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इजरायल के सामने 7-तरफा टेंशन... लेबनान से इराक-यमन तक ईरान के वो 'प्यादे' जो बढ़ा रहे मुश्किल

इजरायल और ईरान के बीच एक बार फिर टेंशन बढ़ गई है. अप्रैल के बाद अब फिर ईरान ने इजरायल पर मिसाइल अटैक किया है. इजरायली पीएम नेतन्याहू का कहना है कि ईरान को इसका अंजाम भुगतना होगा. लेकिन मध्य पूर्व में ईरान के कई ऐसे प्यादे हैं, जो नेतन्याहू का टेंशन बढ़ा सकते हैं.

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इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू. (फाइल फोटो-AP)
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू. (फाइल फोटो-AP)

मध्य पूर्व में जंग और खतरनाक होती जा रही है. ईरान ने एक बार फिर इजरायल पर हमला किया है. ईरान ने मंगलवार रात इजरायल पर 180 से ज्यादा मिसाइलें दागीं. उसका दावा है कि 90% मिसाइलें सटीक निशाने पर लगी हैं.

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ईरान के इस हमले में अब तक कोई बड़ा नुकसान होने की खबर नहीं है. हालांकि, मिसाइल अटैक में वेस्ट बैंक में एक फिलिस्तीनी व्यक्ति की मौत हुई है.

ईरान की इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने कहा है कि ये हमला हमास चीफ इस्माइल हानिया, हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह और IRGC कमांडर अब्बास निलफोरोशान की मौत के जवाब में किया गया है. IRGC का दावा है कि तेल अवीव में इजरायल के तीन सैन्य ठिकानों पर भी हमला किया गया है.

हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि ईरान ने बड़ी गलती कर दी है और उसे इसका अंजाम भुगतना होगा. इजरायली सेना के प्रवक्ता डेनियल हगारी ने कहा कि सही वक्त और सही जगह चुनकर ईरान को जवाब दिया जाएगा. जबकि, इजरायली रक्षा मंत्री योआव गैलेंट का कहना है कि ईरान ने कोई सबक नहीं सीखा है. जो इजरायल पर हमला करता है, उसे भारी कीमत चुकानी पड़ती है.

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ईरान का इजरायल पर ये इस साल में दूसरा हमला था. इससे पहले अप्रैल में भी ईरान ने इजरायल पर हमला किया था. हालांकि, फिलहाल हमले रुक गए हैं. लेकिन मध्य पूर्व के कई मुल्कों में ईरान के कई 'प्यादे' हैं, जो इजरायल की टेंशन बढ़ा सकते हैं.

कहां-कहां हैं ईरान के प्यादे?

- गाजा पट्टीः 1987 में बने हमास को इजरायल-अमेरिका समेत कई देशों ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है. इस्माइल हानिया इसका मुखिया था, जिसे जुलाई में इजरायल ने मार गिराया था. 2007 से हमास का गाजा पट्टी पर दबदबा है. हमास का सबसे ज्यादा समर्थन ईरान करता है. ईरान से ही हमास को सबसे ज्यादा फंडिंग मिलती है. हमास के अलावा गाजा पट्टी में फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद नाम का संगठन भी एक्टिव है. ये हमास के बाद दूसरा सबसे बड़ा संगठन है. 1970 में बने इस संगठन को भी ईरान का समर्थन मिला हुआ है.

- वेस्ट बैंकः इजरायल की पूर्वी सीमा पर बसा वेस्ट बैंक फिलिस्तीन का दूसरा हिस्सा है. वेस्ट बैंक में भी हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद एक्टिव हैं. गाजा पट्टी के साथ-साथ वेस्ट बैंक से भी हमास और फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद के लड़ाके इजरायल पर हमले करते रहे हैं.

