इंटरपोल ने खालिस्तानी आतंकी करणवीर सिंह के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है. करणवीर सिंह आतंकी संगठन बब्बर खालसा से जुड़ा हुआ है.
आतंकी करणवीर सिंह पंजाब के कपूरथला का रहने वाला है. कुछ समय पहले वो पाकिस्तान चला गया था और तब से वहीं है. उसे बब्बर खालसा के सीनियर आतंकी वाधवा सिंह और हरविंदर सिंह रिंदा का राइट हैंड बताया जाता है.
करणवीर सिंह पर भारत में कई संगीन मामले दर्ज हैं. उस पर हत्या, एक्सप्लोसिव एक्ट, आतंकी साजिश, टेरर फंडिंग और आर्म्स एक्ट के तहत केस दर्ज हैं.
इंटरपोल अब तक 6,918 अपराधियों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी कर चुका है. इनमें से 213 भारतीय नागरिक हैं. इंटरपोल अंतरराष्ट्रीय पुलिस संगठन है. 195 देश इसके सदस्य हैं.
पर ये रेड कॉर्नर नोटिस है क्या?
रेड कॉर्नर नोटिस को रेड नोटिस भी कहा जाता है. कोई भी अपराधी पुलिस और जांच एजेंसियों से बचने के लिए दूसरे देश भाग सकता है. रेड कॉर्नर नोटिस ऐसे अपराधियों के बारे में दुनियाभर की पुलिस को सचेत करता है.
सदस्य देश ही इंटरपोल को किसी वांटेड अपराधी के खिलाफ रेड नोटिस जारी करने को कह सकते हैं. इंटरपोल की स्पेशल टास्क फोर्स जांच करती है और उसके बाद ही रेड नोटिस जारी करती है.
रेड नोटिस का मतलब ये नहीं है कि वो व्यक्ति दोषी ही है. और न ही ये अरेस्ट वारंट होता है. ये नोटिस ऐसे शख्स के खिलाफ जारी किया जाता है, जिसके ऊपर कोई आपराधिक मामला दर्ज हो.
ये दुनिया के देशों को उस शख्स के अपराध के बारे में जानकारी देता है. रेड कॉर्नर नोटिस के जरिए पकड़े गए अपराधी को उसके देश भेज दिया जाता है.
रेड कॉर्नर नोटिस में क्या-क्या होता है?
रेड कॉर्नर नोटिस में चार तरह की जानकारी होती है. पहली- व्यक्ति की पहचान से जुड़ी जानकारी, जिसमें उसका नाम, डेट ऑफ बर्थ, प्लेस ऑफ बर्थ. दूसरी- उसकी शारीरिक बनावट, जिसमें उसकी हाइट, वजन, बाल और आंखों का रंग होता है.
तीसरी जानकारी में उसकी डिटेल जिसमें होता है कि वो कौन-कौनसी भाषा जानता है. और चौथी जानकारी उसके आरोपों से जुड़ी होती है. इसमें बताया जाता है कि शख्स पर कौन-कौन से मामले दर्ज हैं.
जिस व्यक्ति या आरोपी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी होता है, उसकी आजादी पर रोक लग जाती है. वो कहीं आ-जा नहीं सकता. क्योंकि दुनियाभर की पुलिस को उसके अपराध की जानकारी होती है.
और कौन-कौन नोटिस जारी करता है इंटरपोल?
- ब्लू नोटिस: यह नोटिस किसी शख्स की पहचान उसकी लोकेशन या आपराधिक गतिविधियों जैसी अतिरिक्त जानकारियां जुटाने के लिए जारी किया जाता है.
- ब्लैक नोटिस: अज्ञात शवों की पहचान के लिए जारी किया जाता है. इंटरपोल हर साल करीब 150 ब्लैक नोटिस जारी करता है.
- ग्रीन नोटिस: यह किसी शख्स की आपराधिक गतिविधियों के बारे में चेतावनी और खुफिया जानकारी से जुड़ा होता है जहां उस शख्स से लोक सुरक्षा को खतरे की आशंका होती है.
- ऑरेंज नोटिस: इस तरह का नोटिस किसी शख्स या हथियार के बारे में अलर्ट करने के लिए जारी किया जाता है जिससे किसी तरह के खतरे की आशंका हो.
- पर्पल नोटिस: ऐसे नोटिस अपराधियों के गुनाह करने के तरीकों और उनके पास मौजूद हथियारों की जानकारी जुटाने के लिए जारी किए जाते हैं.
- येलो नोटिसः ये नोटिस किसी लापता शख्स के बारे में दुनियाभर की पुलिस को अलर्ट करने के लिए जारी किया जाता है. ये अपहरण या अन्य किन्हीं कारणों से गायब हुए लोगों के बारे में पता लगाने के लिए जारी किया जाता है.
आखिर में ये बब्बर खालसा क्या है?
बब्बर खालसा इंटरनेशनल को ही बब्बर खालसा के नाम से जाना जाता है, जो खालिस्तान समर्थक एक आतंकवादी संगठन है. भारत और ब्रिटिश सरकार ने अलग सिख स्टेट की मांग करने वाले इस आतंकी संगठन को प्रतिबंधित कर रखा है.
इस आतंकी संगठन ने पंजाब में विद्रोह और आतंक फैलाने में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी. अलग खालिस्तान की मांग को लेकर बब्बर खालसा इंटरनेशनल की स्थापना साल 1978 में हुई थी.
1980 के दशक में ये आतंकी संगठन पंजाब में काफी सक्रिय था. जिसके चलते कई लोगों की जान गई. लेकिन 1990 के दशक में इस संगठन से जुड़े कई आतंकी पुलिस के साथ मुठभेड़ों में मारे गए. तभी से इस संगठन का प्रभाव घटने लगा था. बब्बर खालसा इंटरनेशनल को कनाडा, जर्मनी, भारत और यूनाइटेड किंगडम सहित कई देशों में एक आतंकवादी संगठन के जाना जाता है.
90 के दशक में खालिस्तान आंदोलन में सरकार की घुसपैठ और दूसरे आतंकवादी संगठनों ने बब्बर खालसा को कमजोर कर दिया था. इसी दौरान सुखदेव सिंह बब्बर (9 अगस्त 1992) और तलविंदर सिंह परमार (15 अक्टूबर 1992) की मौत ने बब्बर खालसा को खात्मे की तरफ मोड़ दिया था.