ किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं. हमारे यहां पांच राज्य, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और सिक्किम इस देश से सटे हुए हैं. इसमें से बड़ा हिस्सा वो है, जिसे हमने ओपन बॉर्डर घोषित कर रखा है. इंटरनेशनल संधि के तहत नेपाल और भारत ने आपस में भरोसा जताते हुए ये हिस्से खुले रखे. यहां पर उस तरह की सुरक्षा नहीं है, जैसी बाकी हिस्सों में रहती है. यहां तक कि इस रास्ते पर कंटीली बाड़ें भी नहीं हैं. इसे ट्रीटी ऑफ पीस एंड फ्रेंडशिप नाम मिला.
इसका एक कारण ये भी है कि दोनों देश सांस्कृतिक तौर पर काफी एक से हैं. दोनों ही देशों के लोग आपस में रोटी-बेटी का रिश्ता रखते हैं और लगातार आते-जाते रहते हैं. इसी कल्चर को बनाए रखने के लिए 1950 में ओपन बॉर्डर संधि हुई.
यही ओपन बॉर्डर खतरे की वजह बन चुका
यहां से मानव तस्करी भी हो रही है, फेक करेंसी का लेनदेन भी हो रहा है. यहां तक कि नेपाल के फॉर्मर चीफ जस्टिस अनूप राज शर्मा ने भी माना था कि इंडो-नेपाल बॉर्डर का कई देशों के कुछ लोग गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि सबसे बड़ा खतरा जासूसों और आतंकियों के आने-जाने का है.
अमेरिकी रिपोर्ट मानती है कि नेपाल का भले ही इसमें कोई हाथ नहीं, लेकिन दोनों देशों के बीच इतना लंबा खुला हुआ बॉर्डर है कि आतंकी उसका फायदा उठा ही लेते हैं. नेपाल इस ट्रांजिट के लिए मोहरा बना हुआ है. सबसे ज्यादा फायदा इंडियन मुजाहिद्दीन (IM) ले रहा है, जिसके संबंध पाकिस्तान में बैठे आतंकी समूहों, जैसे लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से है.
काठमांडू एयरपोर्ट अपने-आप में खतरा
दिक्कत सिर्फ इतनी नहीं कि इंडिया से सटा नेपाल बॉर्डर खुला हुआ है, बल्कि नेपाल के खुद के भीतर सिक्योरिटी काफी हल्की है. साल 2021 में अमेरिकी रक्षा विभाग से जारी कंट्री रिपोर्ट ऑन टैररिज्म में माना गया कि काठमांडू स्थित त्रिभुवन एयरपोर्ट में सिक्योरिटी काफी कमजोर है. ये इस देश का अकेला इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जहां बाहर से यात्री पहुंचते हैं. इसके बाद भी एयरपोर्ट अथॉरिटी यात्रियों का डेटाबेस मेंटेन नहीं करती. यहां तक कि ट्रैवल के कागजात चेक करने के लिए अल्ट्रावायलेट लाइट्स भी नहीं हैं. ऐसे में फर्जी पासपोर्ट और वीजाधारी भी आसानी से बचकर निकल सकते हैं.
क्या पाकिस्तान की सीमा भी नेपाल से लगती है?
पाकिस्तान से नेपाल के संबंध जरा कॉम्प्लिकेटेड रहे. इन दोनों देशों का कोई कॉमन बॉर्डर भी नहीं है. दोनों देशों के बीच डिप्लोमेटिक रिश्ते भी मार्च 1960 में बने, यानी पाक के बनने के सालों बाद. इसके बाद भी काठमांडू में पाकिस्तान के काफी सारे डिप्लोमेट और उनका स्टाफ रह रहे हैं. यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (EFSAS) के मुताबिक, डिप्लोमेट की आड़ में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के लोग भी रह रहे हैं. इस संदेह में दम भी है क्योंकि नेपाल छोटा देश है, जहां इतने सारे डिप्लोमेट्स की जरूरत नहीं, और नेपाल-पाकिस्तान के बीच ऐसे द्विपक्षीय समझौते भी नहीं.
लगातार पकड़ाते रहे लोग
अस्सी के दशक से ही पाकिस्तान ने भारत में घुसपैठ के लिए नेपाल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. EFSAS की मानें तो तब से ही RDX जैसे विस्फोटक पहले नेपाल और वहां से भारत भेजे जाने लगे. कई बार नेपाल सिक्योरिटी फोर्स ने ऐसे लोगों को रंगे हाथों पकड़ा भी. सबसे ज्यादा लोग नकली भारतीय मुद्रा बनाकर भारत में घुसपैठ करने की कोशिश करते हुए पकड़ाए.
विमान हुआ था हाईजैक
नेपाल एयरपोर्ट की कमजोर सुरक्षा का एक उदाहरण वो घटना है जिसमें भारतीय विमान को हाईजैक कर लिया गया था. 24 दिसंबर 1999 को पाकिस्तान के आतंकियों ने इंडियन एयरलाइंस के विमान को उस वक्त हाईजैक कर लिया था जब वो काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट से नई दिल्ली की ओर निकल रहा था. तब विमान में क्रू समेत 180 लोग थे. इसके बाद से ही सुरक्षा एजेंसियां मानने लगीं कि नेपाल अनजाने में ही भारत के खिलाफ मोहरे की तरह उपयोग किया जा रहा है.
एक परमिट भी बनता है
भारत-नेपाल आवाजाही के लिए पासपोर्ट, वीजा तो नहीं लगता, लेकिन भारत से नेपाल जाने वालों के लिए एक परमिट चलता है, जिसे भंसार परमिट कहते हैं. लोग अगर अपनी बाइक या कार से बॉर्डर क्रॉस करें तो ये परमिट चाहिए होता है. हालांकि अक्सर लोग सिक्योरिटी को चकमा देकर ही भीतर चले जाते हैं. अगर बस, ट्रेन, फ्लाइट या टैक्सी से नेपाल बॉर्डर पार करें और नेपाली वाहन से भीतर जाएं तो परमिट की जरूरत नहीं पड़ती.
और किस देश के साथ खुली सीमा?
भारत और भूटान भी ओपन बॉर्डर साझा करते हैं. लगभग 7 सौ किलोमीटर की ये सीमा असम, अरुणाचल, पश्चिम बंगाल और सिक्किम से लगती है. इस बॉर्डर से अक्सर चीन की खुफिया एजेंसियों के भारत तक आने की बात उठती रहती है. डोकलाम को लेकर भी विवाद है, जो हमारे यहां सिलीगुड़ी से केवल 30 किलोमीटर दूर है. इसपर भूटान और चीन दोनों ही अपना दावा करते हैं. मौजूदा हालात में चीन के साथ बने हुए तनाव के बीच खुली सीमाएं काफी खतरनाक हो सकती हैं.