- लेबनानः यहां पर हिज्बुल्लाह एक्टिव है. 1982 में ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने इस संगठन को बनाया था. हिज्बुल्लाह को भी कई देशों ने आतंकी संगठन घोषित कर रखा है. इसका मकसद ईरान में हुई इस्लामी क्रांति को दूसरे देश में फैलाना और लेबनान में इजरायली सेना के खिलाफ मोर्चा खड़ा करना था. इजरायल के खिलाफ इस जंग में हिजबुल्लाह, हमास का साथ दे रहा है. साल 2006 में भी हिजबुल्लाह ने इजरायल के साथ 35 दिन तक जंग लड़ी थी. इसमें 158 इजरायली नागरिकों की मौत हो गई थी.

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- इराकः यहां पर भी कई चरमपंथी संगठन हैं, जिनका साथ ईरान देता है. इराक में पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेस नाम से संगठन है, जिसके पास 2 लाख से ज्यादा लड़ाके हैं. बद्र संगठन भी है जिसे ईरान-इराक युद्ध के वक्त ईरानी इंटेलिजेंस ने बनाया था. इन दोनों के अलावा असैब अह्ल अल-हक नाम का भी एक संगठन है. बद्र और असैब अह्ल अल-हक के पास 15 से 30 हजार लड़ाके होने का दावा है.

- सीरियाः फातेमियों ब्रिगेड है, जो ईरान में अफगानी शरणार्थियों का संगठन है. इसे सीरिया सरकार के खिलाफ बनाया गया था. सीरिया में लड़ने के लिए शिया पाकिस्तानियों ने जैनबियों ब्रिगेड नाम से संगठन बनाया था. एक कुवत अल-रिधा नाम का संगठन भी है, जिसके लड़ाकों को हिज्बुल्लाह ने ट्रेन किया है. बकीर ब्रिगेड भी है, जिसे IRGC का फुल सपोर्ट है. इन सभी संगठनों के पास हजारों लड़ाके हैं.

- यमनः यहां हूती विद्रोही एक्टिव हैं, जो शिया जैदी समुदाय का संगठन है. हूती विद्रोही इजरायल और अमेरिका के खिलाफ लड़ते हैं. नब्बे के दशक में हुसैन अल-हूती ने इस संगठन को बनाया था. यमन के हूती विद्रोहियों को ईरान का समर्थन मिला है. हूती विद्रोही यमन में राजनीतिक रूप से भी मजबूत हैं. हूती के पास 30 हजार से ज्यादा लड़ाके हैं.

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- बहरीनः यहां पर अल-अश्तार ब्रिगेड नाम का संगठन एक्टिव है. ईरान की मदद से ये संगठन बहरीन सरकार के खिलाफ लड़ता है. 2013 में ये संगठन बना था. अल-अश्तार ब्रिगेड को ईरान से न सिर्फ फंडिंग मिलती है, बल्कि हथियार और विस्फोटक भी मिलते हैं. अल-अश्तार ब्रिगेड को हिज्बुल्लाह का समर्थन भी मिला है.

प्रॉक्सी वॉर से इजरायल को देगा जवाब?

इजरायल और ईरान लंबे समय से एक-दूसरे के साथ 'शेडो वॉर' में लगे हुए हैं. दोनों ही अक्सर जिम्मेदारी लिए बगैर एक-दूसरे पर हमले करते रहे हैं. लेकिन हमास जंग ने ईरान को भी जंग का अखाड़ा बना दिया है.

हमास से जंग शुरू होने के बाद इजरायल और ईरान के रिश्ते और खराब हुए हैं. ईरान अक्सर इस बात को खारिज करता रहा है कि उसे 7 अक्टूबर को होने वाले हमास के हमले के बारे में पहले से पता था. जबकि, इजरायल ने ईरान पर हमास का समर्थन करने का आरोप लगाया है. 

हमास ही नहीं, लेबनान का हिज्बुल्ला और यमन के हूती विद्रोहियों को भी ईरान का समर्थन हासिल है. इराक, सीरिया, लेबनान, गाजा पट्टी में कई चरमपंथी संगठनों को ईरान का समर्थन हासिल है, जिसे 'प्रॉक्सी' के रूप में जाना जाता है. अगर तनाव बढ़ता है तो इजरायल के खिलाफ ईरान प्रॉक्सी वॉर बढ़ा सकता है.

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